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कोरोना से हुई मौत को हार्टअटैक से मौत बताने पर MLC ने सदन में मांगा जवाब, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा तीन सदस्यीय समिति करेगी जांच - सरकार से जवाब

विधानसभा में मानसून सत्र के दौरान विधान परिषद सदस्य रामबचन राय और रामेश्वर महतो ने सदन में सरकार से कोरोना से हुई मौत को हार्टफेल से मौत बताये जाने पर सरकार से जवाब मांगा.

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Published : Jul 28, 2021, 6:13 AM IST

पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) का मानसून सत्र जारी है. विधानसभा में मानसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान विधान परिषद सदस्य रामबचन राय और रामेश्वर महतो ने ध्यानाकर्षण के तहत सदन में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई मौत को हार्टफेल होने की वजह मौत लिखे जाने को कोरोना से हुई मौत बताया और पीड़ित परिवार को कोरोना से हुई मौत के मामले में सरकार से जवाब मांगा. जिस पर सभापति ने स्वास्थ्य मंत्री से जांच कराने को कहा.

ये भी पढ़ें- बिहार NDA में खेला शुरू... गिरने वाली है नीतीश सरकार... तेजस्वी 15 अगस्त को फहराएंगे झंडा, RJD विधायक का दावा

बता दें कि विधान परिषद रामबचन राय और रामेश्वर महतो ने ध्यानाकर्षण के तहत सवाल पूछा कि कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के चलते अप्रैल और मई में भारी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई. 10 मई को भोजपुर जिले के नरही ग्राम के पवन कुमार सिंह के इकलौते पुत्र शंकर को सांस की तकलीफ और ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण सदर अस्पताल आरा में भर्ती कराया गया. जिसका निबंधन संख्या 28564 है. कोविड इमरजेंसी वार्ड में इन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया. परंतु अगली शाम में इमरजेंसी वार्ड में ही इनकी मृत्यु हो गयी. मृत्यु के पश्चात् चिकित्सक ने मृत्यु का कारण हार्टफेल होना दर्शाया. जिसमें मृतक की माता मंजू देवी आज तक मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं.

दूसरा मामला इसी गांव के सुरेश चन्द्र सिंह का है. जिन्हें सांस की तकलीफ होने पर दिनांक 04 मई को सदर अस्पताल आरा में भर्ती कराया गया. जिसका निबंधन संख्या C27912 है. इन्हें भी कोविड इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया और चार दिनों तक ऑक्सीजन पर रखा गया. 08 मई को इमरजेंसी वार्ड में ही इनकी मृत्यु हो गयी. इनकी विधवा को भी कोविड से मृत्यु का प्रमाण-पत्र अबतक नहीं दिया गया है. जिसके चलते मुआवजा की राशि नहीं मिल पायी.

विधान परिषद सदस्य ने कहा कि सबसे दुःखद बात यह है कि दोनों मरीज का न तो समुचित इलाज किया गया और न ही कोरोना से मृत्यु संबंधी प्रमाण-पत्र दिया गया. जिससे दोनों पीड़ित महिलाएं मुआवजा के लिए भटक रही हैं. दोनों पीडित महिलाओं को क़विड-19 के कारण मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करते हुए मुआवजा की राशि का भुगतान करने और चिकित्सा में हुए लापरवाही के लिए दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के संबंध में सरकार स्पष्ट वक्तव्य दे.

ये भी पढ़ें- तेजस्वी ने स्पीकर को बताया 'सरकार की कठपुतली' तो बोली BJP- बहुमत का कद्र नहीं करता विपक्ष

वहीं, इन दोनों मामलों में विधान परिषद सभापति ने कहा कि यह बहुत गलत हुआ. कोरोना वायरस से हुई मौत को हार्ट अटैक से हुई मौत बता दिया गया. उन्होंने इस मामले में क्रिमिनल केस चलाने की बात कही. जिस पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने सदन को मामले में जांच कराये जाने का आश्वासन दिया और कहा कि डायरेक्टर इन चीफ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी इस पूरे मामले की जांच करेगी और पीड़ितों को न्याय दिलाएगी.

पटना: बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) का मानसून सत्र जारी है. विधानसभा में मानसून सत्र (Monsoon Session) के दौरान विधान परिषद सदस्य रामबचन राय और रामेश्वर महतो ने ध्यानाकर्षण के तहत सदन में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई मौत को हार्टफेल होने की वजह मौत लिखे जाने को कोरोना से हुई मौत बताया और पीड़ित परिवार को कोरोना से हुई मौत के मामले में सरकार से जवाब मांगा. जिस पर सभापति ने स्वास्थ्य मंत्री से जांच कराने को कहा.

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बता दें कि विधान परिषद रामबचन राय और रामेश्वर महतो ने ध्यानाकर्षण के तहत सवाल पूछा कि कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के चलते अप्रैल और मई में भारी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई. 10 मई को भोजपुर जिले के नरही ग्राम के पवन कुमार सिंह के इकलौते पुत्र शंकर को सांस की तकलीफ और ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण सदर अस्पताल आरा में भर्ती कराया गया. जिसका निबंधन संख्या 28564 है. कोविड इमरजेंसी वार्ड में इन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया. परंतु अगली शाम में इमरजेंसी वार्ड में ही इनकी मृत्यु हो गयी. मृत्यु के पश्चात् चिकित्सक ने मृत्यु का कारण हार्टफेल होना दर्शाया. जिसमें मृतक की माता मंजू देवी आज तक मुआवजे के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं.

दूसरा मामला इसी गांव के सुरेश चन्द्र सिंह का है. जिन्हें सांस की तकलीफ होने पर दिनांक 04 मई को सदर अस्पताल आरा में भर्ती कराया गया. जिसका निबंधन संख्या C27912 है. इन्हें भी कोविड इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया और चार दिनों तक ऑक्सीजन पर रखा गया. 08 मई को इमरजेंसी वार्ड में ही इनकी मृत्यु हो गयी. इनकी विधवा को भी कोविड से मृत्यु का प्रमाण-पत्र अबतक नहीं दिया गया है. जिसके चलते मुआवजा की राशि नहीं मिल पायी.

विधान परिषद सदस्य ने कहा कि सबसे दुःखद बात यह है कि दोनों मरीज का न तो समुचित इलाज किया गया और न ही कोरोना से मृत्यु संबंधी प्रमाण-पत्र दिया गया. जिससे दोनों पीड़ित महिलाएं मुआवजा के लिए भटक रही हैं. दोनों पीडित महिलाओं को क़विड-19 के कारण मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करते हुए मुआवजा की राशि का भुगतान करने और चिकित्सा में हुए लापरवाही के लिए दोषी पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के संबंध में सरकार स्पष्ट वक्तव्य दे.

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वहीं, इन दोनों मामलों में विधान परिषद सभापति ने कहा कि यह बहुत गलत हुआ. कोरोना वायरस से हुई मौत को हार्ट अटैक से हुई मौत बता दिया गया. उन्होंने इस मामले में क्रिमिनल केस चलाने की बात कही. जिस पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने सदन को मामले में जांच कराये जाने का आश्वासन दिया और कहा कि डायरेक्टर इन चीफ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी इस पूरे मामले की जांच करेगी और पीड़ितों को न्याय दिलाएगी.

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