पटना: बिहार में जातिगत गणना की रिपोर्ट सामने आ चुकी है. राज्य में 60 फीसदी से अधिक वोट पिछड़ा और अति पिछड़ा समुदाय का है. पिछड़ा, अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी पीएम विश्वकर्मा योजना को गेम चेंजर मान रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है. योजना को किस तरीके से धरातल पर लाया जाए इसे लेकर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा.
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"केंद्र सरकार ने योजना लोगों को जाति में बांटने के लिए लाया है. बिहार में पहले से ही योजना चल रही है और उसे पिछड़े और अति पिछड़े समुदाय के लोग लाभ भी उठा रहे हैं. लोग अब भाजपा के बहकावे में आने वाले नहीं हैं."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
पटना में होगी कार्यशालाः दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह ने 25 राज्यों के नेताओं के साथ बैठक की और विश्वकर्मा योजना को धरातल पर लाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया. बिहार से भी प्रतिनिधि बैठक में शामिल हुए थे. फिलहाल 25 राज्यों में योजना को लागू किया जा रहा है. कुल मिलाकर 254 जिले शामिल किए गए हैं, जिसमें बिहार के 26 जिले हैं. राजधानी पटना में 19 अक्टूबर को कार्यशाला आयोजित की जा रही है जिसमें 26 जिलों के कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं.
"जातिगत गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद राजनीतिक दल पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट को साधना चाहते हैं. ऐसे में भाजपा के नजरिए से विश्वकर्मा योजना की महत्ता बढ़ जाती है. दलों को कितना लाभ मिलता है यह तो देखने वाली बात होगी."- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले लाभः 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ने योजना की शुरुआत की थी. छोटे कारोबारियों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया साथ ही साथ स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम चलाए जाने का निर्णय भी लिया गया. सरकार उनके प्रोडक्ट की ब्रांडिंग भी करेगी साथ ही साथ बाजार भी उपलब्ध कराएगी. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू ने कहा है कि विश्वकर्मा योजना को निचले स्तर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं की है.
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