पटनाः राजधानी में 77 वर्षों से स्थापित रक्षा लेखा नियंत्रक कार्यालय के स्थानांतरण का सीडीए (कंट्रोलर आफ डिफेंस अकाउंट्स) पटना के कर्मचारियों ने विरोध किया. सीडीए कार्यालय के स्थानांतरण के विरोध में कर्मचारियों ने सीडीए बिल्डिंग के बाहर सड़क पर जमकर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान कर्मचारियों ने कहा कि किसी भी हाल में इस कार्यालय का स्थानांतरण नहीं होने दिया जाएगा.
कोलकाता में होगा स्थानांतरण
वरीय लेखा अधिकारी अनुपम सिन्हा ने कहा की यह कार्यालय बिहार की अस्मिता की प्रतीक है. डॉ राजेंद्र प्रसाद इसे 1942 में लाहौर से पटना लाए थे. यह देश भर का सबसे सर्वश्रेष्ठ परफॉर्मेंस देने वाला ऑफिस है और इसके खिलाफ कोई भी कंप्लेंट रक्षा लेखा महानियंत्रक कार्यालय नई दिल्ली को नहीं मिली है. फिर भी इसे विभाजित करके एक बड़ा हिस्सा कोलकाता स्थापित किया जा रहा है. जहां पहले से ही रक्षा लेखा नियंत्रक से संबंधित पांच कार्यालय स्थापित हैं. जबकि बिहार में यही एकमात्र कार्यालय है.
कर्मचारियों को होगी परेशानी
धरना दे रहे कर्मचारियों ने बताया कि विश्वस्त सूत्रों से पता चला कि रक्षा लेखा महानियंत्रक कार्यालय, नई दिल्ली और पटना के कुछ शीर्ष अधिकारी जो पश्चिम बंगाल का ही सोचते हैं, वह पटना स्थित एक मात्र सीडीए कार्यालय को विभाजित करके कोलकाता में स्थानांतरित करने का आदेश दे चुके हैं. जो कि बिहार के लिए बिल्कुल गलत है. इससे यहां के कर्मचारियों को अत्यधिक परेशानी होगी.
केंद्रीय कार्यालय की संख्या कम
उन्होंने कहा कि वैसे भी बिहार में अन्य राज्यों की अपेक्षा केंद्र सरकार के कार्यालयों की संख्या काफी कम है और इस स्थिति में इस कार्यालय का एक बड़ा हिस्सा स्थानांतरित करके कोलकाता भेजे जाने का फैसला काफी गलत है, क्योंकि राज्य में भी केंद्र सरकार के कुछ कार्यालय एक सही अनुपात में होने चाहिए. मुख्यमंत्री भी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. वर्तमान में इस कार्यालय में बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, आसाम जैसे पांच राज्य में स्थापित सेना के संस्थानों के वित्तीय लेखा-जोखा का काम यहां के हजारों कर्मचारियों द्वारा बेहतरीन तरीके से किया जा रहा है.
लाखों रुपये का होगा नुकसान
कार्यालय में कार्यरत कुल 17000 कर्मचारियों में से 8000 कर्मचारी बिहार के ही हैं और स्थानांतरण के इस फैसले से कर्मचारियों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा. कर्मचारियों ने बताया कि कार्यालय के बड़े हिस्से का कोलकाता स्थानांतरण होने से इसके कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या कम हो जाएगी और अधिकारियों को लाखों रुपये का स्थानांतरण भत्ता देना पड़ेगा. जिससे विभाग पर लाखों रुपए का वित्तीय बोझ बढ़ेगा और कार्य संस्कृति पर भी बुरा असर पड़ेगा.
राष्ट्रपति को भेजा गया पत्र
धरना प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने पर भी यह बड़ा प्रहार है. प्रधानमंत्री मोदी डिजिटल इंडिया और डिसेंट्रलाइजेशन आफ पावर की बात करते हैं. अगर किसी बड़े अधिकारी को यहां के अधिकारियों से बात करनी है तो वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए फिजिकल डिसलोकेट करके कोलकाता ले जाने का यह फैसला गलत है. फैसले के विरोध में कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को पत्र भी भेजा और इसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री, केंद्रीय रक्षा मंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री बिहार को भी भेजा.