पटनाः बिहार में शिक्षक भर्ती नियमावली (Shikshak Niyamawali 2023) जारी होने के बाद से विरोध हो रहा है. इसी बीच बीपीएससी के चेयरमेन अतुल प्रसाद का एक ट्वीट सामने आया है, जिसका भी छात्र विरोध कर रहे हैं. बिहार लोक सेवा आयोग के चेयरमैन अतुल प्रसाद ने मंगलवार को एक ट्वीट किया है, जिसमें लिखा कि "बीपीएससी परीक्षा 'सार्वजनिक सेवा' के लिए उम्मीदवार चुनने के लिए होती है, लेकिन ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या बहुत ही कम होती है." इसके बाद से उनकी यह ट्वीट का विरोध हो रहा है. बीपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वालों के साथ साथ शिक्षक अभ्यर्थी भी इसका विरोध कर रहे हैं.
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अक्षमता को अभ्यर्थियों के ऊपर मढ़ा जा रहाः अतुल प्रसाद के ट्वीट का छात्र नेता, बीपीएससी अभ्यर्थी और बीपीएससी परीक्षा की तैयारी कराने वाले शिक्षक आपत्ति जता रहे हैं. छात्र नेता और युवा हल्ला बोल के संस्थापक अनुपम ने आयोग के अध्यक्ष के इस ट्वीट को गैर जिम्मेदाराना बयान बताया है. उन्होंने कहा है कि "ऐसे आयोगों की भूमिका लोक सेवा के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा की पहचान करना है. ट्विटर पर इस प्रकार का स्टेटमेंट जारी कर आयोग के अध्यक्ष अपनी अक्षमता को अभ्यर्थियों के ऊपर मढ़ रहे हैं."
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आयोग भी जिम्मेदारः बीपीएससी अभ्यर्थी और छात्र नेता सौरव कुमार ने कहा कि "आयोग के अध्यक्ष का यह ट्वीट निश्चित रूप से चुने हुए अभ्यर्थियों की कार्यशैली को देखते हुए किया गया होगा. संघ लोक सेवा आयोग या किसी भी राज्य लोक सेवा आयोग के अधिकारियों का एकमात्र उद्देश्य सरकार की नीतियों को लागू करना होता है परंतु कुछ ही अधिकारी ऐसे हैं जो उस पर खरे उतरते हैं. उनका यह ट्वीट निश्चित रूप से समाज में गिरते नैतिकता के स्तर को दर्शाते हुए किया गया है, लेकिन कहीं ना कहीं ऐसे आयोग भी जिम्मेदार हैं जो पब्लिक सर्विस के लिए सही उम्मीदवार नहीं चुन पा रहे."
व्याप्त भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिएः आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद के ट्वीट पर शुभम साकेत ने रीट्विट करते हुए कहा है कि "बहुत सही कहा सर आपने लेकिन यह तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब समाज में साफ सुथरा पॉलीटिकल सिस्टम हो और सभी स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए. लोगों को क्वालिटी एजुकेशन दिया जाए और रूल ऑफ लॉ सभी के लिए समानता से लागू हो." छात्र राहुल कुमार ने लिखा है कि "जब बीपीएससी एग्जाम में दो-चार से लेकर 10 से 12 क्वेश्चन गलत हो रहे हैं और उसे डिलीट किया जा रहा है, ऐसे में एग्जाम का मतलब ही क्या रह गया है. गलत क्वेश्चन की भी कुछ लिमिट होनी चाहिए कि दो या तीन से अधिक गलत क्वेश्चन आए तो परीक्षाएं कैंसिल कर दिया जाए."
गुरुरहमान ने क्या कहा?: बीपीएससी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षाविद गुरु रहमान ने कहा है कि ऐसे प्रमुख पद पर बैठे व्यक्ति को इस प्रकार की टिप्पणी शोभा नहीं देती है. आयोग के अध्यक्ष को ऐसे ट्वीट करने से बचना चाहिए. बीपीएससी जब वैकेंसी निकालती है तो सीट की संख्या काफी कम होती है. 300 से 700 के बीच में सीटे रहती हैं. 6 से 7 लाख के करीब अभ्यर्थी सम्मिलित होते हैं. इसमें हजारों और लाखों की संख्या में ऐसे जुनूनी छात्र होते हैं जो सिस्टम में आकर आम जनता की सेवा करना चाहते हैं. बेहतर कैरियर को छोड़कर बीपीएससी ज्वाइन करना चाहते हैं. मकसद सिर्फ सिस्टम से जुड़ कर लोगों की सेवा करना होता है.
अधिकारियों के कार्यशैली से असंतुष्टः आयोग के अध्यक्ष की टिप्पणी को देखकर लगता है कि बीपीएससी से चुने हुए अधिकारियों के कार्यशैली से असंतुष्ट हैं. उन्हें लगता है कि पब्लिक सर्विस का जो उद्देश्य है वह पूरा नहीं कर पा रहे. ऐसे में यह पूरी तरह से आयोग की गलती है. आयोग का काम होता है कि बेहतर अभ्यर्थियों को चुने और उन्हें पब्लिक सर्विस के क्षेत्र में और बेहतर करने के लिए तैयार करे. आयोग के अध्यक्ष का यह कहना कि बहुत ही कम अभ्यर्थी ऐसे होते हैं जो पब्लिक सर्विस के उद्देश्य को अमल करते हैं. पब्लिक सर्विस के क्षेत्र में कोई बड़ा काम नहीं कर पाते तो इसके लिए सरकार और सिस्टम दोषी है.
"ऐसे प्रमुख पदों पर बैठे अधिकारी को यह ट्वीट करना शोभा नहीं देता है. आयोग के अध्यक्ष को इससे बचना चाहिए. आयोग के द्वारा चुने गए अधिकारी कोई बड़ा काम नहीं कर पाते हैं तो इसमें सरकार और सिस्टम दोषी है. बीपीएससी में वैकेंसी के वक्त सीट की संख्या कम होती है. 300 से 700 सीट के लिए 6 से 7 लाख अभ्यर्थी परीक्षा देते हैं. इसमें कुछ ही छात्र होते हैं, जो पास कर पाते हैं." -गुरु रहमान, शिक्षाविद