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कोरोना के कारण प्राइवेट स्कूल बस चालक हुए बेरोजगार, ई-रिक्शा के सहारे चल रहा घर का खर्चा

कोरोना महामारी ( Ccorona Pandemic) की वजह प्राइवेट स्कूल ( Private School ) के बंद होने के कारण आमदनी ठप होने से अब इन स्कूल के ड्राइवर ( School Bus Driver ) और कंडक्टर के सामने घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में ई-रिक्शा और ऑटो चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Private School Bus Driver unemployed
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Published : Jun 29, 2021, 7:22 AM IST

Updated : Jun 29, 2021, 7:33 AM IST

पटना: कोरोना का असर प्रदेश में सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. मगर प्राइवेट स्कूल ( Private School ) में ट्रांसपोर्ट ( Transport ) सेवा से जुड़े हुए जो लोग थे, उनकी आजीविका पर कोरोना ने गंभीर रूप से प्रभाव डाला है. हजारों की तादाद में प्राइवेट स्कूल में ड्राइवर ( School Bus Driver ) और कंडक्टर ( Conductor ) के तौर पर काम कर रहे कर्मी लॉकडाउन ( Lockdown ) के कारण बेरोजगार हो गए हैं.

यह भी पढ़ें - सरकारी स्कूल की इस छात्रा को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने चुना, जानें 9वीं की प्रतीक्षा ने ऐसा क्या किया?

निजी स्कूल के ड्राइवर की बढ़ी परेशानी
कोरोना महामारी ( Corona Pandemic ) के कारण बंद किए गए स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को अब तक नहीं खोला गया है. लगभग डेढ़ वर्षों से स्कूल बंद चल रहे हैं और प्राइवेट स्कूल में जितने भी बस और ऑटो चला करते थे, वह भी बंद हैं. ऐसे में स्कूल के परिवहन से जुड़े हुए कर्मी अब रोजगार का दूसरा रुख अख्तियार करने लगे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बता दें कि काफी संख्या में स्कूल बस के ड्राइवर और कंडक्टर सड़क पर ई-रिक्शा और ऑटो चलाने लगे हैं, तो काफी संख्या में स्कूल के ड्राइवर और कंडक्टर सड़क किनारे फुटपाथ पर मास्क और सैनिटाइजर जैसे उत्पादों का दुकान लगाना शुरू कर दिए हैं.

स्कूल प्रबंधन वेतन देने में असमर्थ
पटना जंक्शन पर ई-रिक्शा चला रहे शैलेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि वह शहर के एक प्राइवेट स्कूल संत जोसेफ कॉन्वेंट हाई स्कूल में स्कूल के परिवहन के इंचार्ज थे. स्कूल में जितना भी बस और ऑटो चलता था, सब इनके जिम्मे था और इनके अंडर में कई सारे ड्राइवर और कंडक्टर कार्य किया करते थे. लेकिन कोरोना के दौरान जब स्कूल बंद हुआ, उसके बाद से स्कूल प्रबंधन उन लोगों का वेतन देने में असमर्थ हो गया.

Private School Bus Driver unemployed
फुटपाथ पर मास्क और सैनिटाइजर बेचने को मजबूर

उन्होंने बताया कि ऐसे में स्कूल प्रबंधन ने स्कूल के ड्राइवर, कंडक्टर और परिवहन के मेंटेनेंस से जुड़े अन्य कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया, जिसके बाद वह लोग बेरोजगार हो गए. उन्होंने कहा कि वह लगभग एक साल घर पर बैठे रहे और पिताजी के आमदनी पर उनका खर्च चलता रहा.

"शादीशुदा हूं और बच्चे भी हैं, जो दूसरी कक्षा में पढ़ाई करते हैं. ऐसे में रोजगार के लिए पिता ने एक ई-रिक्शा खरीद कर दे दिया है. जिसे चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. कोरोना के बाद जब नौकरी चली गई, तो करीब एक साल का जो समय रहा, वह काफी पीड़ादायक समय रहा. पैसे की कमी से घर चलाना बहुत मुश्किल हो गया था. कोरोना के बाद पिछले साल जब से लॉकडाउन लगा, स्कूल ने परिवहन से जुड़े कर्मियों को एक भी रुपया नहीं दिया."- शैलेंद्र कुमार चौधरी, ई-रिक्शा, चालक

Private School Bus Driver unemployed
शैलेंद्र कुमार चौधरी, ई-रिक्शा, चालक

स्कूल बंद होने से हुए बेरोजगार
ई-रिक्शा चला रहे मोहम्मद नौशाद ने बताया कि वह फुलवारी में स्थित अमायरा पब्लिक स्कूल में वैन चलाया करते थे. पिछले 5 वर्षों से वह स्कूल से जुड़े हुए थे. मगर पिछले साल जब कोरोना के बाद लॉकडाउन लागू हुआ उसके बाद से ही स्कूल प्रबंधन ने उन लोगों का वेतन देना बंद कर दिया. ऐसे में वह बेरोजगार हो गए और काफी दिनों तक घर पर बैठे रहे.

Private School Bus Driver unemployed
मास्क और सैनिटाइजर

"पिछले कुछ महीनों से किराए पर ई-रिक्शा चला रहे हैं और प्रतिदिन 400 से 500 रुपये जो आमदनी होता है. उसका 250 से 300 रुपये मालिक को दे देते हैं और 150 से 200 रुपये कमाकर घर जाते हैं. जिससे परिवार का भरण पोषण हो पाता है. बच्चे अभी छोटे हैं और पढ़ाई करते हैं. ऐसे में अभी के समय घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा है." - मोहम्मद नौशाद, ई-रिक्शा, चालक

Private School Bus Driver unemployed
नौकरी जाने के बाद ई-रिक्शा चलाने को मजबूर

ड्राइवर का पेमेंट करना हुआ मुश्किल
एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह ने बताया कि निश्चित रूप से कोरोना के कारण प्राइवेट स्कूलों पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ गया है. प्राइवेट स्कूलों को बच्चों का पूरा फी नहीं मिल पा रहा है और स्कूल को अपना किराया और अन्य मेंटेनेंस चार्ज भरना पड़ रहा है. इसके अलावा स्कूल का जो ट्रांसपोर्ट है. वह मैदान में पड़े-पड़े खराब हो रहा है और इसके मेंटेनेंस और इंस्टॉलमेंट के खर्च का बोझ स्कूल पर पड़ रहा है. ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा अपने ड्राइवर और कंडक्टर का पेमेंट करना मुश्किल हो गया है.

"एसोसिएशन के अंतर्गत प्रदेश के 1100 के करीब मान्यता प्राप्त स्कूल आते हैं. जिसमें से काफी संख्या में स्कूल अपने ड्राइवर और कंडक्टर को प्रति माह कुछ आर्थिक सहायता दे रहे हैं. मगर पूरा वेतन दे पाने में सभी स्कूल असमर्थ हैं. काफी संख्या में स्कूलों को अपने शिक्षकों का वेतन दे पाना ही मुश्किल हो रहा है. ऐसे में मजबूरी में वह अपने ड्राइवर और कंडक्टर को स्कूल से कोरोना के दौरान नौकरी से निकाल दिए हैं और ऐसे में प्रदेश में हजारों की तादाद में ड्राइवर और कंडक्टर बेरोजगार हो गए हैं."- डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार

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डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार

यह भी पढ़ें - जागिए सरकार... कोरोना के कारण 5000 निजी स्कूल हुए बंद, 25 हजार विद्यालय के 7 लाख कर्मचारियों पर रोटी का संकट

दूसरे कार्य करने को हुए मजबूर
एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह ने बताया कि बेरोजगार ड्राइवर और कंडक्टर रोजगार के लिए वैकल्पिक रास्ता चुन रहे हैं और काफी संख्या में अब ड्राइवर और कंडक्टर सड़क किनारे चाय बेचते, मास्क बेचते या कोई अन्य कार्य करते नजर आ रहे हैं. क्योंकि उन्हें भी अपने घर को चलाने के लिए कमाना मजबूरी है.

पटना: कोरोना का असर प्रदेश में सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. मगर प्राइवेट स्कूल ( Private School ) में ट्रांसपोर्ट ( Transport ) सेवा से जुड़े हुए जो लोग थे, उनकी आजीविका पर कोरोना ने गंभीर रूप से प्रभाव डाला है. हजारों की तादाद में प्राइवेट स्कूल में ड्राइवर ( School Bus Driver ) और कंडक्टर ( Conductor ) के तौर पर काम कर रहे कर्मी लॉकडाउन ( Lockdown ) के कारण बेरोजगार हो गए हैं.

यह भी पढ़ें - सरकारी स्कूल की इस छात्रा को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने चुना, जानें 9वीं की प्रतीक्षा ने ऐसा क्या किया?

निजी स्कूल के ड्राइवर की बढ़ी परेशानी
कोरोना महामारी ( Corona Pandemic ) के कारण बंद किए गए स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को अब तक नहीं खोला गया है. लगभग डेढ़ वर्षों से स्कूल बंद चल रहे हैं और प्राइवेट स्कूल में जितने भी बस और ऑटो चला करते थे, वह भी बंद हैं. ऐसे में स्कूल के परिवहन से जुड़े हुए कर्मी अब रोजगार का दूसरा रुख अख्तियार करने लगे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

बता दें कि काफी संख्या में स्कूल बस के ड्राइवर और कंडक्टर सड़क पर ई-रिक्शा और ऑटो चलाने लगे हैं, तो काफी संख्या में स्कूल के ड्राइवर और कंडक्टर सड़क किनारे फुटपाथ पर मास्क और सैनिटाइजर जैसे उत्पादों का दुकान लगाना शुरू कर दिए हैं.

स्कूल प्रबंधन वेतन देने में असमर्थ
पटना जंक्शन पर ई-रिक्शा चला रहे शैलेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि वह शहर के एक प्राइवेट स्कूल संत जोसेफ कॉन्वेंट हाई स्कूल में स्कूल के परिवहन के इंचार्ज थे. स्कूल में जितना भी बस और ऑटो चलता था, सब इनके जिम्मे था और इनके अंडर में कई सारे ड्राइवर और कंडक्टर कार्य किया करते थे. लेकिन कोरोना के दौरान जब स्कूल बंद हुआ, उसके बाद से स्कूल प्रबंधन उन लोगों का वेतन देने में असमर्थ हो गया.

Private School Bus Driver unemployed
फुटपाथ पर मास्क और सैनिटाइजर बेचने को मजबूर

उन्होंने बताया कि ऐसे में स्कूल प्रबंधन ने स्कूल के ड्राइवर, कंडक्टर और परिवहन के मेंटेनेंस से जुड़े अन्य कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया, जिसके बाद वह लोग बेरोजगार हो गए. उन्होंने कहा कि वह लगभग एक साल घर पर बैठे रहे और पिताजी के आमदनी पर उनका खर्च चलता रहा.

"शादीशुदा हूं और बच्चे भी हैं, जो दूसरी कक्षा में पढ़ाई करते हैं. ऐसे में रोजगार के लिए पिता ने एक ई-रिक्शा खरीद कर दे दिया है. जिसे चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. कोरोना के बाद जब नौकरी चली गई, तो करीब एक साल का जो समय रहा, वह काफी पीड़ादायक समय रहा. पैसे की कमी से घर चलाना बहुत मुश्किल हो गया था. कोरोना के बाद पिछले साल जब से लॉकडाउन लगा, स्कूल ने परिवहन से जुड़े कर्मियों को एक भी रुपया नहीं दिया."- शैलेंद्र कुमार चौधरी, ई-रिक्शा, चालक

Private School Bus Driver unemployed
शैलेंद्र कुमार चौधरी, ई-रिक्शा, चालक

स्कूल बंद होने से हुए बेरोजगार
ई-रिक्शा चला रहे मोहम्मद नौशाद ने बताया कि वह फुलवारी में स्थित अमायरा पब्लिक स्कूल में वैन चलाया करते थे. पिछले 5 वर्षों से वह स्कूल से जुड़े हुए थे. मगर पिछले साल जब कोरोना के बाद लॉकडाउन लागू हुआ उसके बाद से ही स्कूल प्रबंधन ने उन लोगों का वेतन देना बंद कर दिया. ऐसे में वह बेरोजगार हो गए और काफी दिनों तक घर पर बैठे रहे.

Private School Bus Driver unemployed
मास्क और सैनिटाइजर

"पिछले कुछ महीनों से किराए पर ई-रिक्शा चला रहे हैं और प्रतिदिन 400 से 500 रुपये जो आमदनी होता है. उसका 250 से 300 रुपये मालिक को दे देते हैं और 150 से 200 रुपये कमाकर घर जाते हैं. जिससे परिवार का भरण पोषण हो पाता है. बच्चे अभी छोटे हैं और पढ़ाई करते हैं. ऐसे में अभी के समय घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा है." - मोहम्मद नौशाद, ई-रिक्शा, चालक

Private School Bus Driver unemployed
नौकरी जाने के बाद ई-रिक्शा चलाने को मजबूर

ड्राइवर का पेमेंट करना हुआ मुश्किल
एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह ने बताया कि निश्चित रूप से कोरोना के कारण प्राइवेट स्कूलों पर काफी आर्थिक बोझ बढ़ गया है. प्राइवेट स्कूलों को बच्चों का पूरा फी नहीं मिल पा रहा है और स्कूल को अपना किराया और अन्य मेंटेनेंस चार्ज भरना पड़ रहा है. इसके अलावा स्कूल का जो ट्रांसपोर्ट है. वह मैदान में पड़े-पड़े खराब हो रहा है और इसके मेंटेनेंस और इंस्टॉलमेंट के खर्च का बोझ स्कूल पर पड़ रहा है. ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा अपने ड्राइवर और कंडक्टर का पेमेंट करना मुश्किल हो गया है.

"एसोसिएशन के अंतर्गत प्रदेश के 1100 के करीब मान्यता प्राप्त स्कूल आते हैं. जिसमें से काफी संख्या में स्कूल अपने ड्राइवर और कंडक्टर को प्रति माह कुछ आर्थिक सहायता दे रहे हैं. मगर पूरा वेतन दे पाने में सभी स्कूल असमर्थ हैं. काफी संख्या में स्कूलों को अपने शिक्षकों का वेतन दे पाना ही मुश्किल हो रहा है. ऐसे में मजबूरी में वह अपने ड्राइवर और कंडक्टर को स्कूल से कोरोना के दौरान नौकरी से निकाल दिए हैं और ऐसे में प्रदेश में हजारों की तादाद में ड्राइवर और कंडक्टर बेरोजगार हो गए हैं."- डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार

Private School Bus Driver unemployed
डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष, एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार

यह भी पढ़ें - जागिए सरकार... कोरोना के कारण 5000 निजी स्कूल हुए बंद, 25 हजार विद्यालय के 7 लाख कर्मचारियों पर रोटी का संकट

दूसरे कार्य करने को हुए मजबूर
एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सीबी सिंह ने बताया कि बेरोजगार ड्राइवर और कंडक्टर रोजगार के लिए वैकल्पिक रास्ता चुन रहे हैं और काफी संख्या में अब ड्राइवर और कंडक्टर सड़क किनारे चाय बेचते, मास्क बेचते या कोई अन्य कार्य करते नजर आ रहे हैं. क्योंकि उन्हें भी अपने घर को चलाने के लिए कमाना मजबूरी है.

Last Updated : Jun 29, 2021, 7:33 AM IST
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