पटना: बिहार विधानसभा का बजट सत्र (Bihar Legistrative Assembly Session) चल रहा है. ऐसे में विपक्ष तो सरकार को कई मुद्दे पर घेर रही है. जबकि आज सत्ता पक्ष में शामिल वाम दलों के विधायकों ने सरकार की नीति को लेकर प्रदर्शन किया है. सदन में आज स्वास्थ्य विभाग का बजट पेश होने वाला है. वहीं सरकार में सहयोगी वाम दल के विधायकों ने बिहार में स्वास्थ्य सेवा को लेकर प्रदर्शन किया है. वाम दल के विधायकों का कहना है कि लगातार सरकार अस्पताल का निजीकरण करने में जुटी है. जो कतई सहीं फैसला नहीं है. इस मामले पर सभी अस्पतालों को सरकार को निजीकरण नहीं कर उसमें सभी तरह की सुविधाएं देनी चाहिए.
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"सरकार को कोरोना काल में सबकी मदद करने वाली आशा कर्मी को 21 हजार मानदेय देना चाहिए. कई आशा कर्मियों को कोरोना के समय के लंबित भुगतान को अभी तक साफ नहीं किया गया है, उनलोगों को पैसे भुगतान करने की मांग करते हैं. - मनोज मंजिल, माले विधायक
अस्पतालों का नहीं हो निजीकरण: भाकपा माले विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि सरकार को सभी आशाकर्मियों को 21 हजार मानदेय वेतन के रुप में देना चाहिए. अगर सरकार कोरोना काल में लगातार सबकी मदद करने वाली आशा कर्मी को 21 हजार मानदेय नहीं देती है. तब यह बिल्कुल सही बात साबित नहीं होगी. कई आशा कर्मियों को कोरोना के समय के लंबित भुगतान को नहीं साफ किया गया है. इसकी भी हमलोग मांग करते हैं. सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग को आशा कर्मी का बकाया वेतन का भुगतान करना चाहिए. इसके साथ ही बिहार में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति को सुधारना चाहिए. विशेष तौर पर सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
निजी अस्पतालों की लूट खसोट हो बंद: वहीं भाकपा माले विधायक मनोज मंजिल ने सरकार को खरी- खरी सुनाई कि सरकार कई अस्पतालों का निजीकरण बिहार में कर रही है. इसे पूरी तरह से सरकारी ही रखा जाए. इसके साथ ही वहां पर सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए. वहीं कई निजी अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को लेकर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. कई निजी अस्पताल में खुलेआम लूटे जा रहे हैं. सरकार को इस लूट खसोट पर भी लगाम लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में जब तक सरकार सुविधा बहाल नहीं करेगी. तब तक हमलोग सदन में इसका जवाब सरकार से हर समय मांगते रहेंगे.