पटना: राजधानी में 100 से ज्यादा नगर सेवा की बसें चल रही हैं. जिनमें हर दिन हजारों की संख्या में लोग सफर करते हैं. पटना के एक छोर से दूसरे छोर तक यह बसें लोगों को लाती और ले जाती हैं. लेकिन इनमें से ज्यादातर बसों में फर्स्ट एड किट नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने जब कुछ बसों का हाल जाना तो उसमें फर्स्ट एड किट की कमी पायी गई.
फर्स्ट एड किट की कमी
यात्रियों के मुताबिक यात्रा के दौरान दुर्घटना होने की स्थिति में प्राथमिक उपचार के लिए फर्स्ट एड किट का पब्लिक ट्रांसपोर्ट में होना अत्यंत जरूरी है. इस फर्स्ट एड किट में प्राथमिक उपचार में काम आने वाली दवाई, टिंक्चर मलहम और पट्टी होती है जो अत्यंत उपयोगी है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में फर्स्ट एड किट का होना और इसे आसानी से यात्रियों को उपलब्ध भी कराना अत्यंत आवश्यक है, लेकिन राजधानी में चल रही बसों में या तो फर्स्ट एड किट नहीं है. अगर कहां फर्स्ट एड किट उपलब्ध है तो उसमें इलाज के लिए कोई सामान ही उपलब्ध नहीं है.
ये भी पढ़ें-10 सर्कुलर रोड में जुटेंगे तेजस्वी के सिपहसालार, धन्यवाद यात्रा पर बनेगी रणनीति
जाहिर तौर पर यह बड़ी लापरवाही बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के अधीन चल रही बसों में सामने आई है. ईटीवी भारत की टीम ने जब ऐसे ही कुछ बसों का हाल जाना तो बस ड्राइवर भी पल्ला झाड़ते नजर आए. यात्रियों का कहना है कि फर्स्ट एड किट अगर बस में नहीं है तो इसे तुरंत उपलब्ध कराना चाहिए.
फर्स्ट एड किट की आवश्यकता
प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स या फर्स्ट एड किट में आपातकालीन स्थिति में प्रयोग करने के लिए दवा उपकरण और अपनी सुरक्षा करने वाला कुछ सामान होता है. इस किट को आपातकाल की स्थिति में किसी घायल व्यक्ति के प्राथमिक उपचार के लिए उपयोग किया जाता है. फर्स्ट एड किट में सामान्य तौर पर छोटी मध्यम और बड़ी साइज की पट्टियां, तिकोना बैंडेज, डिस्पोजेबल ग्लब, चिमटी, कैंची, चिपकाने वाली टेप, एंटीसेप्टिक क्रीम, पेरासिटामोल और एस्प्रिन जैसी दवाएं शामिल होती हैं.
नगर सेवा की बसों का संचालन
बता दें कि राजधानी के विभिन्न मार्गों पर 100 से ज्यादा नगर सेवा की बसों का संचालन बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के अधीन होता है. निगम की तरफ से यह दावा भी किया जाता है कि बस में तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है. ताकि यात्रियों को कोई परेशानी ना हो फिर भी फर्स्ट एड किट जैसी अत्यंत जरूरी आपातकालीन सामग्री का बस में उपलब्ध नहीं होना पथ परिवहन निगम की व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.