पटना: अफसर, डॉक्टर और पुलिस बनने का सपना लिए मासूम जर्जर स्कूल में डर-डर कर पढ़ने को मजबूर हैं. जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जर्जर भवन के गिरने का डर हमेशा बना रहता है. ऐसे में न केवल नौनिहालों के बल्कि शिक्षकों की जान पर भी खतरा बना रहता है. मामला धनरूआ के प्राथमिक विद्यालय सिताचक (Primary School Sitachak) है. जहां बच्चे दहशत के माहौल में पढ़ने को मजबूर हैं.
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धनरूआ प्रखंड में स्थित प्राथमिक विद्यालय सीताचक की पूरी बिल्डिंग जर्जर (Primary School Sitachak Building Damaged) हो चुकी है. इसी जर्जर भवन में छोटे-छोटे नौनिहाल दहशत में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. बारिश के दिनों में छत टपकती है. वहीं कई जगहों पर प्लास्टर भी गिर चुका है. कई बार बच्चे चोटिल होने से बच भी चुके हैं. मासूम ने बताया कि हम सभी दहशत में पढ़ाई करने को विवश हैं. इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है.
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वहीं, स्कूल के प्रधानाध्यापक बताते हैं कि लगातार इस मामले को लेकर विभाग को पत्र दे चुके हैं. इसके बावजूद अभी तक इस दिशा में कोई भी पहल नहीं की गई है. लगातार बच्चे और शिक्षक दहशत के माहौल में पढ़ और पढ़ा रहे हैं.
'वैसे स्कूल जो जर्जर हो चुके है, उसे किसी दूसरे स्कूल में शिफ्ट किए जाने की प्रक्रिया चल रही है. अब तक पूरे प्रखंड में 19 स्कूल को शिफ्ट किया गया है. सीताचक प्राथमिक विद्यालय को भी संज्ञान में लिया गया है और जल्द ही उसका विकल्प ढूंढा जा रहा है.' -नवल किशोर सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, धनरूआ
बता दें कि बिहार सरकार सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूल से बेहतर बनाने की बात भले ही कर रही है, लेकिन स्कूलों की जर्जर हो चुकी इमारतें तो कुछ और ही कहानी बयां कर रही हैं. जहां बच्चे अपने भविष्य को डर के साये में संवारने में लगे हुए हैं. इसके साथ ही शिक्षक भी अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाने के लिए विवश हैं.
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