पटना: केंद्रीय कर्मियों के जनवरी 2020 से जनवरी 2021 तक के डीए पर रोक लगाए जाने के कारण रेलवे कर्मचारियों ने विरोध में काला दिवस मनाया. सरकार के इस फैसले से नाराज ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के बैनर तले सोमवार को राजेंद्र नगर के रेलवे कोचिंग कंपलेक्स में जमकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस दौरान सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के कई अधिकारी भी मौजूद रहे और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही इस आदेश को वापस लेने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही.
सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के सहायक महामंत्री एसएसडी मिश्रा ने कहा कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर सरकार की श्रमिक विरोधी नीति के विरोध में धरना दिया. उन्होंने कहा कि पूरे लॉक डाउन पीरियड में रेलकर्मी पूरी लगन से काम करते हैं. साथ ही इस कोरोना काल मे भी कर्मचारियों ने आर्थिक सहायता भी की.
कोरोना काल में कर्मियों ने की सरकार की मदद
एसएसडी मिश्रा ने आगे बताया कि अप्रैल महीने में सभी कर्मचारियों ने अपने 1 दिन का वेतन प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में जमा किया. इसके अलावे मई महीने में जोन के रेल कर्मियों ने 300 और अधिकारियों ने 1000 रुपये से बिहार की आर्थिक सहायता की. उन्होंने कहा कि बावजूद इसके बिना किसी बातचीत के सरकार ने डीए में कटौती का फैसला ले लिया है, जोकि सरासर गलत है.
कर्मचारियों की सरकार से मांग
यूनियन के सहायक महामंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सारे ग्रेड को सरकार मर्जर करने का काम कर रही है, यह सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि इसके साथ सरकार श्रमिक विरोधी नीति अपनाते हुए श्रम कानून में बदलाव करते हुए 12 घंटे कार्य करने का अध्यादेश लेकर आई है. जबकि काफी लंबी लड़ाई के बाद 8 घंटे की ड्यूटी का निर्णय हुआ था. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर सरकार इन फैसलों को वापस नहीं लेती है तो हम आने वाले दिनों में और मजबूती से लड़ाई लड़ेंगे.