पटना: एनडीए से अलग होकर नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन के साथ जाकर सरकार बना तो ली लेकिन मुसीबतें हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. नीतीश कैबिनेट के विस्तार के साथ ही मुश्किलों का भी विस्तार हो गया है. इससे पहले की सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish kumar) इस मुसीबत का हल ढूंढ पाते उनकी पार्टी के अंदर भी घमासान शुरू हो गया.
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पार्टी और सरकार दोनों ने बढ़ाई नीतीश की परेशानी : मंत्री नहीं बनने से जदयू के कई नेता नाराज हैं. जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा मंत्रिमंडल में अपना महत्वपूर्ण स्थान चाहते थे. नाराजगी के बाद कुशवाहा शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही दिल्ली रवाना हो गए. जदयू के चार भूमिहार विधायकों डॉक्टर संजीव, पंकज मिश्रा, सुदर्शन और राजकुमार सिंह ने बैठक कर अपनी नाराजगी जता दी. अब जदयू की विधायक बीमा भारती ने लेसी सिंह को मंत्री बनाए जाने पर खुलकर मोर्चा खोल दिया है.
लेसी सिंह कराती हैं हत्याएं- बीमा भारती : दरअसल, बिहार सरकार की पूर्व मंत्री और रुपौली से जेडीयू विधायक बीमा भारती का आरोप है कि मंत्री लेसी सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहती हैं. मेरी बेटी को पहले हार का सामना करवाया, इसके बाद मुझे भी परेशान करती हैं. उनका आरोप है कि लेसी सिंह के विरोध में जो भी बोलता है, उसकी हत्या करवा देती हैं. इसलिए जल्द से जल्द लेसी सिंह का मंत्री पद से इस्तीफा लेना चाहिए.
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आनंद मोहन के मामले से बढ़ी मुसीबत: दूसरी तरफ सरकार के अंदर भी मुश्किल बढ़ी हुई है. जीरो टॉलरेंस और सुशासन पर सवाल उठने लगा है. सबसे पहले जेल में बंद आनंद मोहन का जिस तरह से मामला सामने आया सरकार को जांच कमेटी बैठानी पड़ी. कई पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी करनी पड़ी. बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी के विधायक हैं, पहले भी आनंद मोहन की रिहाई के लिए नीतीश सरकार के खिलाफ आंदोलन किया गया है. अब नीतीश कुमार के सरकार में आने के बाद आनंद मोहन ने जिस प्रकार से पटना में अपने घर जाकर पार्टी नेताओं के साथ बैठक की और सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल भी की, इससे सरकार की सुशासन की छवि को धक्का लगा है.
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मंत्री कार्तिकेय सिंह पर सीएम ने कही ये बात: दूसरी तरफ अनंत सिंह के नजदीकी कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाया गया है लेकिन कार्तिकेय सिंह का एक मामला सरकार के लिए परेशानी बना हुआ है. अपहरण के एक मामले में 16 अगस्त को कार्तिकेय सिंह को सरेंडर करना था लेकिन सरेंडर करने की जगह कार्तिकेय सिंह मंत्री पद का उस दिन शपथ ले रहे थे. सीएम नीतीश ने कार्तिकेय सिंह के मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव मामले को लेकर फैसला लेंगे.
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आरजेडी के मंत्रियों से सीएम नीतीश की दूरी: नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार तो बना ली है लेकिन आरजेडी के मंत्रियों से दूरी बना कर रखना चाहते हैं. इसका ताजा उदाहरण सुखाड़ पर हुई पहली बैठक में देखने को मिला. इस बैठक में ना तो कृषि मंत्री को बुलाया और ना ही आपदा मंत्री को. दोनों मंत्री आरजेडी कोटे से आते हैं. साथ ही बिहार विधान परिषद के 200वां सत्र पूरा होने पर नए स्मृति स्तंभ का सीएम ने बुधवार को उद्घाटन किया था. लेकिन इस कार्यक्रम में भी न तो तेजस्वी यादव शामिल थे और ना ही विपक्ष की नेता राबड़ी देवी.
ADR की रिपोर्ट: एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल 23 मंत्रियों पर मामले दर्ज हैं. कई पर गंभीर आपराधिक मामले में हैं. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर ही 11 मामले दर्ज हैं. पटना से लेकर दिल्ली तक सीबीआई ने मामले दर्ज किए हैं. ईडी का मामला भी चल रहा है. लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप पर भी पांच मामले दर्ज हैं. कई मंत्रियों पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन से लेकर चुनाव के दौरान रुपए बांटने से लेकर लॉकडाउन उल्लंघन तक के मामले दर्ज हैं. लेकिन हम चर्चा बिहार के उन बाहुबलियों की कर रहे हैं जिनके कारण नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि पर अब सवाल उठने लगा है और सरकार के लिए चुनौती भी बन गई है.
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"बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री का मुखौटा हैं, मुख्यमंत्री कोई और है. कोई व्यक्ति अति महत्वाकांक्षा का शिकार होकर अपना निर्णय सांसदों, विधायकों और पार्टी नेताओं पर थोपता है. जाहिर है इससे असंतोष होगा और उसका प्रकटीकरण जदयू में दिख रहा है. यह आगे और बढ़ेगा. उपेंद्र कुशवाहा शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हुए यह उनका अंदरूनी मामला है."- संजय टाइगर,बीजेपी प्रवक्ता
"जब परिवर्तन होता है तो कुछ कसक रह जाती है. अन्तोगत्वा नीतीश कुमार में ही हम लोग विश्वास व्यक्त करते हैं. नीतीश कुमार की ही छत्रछाया में सभी काम करते हैं."- मदन सहनी, जदयू कोटे के मंत्री, बिहार सरकार
"भारतीय जनता पार्टी की बुनियाद हिल गई है. यह केवल बिहार में सत्ता परिवर्तन नहीं है. उनके लिए दिल्ली बचाना एक बड़ी चुनौती है. बिहार में नीतीश कुमार के प्रति बार-बार लोगों ने विश्वास जताया है. यूपी में कितने बाहुबलियों को टिकट दिया गया उसमें से कई मंत्री हैं. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में दल और गठबंधन एकजुट है."- राजीव रंजन, वरिष्ठ नेता, जदयू
"नीतीश कुमार की टीआरपी उनका चेहरा, क्राइम कंट्रोल और जीरो टॉलरेंस है. ऐसे में सीएम थोड़ी दूरी बनाकर रख रहे हैं. सरकार में जिस प्रकार से मंत्रियों से दूरी बना कर रख रहे हैं साफ लग रहा है नीतीश कुमार खुश नहीं हैं."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विशेषज्ञ
सरकार..घमासान...सवाल: ऐसे नीतीश कुमार जब एनडीए से अलग हो रहे थे और महागठबंधन में शामिल होने का मन बना चुके थे पार्टी के सभी विधायकों, विधान पार्षदों और सभी सांसदों से बैठक कर राय ली थी. मुख्यमंत्री ने महागठबंधन की सरकार बनाने के बाद कहा भी कि सभी नेताओं ने गठबंधन तोड़ने पर मुहर लगाई है लेकिन जिस प्रकार से पार्टी के अंदर बवाल मचा है साफ है कहीं ना कहीं महागठबंधन की सरकार बनने से जदयू के एक बड़े खेमे में असंतोष है. उससे पहले आरसीपी सिंह को लेकर जिस प्रकार से पार्टी ने फैसला लिया उससे भी एक खेमा नाराज है. ऐसे में अब नीतीश कुमार पार्टी के अंदर मचे घमासान और सरकार पर उठे सवाल से किस प्रकार निपटते हैं यह देखना दिलचस्प होगा.
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