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मुंगेर फायरिंग मामले में पटना HC में जनहित याचिका दायर

मुंगेर में पुलिस फायरिंग के पीड़ित की निष्पक्ष सुनवाई करने और जल्द न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर किया है.

Patna High Court
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Published : Dec 25, 2020, 10:38 PM IST

पटना: बिहार के मुंगेर में पुलिस फायरिंग के पीड़ित की निष्पक्ष सुनवाई करने और जल्द न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर किया है. साथ ही उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की है.

सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने बताया, "2 महीने बीत चुके हैं लेकिन अनुराग कुमार (18) की मां को न्याय दिलाने के लिए अब तक कुछ नहीं हुआ है. 26 अक्टूबर को मां दुर्गा के विसर्जन के दौरान मुंगेर में दीन दयाल उपाध्याय चौक पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में अनुराग की मौत हो गई थी."

सीबीआई से जांच की सिफारिश
उन्होंने आगे कहा, "इस मामले की जांच करने के लिए बिहार पुलिस ने मगध रेंज के डिवीजनल कमिश्नर असंगबा चुबा आव के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जबकि उनके ही पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगे हुए थे. हमारा मानना है कि ऐसे में बिहार सरकार मामले की निष्पक्ष जांच नहीं करेगी. इसलिए हमने पटना हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि वह बिहार सरकार को मामले की सीबीआई से निष्पक्ष और तुरंत जांच कराने की सिफारिश करे."

उन्होंने आगे कहा, "प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, 26 अक्टूबर, 2020 को मृतक निर्दोष और निहत्था था. उसी समय पुलिसकर्मी सुशील कुमार सिंह और अन्य ने निर्दोष भक्तों पर कई राउंड गोलियां चलाईं जिसमें एक की मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस कर्मियों ने बिना चेतावनी दिए भक्तों पर गोलियां चलाईं."

श्रीवास्तव ने सीआईएसएफ की उस इंटरनल रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि बिहार पुलिस के जवानों ने फायरिंग में मां दुर्गा के भक्तों को निशाना बनाया था.

उन्होंने यह भी कहा, "घटना के बाद भारत के चुनाव आयोग ने मुंगेर के एसपी लिपि सिंह और कलेक्टर राजेश मीणा का ट्रासंफर कर दिया था. इससे ऐसा लगता है कि इस मामले में पुलिस-प्रशासन ही दोषी है.

पटना: बिहार के मुंगेर में पुलिस फायरिंग के पीड़ित की निष्पक्ष सुनवाई करने और जल्द न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर किया है. साथ ही उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की है.

सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने बताया, "2 महीने बीत चुके हैं लेकिन अनुराग कुमार (18) की मां को न्याय दिलाने के लिए अब तक कुछ नहीं हुआ है. 26 अक्टूबर को मां दुर्गा के विसर्जन के दौरान मुंगेर में दीन दयाल उपाध्याय चौक पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में अनुराग की मौत हो गई थी."

सीबीआई से जांच की सिफारिश
उन्होंने आगे कहा, "इस मामले की जांच करने के लिए बिहार पुलिस ने मगध रेंज के डिवीजनल कमिश्नर असंगबा चुबा आव के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जबकि उनके ही पुलिस अधिकारियों पर आरोप लगे हुए थे. हमारा मानना है कि ऐसे में बिहार सरकार मामले की निष्पक्ष जांच नहीं करेगी. इसलिए हमने पटना हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि वह बिहार सरकार को मामले की सीबीआई से निष्पक्ष और तुरंत जांच कराने की सिफारिश करे."

उन्होंने आगे कहा, "प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, 26 अक्टूबर, 2020 को मृतक निर्दोष और निहत्था था. उसी समय पुलिसकर्मी सुशील कुमार सिंह और अन्य ने निर्दोष भक्तों पर कई राउंड गोलियां चलाईं जिसमें एक की मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस कर्मियों ने बिना चेतावनी दिए भक्तों पर गोलियां चलाईं."

श्रीवास्तव ने सीआईएसएफ की उस इंटरनल रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि बिहार पुलिस के जवानों ने फायरिंग में मां दुर्गा के भक्तों को निशाना बनाया था.

उन्होंने यह भी कहा, "घटना के बाद भारत के चुनाव आयोग ने मुंगेर के एसपी लिपि सिंह और कलेक्टर राजेश मीणा का ट्रासंफर कर दिया था. इससे ऐसा लगता है कि इस मामले में पुलिस-प्रशासन ही दोषी है.

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