पटना : बिहार में राष्ट्रीय जनता दल वैसे तो सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी है. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने पार्टी को बड़ा झटका दिया है. विशेष रूप से तब, जब लालू यादव जेल में हैं और तेज-तेजस्वी के बीच की केमिस्ट्री पार्टी पर भारी पड़ रही है.
ऐसे में सवाल तेजस्वी यादव पर उठ रहे हैं कि कैसे वे इस विषम स्थिति में पार्टी को आगे ले जाएंगे. दरअसल, तेजस्वी यादव सवालों के घेरे में हैं. सवाल इसलिए क्योंकि स्थापना के बाद से आज तक राष्ट्रीय जनता दल की ऐसी दुर्गति कभी नहीं हुई है. सवाल इसलिए क्योंकि उनके बड़े भाई के साथ उनका विवाद पार्टी पर भारी पड़ा है. सवाल इसलिए भी क्योंकि पार्टी की हार के पीछे नेतृत्व ही सवालों के घेरे में होता है और नेतृत्व तेजस्वी यादव कर रहे थे.
तेजस्वी की हर स्ट्रेटजी फेल
चाहे सवर्ण आरक्षण का मामला हो, टिकट बंटवारा का हो या फिर चुनाव प्रचार में की गयी बात की हो. हर मोर्चे पर तेजस्वी यादव की स्ट्रेटजी बुरी तरह फेल हो गयी. बीजेपी नेता संजय टाइगर का कहना है कि तेजस्वी यादव आज जिस जगह पर हैं वह सिर्फ लालू के बेटे होने के कारण हैं. उनमें ना तो क्षमता है और ना ही राजनीतिक अनुभव की वे ऐसे महत्वपूर्ण समय में पार्टी को संभाल सकें.
राजद नेता तेजस्वी के साथ
इन सब के बावजूद राजद के नेता पूरी तरह से तेजस्वी यादव के साथ दिखे. मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेन्द्र का कहना है कि विधानसभा के उपचुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही जीत मिली थी और आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में भी हम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही बेहतर कर पाएंगे. हालांकि हाल में हुई बैठकों में कहीं ना कहीं पार्टी के कई नेता तेजस्वी यादव के साथ चलने को लेकर एकमत नहीं दिखे. इस मामले में कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है.
क्या कहते हैं महेश्वर यादव
महेश्वर यादव ने तो साफ कह दिया है कि तेजस्वी को हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा सौंपना चाहिए. परिवारवाद से निकलकर पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को जिम्मेदारी सौंप देनी चाहिए. लिहाजा शरद यादव, मांझी और कुशवाहा जैसे महागठबंधन के दिग्गज और अपने परिवार में बड़े भाई तेज प्रताप जैसे नेताओं से तेजस्वी कैसे पार पाते हैं और भविष्य के लिए क्या रणनीति बनाते हैं ये वक्त ही बताएगा.