पटनाः बिहार के पटना में रणजी ट्रॉफी के एलीट ग्रुप का मैच शुक्रवार से शुरू हुआ. पहले दिन बिहार और मुंबई के बीच मुकाबला में बिहार की टीम ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला लिया था. पहले बल्लेबाजी करते हुए मुंबई ने शाम पांच बजे तक 67 ओवर में नौ विकेट के नुकसान पर 235 रन बनाए. मुंबई टीम के प्लेइंग इलेवन में अजिंक्य रहाणे शामिल नहीं हैं.
सर्वाधिक 65 रन भूपेन लालवानी ने बनाएः मुंबई की ओर से सर्वाधिक 65 रन भूपेन लालवानी ने बनाए, भूपेन को सकीबुल गनी ने कैच आउट कराया. मुंबई के तीन प्लेयर दहाई अंकों में रन नहीं बना सके, जबकि एक खिलाड़ी बिना रन बनाए आउट हो गया. सुवेद पारकर ने 50 रन दिए. उनके आउट होने के बाद मुंबई की टीम सिमटती नजर आई, लेकिन शिवम दुबे और तनुष कोटियन ने खेल को संभाला. तनुष ने 50 और शिवम ने 41 रन बनाए.
बिहार टीम के सामने मुंबई के चार खिलाड़ी पस्तः बिहार की टीम ने मुंबई के चार खिलाड़ियों को दहाईं का अंक भी छूने नहीं दिया, जिससे मुंबई की टीम लड़खड़ाती नजर आई. वीर प्रताप सिंह ने चार विकेट लिए. हिमांशु सिंह और सकीबुल गनी ने 2-2 विकेट लिए. कप्तान आशुतोष अमन का प्रदर्शन खास नहीं रहा. उन्होंने 10 ओवर में 26 रन देकर एक विकेट लिए. बिहार की ओर से नवाज ने तीन मेडन ओवर किए. जबकि आशुतोष ने दो मेडन ओवर किए.
क्रिकेट प्रेमियों में काफी उत्साहः वहीं, बिहार-मुंबई के बीच चल रहे मुकाबले को लेकर बिहार के क्रिकेट प्रेमियों में काफी उत्साह है जो अपनी आंखों से रणजी क्रिकेट देखेंगे. हालांकि स्टेडियम की व्यवस्था देख दर्शकों में काफी नाराजगी भी है. स्टेडियम में फ्री एंट्री के साथ नो रिस्क का भी बोर्ड लगा दिया गया है. साफ अलर्ट किया गया है कि गैलरी में प्रवेश निषेध है. यदि आप मैच देखने आते हैं तो किसी प्रकार की अनहोनी होती है तो उसकी जवाबदेही बीसीए की नहीं होगी.
लगा खतरे का साइन बोर्डः रणजी ट्रॉफी मैच का देखने आए आर्मी के जवान मुकेश कुमार दीर्घा में पहुंचे तो देखकर आश्चर्यचकित किया. कहा कि मैं देश के कई राज्यों में ट्रेवल कर चुका हूं और मैच देख चुका हूं. यहां पर जो व्यवस्था है, यह काफी दयनीय है. लोगों को बैठने की जगह नहीं है. बैठने की जगह पर कचरे का अंबार लगा हुआ है. कूड़ा कचरा में तब्दील हो गया है. इसके साथ साइन बोर्ड लगा दिया गया कि यह डेंजर जोन है.
"इससे बड़ा बिहार के लिए दुर्भाग्य क्या होगा कि बिहार में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है और किसी की नजर इस पर नहीं पड़ी. साफ सुथरा कराना चाहिए था. सरकार राजनीति में फंसी हुई है. इसलिए स्टेडिमय का ऐसा हाल है." -मुकेश कुमार, दर्शक
'मरम्मत नहीं करा सकी सरकार': 45 वर्षीय विनोद कुमार ने कहा कि "इस तरह का मैच लंबे समय के बाद पटना में हो रहा है. ग्राउंड अच्छा है लेकिन जहां पर लोग बैठकर क्रिकेट देखेंगे उसकी स्थिति जर्जर है. स्टेडियम जंगल में तब्दील हो गया है. बिहार सरकार आज तक इसकी मरमत नहीं करा सकी. जब इस तरह का मैच का आयोजन हो रहा है तो इसकी सफाई करना चाहिए थी."
'राजनीति में लगी है सरकार': क्रिकेट प्रेमियों ने कहा कि अगर सरकार चाहती तो एक दिन में साफ-सफाई करायी जा सकती थी, लेकिन सरकार या राजनीतिक पार्टी को अपनी राजनीति करनी है. बिहार पटना में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है. बाहर की टीम भी आई. इसका क्या असर पड़ेगा, इसके बारे में सरकार नहीं सोचती है. कई खिलाड़ियों ने बताया कि खेल विभाग व बिहार क्रिकेट संघ के उदासीन रवैये के चलते बिहार का एकलौता इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम का इतिहास मिटने के कगार पर है.
45 साल से रेनोवेशन नहींः लगभग तीन एकड़ क्षेत्रफल में फैले स्टेडियम का निर्माण 1969 में किया गया था. 25 हजार क्षमता वाले स्टेडियम में 27 फरवरी 1996 को जिम्बाब्वे और केन्या के बीच वर्ल्ड कप मैच भी हो चुका है. इसके साथ ही कई रणजी और दूसरे मैच हुए थे. निर्माण के 45 साल के दौरान भवनों का कभी रेनोवेशन नहीं हुआ. जो हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ, उसे उसी तरह से छोड़ दिया गया.
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