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पटनाः शव जलाने वाले लोगों के घरों में मुश्किल से खाने का हो रहा जुगाड़

30 सालों में ऐसे हालात पहले कभी नहीं आए थे. रोज उनकी दुकान पर दर्जनों शवों के सामग्री खरीदने लोग बांस घाट आया करते थे और अब हालात यह है कि वह मुश्किल से एक दो शव बांस घाट आते हैं. जिससे परिवार का बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पा रहा है.

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Published : Apr 7, 2020, 8:51 PM IST

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पटनाः लॉक डाउन के दौरान लगभग सभी व्यवसाय पर इसका असर पड़ता नजर आ रहा है. हर वर्ग के व्यवसायी यह कह रहे हैं कि इस लॉक डाउन में उनका रोजगार पूरी तरह से चौपट हो गया है और इसी कड़ी में हम बात कर रहे हैं कुछ ऐसे व्यवसायियों की जिनसे आपकी मुलाकात घाट पर ही होती है. पटना के बांस घाट पर दाह संस्कार के सामग्रियों का व्यवसाय करने वाले लोग कहते हैं कि इस लॉक डाउन के दौरान उनका व्यवसाय भी पूरी तरह से चौपट हो गया है.

अन्य जिलों से शव जलाने पटना नहीं आ रहे हैं लोग
पटना के बांस घाट विद्युत शवदाह गृह कर्मी राजकुमार कहते हैं कि लॉक डाउन की वजह से विद्युत शवदाह गृह में भी जलने वाली शवो की संख्या में काफी कमी आई है. अमूमन इस विद्युत शवदाह गृह में रोज 10 से 12 शॉव जलने के लिए आते थे, पर लॉक डाउन होने की वजह से इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है. अब बमुश्किल से एक-दो शव विद्युत शब्द आगरी में जलने के लिए आ रहे हैं. वहीं, राजकुमार कहते हैं कि पहले अन्य जिलों से भी लोग अपने शव का दाह संस्कार करने बांस घाट और विद्युत शवदाह गृह पहुंचते थे, पर गाड़ियों के आवागमन प्रभावित होने के कारण अन्य जिलों से लोग अब शव को लेकर पटना नहीं पहुंच रहे है.

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घाटों पर सन्नाटा

'पिछले 30 वर्षों में ऐसे हालात कभी नहीं देखे'
पिछले 30 वर्षों से पटना के बांस घाट पर दाह संस्कार की सामग्री बेच रहे वकील प्रसाद कहते हैं कि पिछले 30 सालों में ऐसे हालात पहले कभी नहीं आए थे. रोज उनके दुकान पर दर्जनों शवों के सामग्री खरीदने लोग बांस घाट आया करते थे और अब हालात यह है कि वह मुश्किल से एक दो शव बांस घाट आते हैं. जिससे परिवार का बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

लॉक डाउन से व्यवसाय पूरी तरह ठप
बांस घाट पर मौजूद लकड़ी बेचने वाले मुरारी बताते है कि जिन शवों के सहारे उनकी रोजी-रोटी चला करती थी. आज हालात यह है की गुजर-बसर भी करना मुश्किल हो रहा है. पहले दर्जनों मंजिल पटना के बांस घाट पर जलने के लिए आया करते थे. लॉक डाउन के दौरान हालात यह है की एक या दो मंजिल जलाने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं जहां पहले बांस घाट पर सैकड़ों टन लकड़िया बिक जाया करती थी. अब मात्र बड़ी मुश्किल से एक दो टन लकड़िया ही बिक पाती है. जिससे परिवार चलाने में काफी कठिनाई आ रही है. मुरारी कहते हैं कि कहीं ना कहीं बांस घाट पर रहने वाले सभी लोगों का व्यवसाय पूरी तरह से ठप है और आज हालात यह है कि उनके घर मैं मौजूद सदस्य का गुजर-बसर बड़ी मुश्किल से हो रहा है.

पटनाः लॉक डाउन के दौरान लगभग सभी व्यवसाय पर इसका असर पड़ता नजर आ रहा है. हर वर्ग के व्यवसायी यह कह रहे हैं कि इस लॉक डाउन में उनका रोजगार पूरी तरह से चौपट हो गया है और इसी कड़ी में हम बात कर रहे हैं कुछ ऐसे व्यवसायियों की जिनसे आपकी मुलाकात घाट पर ही होती है. पटना के बांस घाट पर दाह संस्कार के सामग्रियों का व्यवसाय करने वाले लोग कहते हैं कि इस लॉक डाउन के दौरान उनका व्यवसाय भी पूरी तरह से चौपट हो गया है.

अन्य जिलों से शव जलाने पटना नहीं आ रहे हैं लोग
पटना के बांस घाट विद्युत शवदाह गृह कर्मी राजकुमार कहते हैं कि लॉक डाउन की वजह से विद्युत शवदाह गृह में भी जलने वाली शवो की संख्या में काफी कमी आई है. अमूमन इस विद्युत शवदाह गृह में रोज 10 से 12 शॉव जलने के लिए आते थे, पर लॉक डाउन होने की वजह से इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है. अब बमुश्किल से एक-दो शव विद्युत शब्द आगरी में जलने के लिए आ रहे हैं. वहीं, राजकुमार कहते हैं कि पहले अन्य जिलों से भी लोग अपने शव का दाह संस्कार करने बांस घाट और विद्युत शवदाह गृह पहुंचते थे, पर गाड़ियों के आवागमन प्रभावित होने के कारण अन्य जिलों से लोग अब शव को लेकर पटना नहीं पहुंच रहे है.

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घाटों पर सन्नाटा

'पिछले 30 वर्षों में ऐसे हालात कभी नहीं देखे'
पिछले 30 वर्षों से पटना के बांस घाट पर दाह संस्कार की सामग्री बेच रहे वकील प्रसाद कहते हैं कि पिछले 30 सालों में ऐसे हालात पहले कभी नहीं आए थे. रोज उनके दुकान पर दर्जनों शवों के सामग्री खरीदने लोग बांस घाट आया करते थे और अब हालात यह है कि वह मुश्किल से एक दो शव बांस घाट आते हैं. जिससे परिवार का बड़ी मुश्किल से गुजारा हो पा रहा है.

देखें पूरी रिपोर्ट

लॉक डाउन से व्यवसाय पूरी तरह ठप
बांस घाट पर मौजूद लकड़ी बेचने वाले मुरारी बताते है कि जिन शवों के सहारे उनकी रोजी-रोटी चला करती थी. आज हालात यह है की गुजर-बसर भी करना मुश्किल हो रहा है. पहले दर्जनों मंजिल पटना के बांस घाट पर जलने के लिए आया करते थे. लॉक डाउन के दौरान हालात यह है की एक या दो मंजिल जलाने के लिए लोग यहां पहुंचते हैं जहां पहले बांस घाट पर सैकड़ों टन लकड़िया बिक जाया करती थी. अब मात्र बड़ी मुश्किल से एक दो टन लकड़िया ही बिक पाती है. जिससे परिवार चलाने में काफी कठिनाई आ रही है. मुरारी कहते हैं कि कहीं ना कहीं बांस घाट पर रहने वाले सभी लोगों का व्यवसाय पूरी तरह से ठप है और आज हालात यह है कि उनके घर मैं मौजूद सदस्य का गुजर-बसर बड़ी मुश्किल से हो रहा है.

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