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65 से ज्यादा किताबों के लेखक हैं गणितज्ञ केसी सिन्हा, सिर्फ बिहार ही नहीं दुनिया में भी चर्चित

प्रोफेसर केसी सिन्हा इन दिनों पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. पीयू से अवकाश प्राप्त करने के बाद उनकी योजना गरीब छात्रों को निशुल्क शिक्षा देने की है. हालांकि उन्होंने इसकी शुरुआत भी कर दी है

गणित के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कीर्तिमान बना चुके हैं प्रोफेसर केसी सिन्हा
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Published : Aug 18, 2019, 2:10 PM IST

पटना : बिहार में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हुई हैं. इनमें से एक बड़ा नाम गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा का भी है. जिनकी पहचान सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि देश विदेश में भी गणितज्ञ के तौर पर हो चुकी है. प्रोफेसर केसी सिन्हा ने गणितज्ञ के तौर पर पूरे देश दुनिया में अपना नाम स्थापित किया है. फिलहाल वह पटना विश्वविद्यालय के पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. केसी सिन्हा सुपर थर्टी फिल्म के चर्चीत गणितज्ञ आनंद कुमार के गुरु भी रहें हैं. प्रोफेसर केसी सिन्हा से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की.

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प्रोफेसर केसी सिन्हा

साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं केसी सिन्हा
प्रोफेसर केसी सिन्हा इन दिनों पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. पीयू से अवकाश प्राप्त करने के बाद उनकी योजना गरीब छात्रों को निशुल्क शिक्षा देने की है. हालांकि उन्होंने इसकी शुरुआत भी कर दी है. केसी सिन्हा एक ट्रस्ट के माध्यम से 18 छात्र को पढ़ा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद छात्रों की संख्या में इजाफा कर लूंगा.

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साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं केसी सिन्हा

घर में हमेशा से अनुशासन और पढ़ाई का माहौल था

प्रोफेसर केसी सिन्हा अपने बारे में बताते हैं कि मैं भाई बहनों में पांचवें नंबर पर था. मेरा जन्म एक साधारण परिवार में हुआ. पुश्तैनी गांव बिहार के भभुआ जिले के चैनपुर के बिउर गांव में था. इनके इलाके में 95% मुस्लिम आबादी थी. उनकी क्लास 3 तक की पढ़ाई गांव के ही एक हाफिज साहब से हुई. उनके पिताजी स्वर्गीय रेवती रमण प्रसाद एक साधारण अधिवक्ता थे. आरा जिले में प्रैक्टिस करते थे. उन्होंने बताया कि दादा जी के स्वर्गवास के बाद पिताजी पर सबकी जिम्मेदारी आ गई. इसके बाद हम सभी आरा में शिफ्ट हो गए. उस वक्त इतना बड़ा परिवार चलाना काफी मुश्किल होता था. इसके बावजूद घर में अनुशासन और पढ़ाई का माहौल हमेशा रहा.

टॉपर बनने पर नेशनल मेरिट स्कॉलरशिप के तहत मिले थे ₹60

1968 में मैट्रिक के परीक्षा में वह स्कूल टॉपर रहे. इसके बाद पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्री यूनिवर्सिटी में दाखिला हुआ. उन्होंने बताया कि उस वक्त साइंस कॉलेज में दाखिला लेना एक सपने का साकार होने जैसा था. टॉपर बनने पर नेशनल मेरिट स्कॉलरशिप के तहत ₹60 मिले थे. उन्होंने कहा कि सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला हो गया था. लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इंजीनियरिंग कॉलेज में वह नहीं जा सके. जिसके बाद साइंस कॉलेज में 1970 में डिग्री वन में दाखिला लिया. इसके बाद केसी सिन्हा ने पीएचडी में रजिस्ट्रेशन करा लिया और17 जनवरी 1977 को विश्वविद्यालय के एचडी जैन कॉलेज आरा में बतौर व्याख्याता ज्वाइन कर लिया. यहां पर 10 लोगों की सूची में उनका पहला स्थान था. इसके बाद 28 जनवरी 1983 को पटना विश्वविद्यालय में सिलेक्शन कमिटी के माध्यम से उनका चयन हो गया. वे कहते हैं कि उसके बाद से मैं पटना विश्वविद्यालय का होकर रह गया हूं.

गणित के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कीर्तिमान बना चुके हैं प्रोफेसर केसी सिन्हा

अब तक 65 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं केसी सिन्हा

प्रोफेसर केसी सिंहा ने बताया कि शुरुआती समय में पढ़ने और पढ़ाने का शौक रहा है. उनका एक सपना था कि वो गणित में ऐसी किताब लिखें, जिससे छात्र-छात्राओं को काफी मदद मिले. गणित को बच्चे आसानी से समझ सकें. जिसके बाद उन्होंने 1982 में कॉर्डिनेट ज्योमैट्री पर कई पुस्तकें लिखी. वह बताते हैं कि उन्होंने अब तक कुल 65 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, और उनकी पुस्तक कक्षा वन से इंटर क्लास तक की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में ग्रेजुएशन और पीजी के छात्रों के लिए भी पुस्तकें लिख रहा हूं. जो जल्द ही मार्केट में आ जाएगी. बैंक और एसएससी की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी पुस्तकें लिख चुका हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गणित में बच्चों की रुचि और गणित जैसे कठिन विषय को आसान करने के लिए कैलकुलेशन और अलजेब्रा में कई ट्रिक भी वह लिखे चुके हैं.

पटना : बिहार में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हुई हैं. इनमें से एक बड़ा नाम गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा का भी है. जिनकी पहचान सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि देश विदेश में भी गणितज्ञ के तौर पर हो चुकी है. प्रोफेसर केसी सिन्हा ने गणितज्ञ के तौर पर पूरे देश दुनिया में अपना नाम स्थापित किया है. फिलहाल वह पटना विश्वविद्यालय के पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. केसी सिन्हा सुपर थर्टी फिल्म के चर्चीत गणितज्ञ आनंद कुमार के गुरु भी रहें हैं. प्रोफेसर केसी सिन्हा से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की.

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प्रोफेसर केसी सिन्हा

साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं केसी सिन्हा
प्रोफेसर केसी सिन्हा इन दिनों पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. पीयू से अवकाश प्राप्त करने के बाद उनकी योजना गरीब छात्रों को निशुल्क शिक्षा देने की है. हालांकि उन्होंने इसकी शुरुआत भी कर दी है. केसी सिन्हा एक ट्रस्ट के माध्यम से 18 छात्र को पढ़ा रहे हैं. उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद छात्रों की संख्या में इजाफा कर लूंगा.

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साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं केसी सिन्हा

घर में हमेशा से अनुशासन और पढ़ाई का माहौल था

प्रोफेसर केसी सिन्हा अपने बारे में बताते हैं कि मैं भाई बहनों में पांचवें नंबर पर था. मेरा जन्म एक साधारण परिवार में हुआ. पुश्तैनी गांव बिहार के भभुआ जिले के चैनपुर के बिउर गांव में था. इनके इलाके में 95% मुस्लिम आबादी थी. उनकी क्लास 3 तक की पढ़ाई गांव के ही एक हाफिज साहब से हुई. उनके पिताजी स्वर्गीय रेवती रमण प्रसाद एक साधारण अधिवक्ता थे. आरा जिले में प्रैक्टिस करते थे. उन्होंने बताया कि दादा जी के स्वर्गवास के बाद पिताजी पर सबकी जिम्मेदारी आ गई. इसके बाद हम सभी आरा में शिफ्ट हो गए. उस वक्त इतना बड़ा परिवार चलाना काफी मुश्किल होता था. इसके बावजूद घर में अनुशासन और पढ़ाई का माहौल हमेशा रहा.

टॉपर बनने पर नेशनल मेरिट स्कॉलरशिप के तहत मिले थे ₹60

1968 में मैट्रिक के परीक्षा में वह स्कूल टॉपर रहे. इसके बाद पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्री यूनिवर्सिटी में दाखिला हुआ. उन्होंने बताया कि उस वक्त साइंस कॉलेज में दाखिला लेना एक सपने का साकार होने जैसा था. टॉपर बनने पर नेशनल मेरिट स्कॉलरशिप के तहत ₹60 मिले थे. उन्होंने कहा कि सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला हो गया था. लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से इंजीनियरिंग कॉलेज में वह नहीं जा सके. जिसके बाद साइंस कॉलेज में 1970 में डिग्री वन में दाखिला लिया. इसके बाद केसी सिन्हा ने पीएचडी में रजिस्ट्रेशन करा लिया और17 जनवरी 1977 को विश्वविद्यालय के एचडी जैन कॉलेज आरा में बतौर व्याख्याता ज्वाइन कर लिया. यहां पर 10 लोगों की सूची में उनका पहला स्थान था. इसके बाद 28 जनवरी 1983 को पटना विश्वविद्यालय में सिलेक्शन कमिटी के माध्यम से उनका चयन हो गया. वे कहते हैं कि उसके बाद से मैं पटना विश्वविद्यालय का होकर रह गया हूं.

गणित के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कीर्तिमान बना चुके हैं प्रोफेसर केसी सिन्हा

अब तक 65 से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं केसी सिन्हा

प्रोफेसर केसी सिंहा ने बताया कि शुरुआती समय में पढ़ने और पढ़ाने का शौक रहा है. उनका एक सपना था कि वो गणित में ऐसी किताब लिखें, जिससे छात्र-छात्राओं को काफी मदद मिले. गणित को बच्चे आसानी से समझ सकें. जिसके बाद उन्होंने 1982 में कॉर्डिनेट ज्योमैट्री पर कई पुस्तकें लिखी. वह बताते हैं कि उन्होंने अब तक कुल 65 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, और उनकी पुस्तक कक्षा वन से इंटर क्लास तक की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ दिनों में ग्रेजुएशन और पीजी के छात्रों के लिए भी पुस्तकें लिख रहा हूं. जो जल्द ही मार्केट में आ जाएगी. बैंक और एसएससी की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी पुस्तकें लिख चुका हूं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गणित में बच्चों की रुचि और गणित जैसे कठिन विषय को आसान करने के लिए कैलकुलेशन और अलजेब्रा में कई ट्रिक भी वह लिखे चुके हैं.

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बिहार में एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं हुई है, इनमें से एक बड़ा नाम गणितज्ञ प्रोफेसर केसी सिन्हा का भी है, जिनकी पहचान सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि देश विदेशों में गणितज्ञ तौर पर हो चुकी है,
प्रोफेसर केसी सिन्हा गणितज्ञ के तौर पर पूरे देश दुनिया में अपना किर्तिमान स्थापित किया है, मौजूदा समय में पटना विश्वविद्यालय के पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं,सुपर थर्टी फिल्म से चर्चीत गणितज्ञ आनंद के गुरु भी केसी सिन्हा रहे है.......तो आईये सुनते है ईटीवी भारत पर प्रोफेसर केसी सिन्हा का एक इंटरव्यू......


Body:प्रोफेसर केसी सिन्हा इन दिनों पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं, पीयू से अवकाश प्राप्त करने के बाद गरीब छात्रों को निशुल्क शिक्षा देने की योजना है, हालांकि इसकी शुरुआत भी अब कर चुके हैं, एक ट्रस्ट के माध्यम से 18 छात्र को इन दिनों पढ़ा रहे हैं, उन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद छात्रों संख्या में इजाफा कर लूंगा, आने वाले दिनों में कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े प्लैनिंग करने जा रहे हैं, खासकर इंजीनियरिंग के छात्रों को तैयार करने की कोशिश होगी।


प्रोफेसर केसी सिंहा अपने बारे में बताते हैं कि मैं भाई बहनों में पांचवें नंबर पर था, एक साधारण परिवार में मेरा जन्म हुआ, पुश्तैनी गांव बिहार के भभुआ जिले के चैनपुर के बिउर गांव में था, इनके इलाके में 95% मुस्लिम आबादी थी, क्लास 3 तक की पढ़ाई गांव के ही एक हाफिज साहब से हुई, पिताजी स्वर्गीय रेवती रमण प्रसाद एक साधारण अधिवक्ता थे, आरा जिले में प्रैक्टिस करते थे, हम लोग दो बहन और चार भाई थे, तीन बुआ भी थी, दादा जी के स्वर्गवास के बाद पिताजी पर सबकी जिम्मेदारी आ गई, इसके बाद हम सभी आरा शिफ्ट हो गए, उस वक्त इतना बड़ा परिवार चलाना काफी मुश्किल होता था, बावजूद इसके, घर में अनुशासन एवं पढ़ाई का माहौल हमेशा रहा, मेरी सही तरीके से पढ़ाई की शुरुआत चौथी क्लास से आरा जिला हाई स्कूल से हुई, 1968 में मैट्रिक के परीक्षा में स्कूल टॉपर रहा, उस वक्त 80% से अधिक नंबर आए थे, इसके बाद पटना विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्री यूनिवर्सिटी में दाखिला हुआ, उस वक्त साइंस कॉलेज में दाखिला लेना एक सपने का साकार होने जैसा था, उस वक्त टॉपर बनने पर नेशनल मेरिट स्कॉलरशिप के तहत ₹60 मिले थे, मेरा सपना इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने का था, उस वक्त सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला हो गया था, पर आर्थिक तंगी की वजह से इंजीनियरिंग कॉलेज भी नहीं जा सका, साइंस कॉलेज में 1970 में डिग्री वन में दाखिला हुआ, सत्र 1970-71 में गणित में टॉपर बना,वहीं पीजी में सत्र 1972-74 में दाखिला लिया,इसकी परीक्षा जेपी आंदोलन की वजह से 1976 में हुई, जिसमें हमने टॉप किया, इसके बाद पीएचडी में रजिस्ट्रेशन करा लिया 17 जनवरी 1977 को विश्वविद्यालय के एचडी जैन कॉलेज आरा में बतौर ब्याख्याता ज्वाइन कर लिया, यहां पर 10 लोगों की सूची में मेरा पहला स्थान था, यहां पर 27 जनवरी तक इसके बाद 28 जनवरी 1983 को पटना विश्वविद्यालय में सिलेक्शन कमिटी के माध्यम से चयनित हो गया,उसके बाद से मै पटना विश्वविद्यालय का होकर रह गया हूं
इसी विश्वविद्यालय में 1993 में प्रोफेसर हो गया, शुरुआती समय में पढ़ने और पढ़ाने का शौक रहा है, मेरा एक सपना था कि मैं गणित में ऐसी किताब लिखूं जिससे छात्र-छात्राओं को काफी मदद मिले, गणित को बच्चे आसानी से समझ सके, मैंने 1982 में कॉर्डिनेट ज्योमैट्री पर पुस्तकें लिखी उसके बाद 1983 में कैलकुलस एवं अलजेब्रा पर पुस्तकें अब तक कुल 65 से अधिक पुस्तकें लिख चुका हूं मेरी पुस्तक कक्षा वन से इटर क्लास तक है


Conclusion:कुछ दिनों में ग्रेजुएशन और पीजी के छात्रों के लिए भी पुस्तकें लिख रहा हूं जो जल्द ही मार्केट में आ जाएगी बैंक और एसएससी की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए पुस्तकें लिख चुका हूं अब तक 40 हजार पेज लिख चुका हूं, गणित में बच्चों की रुचि और गणित जैसा कठिन विषय को आसान करने के लिए कैलकुलेशन एवं अलजेब्रा में कई ट्रीक भी हमने लिखे हैं



इंटरव्यू:--
प्रोफेसर केसी सिन्हा,गणितज्ञ
प्राचार्य, सांयस कॉलेज,पटना विश्वविद्यालय
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