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VIDEO: पटना में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम, मंदिरों में भव्य तैयारी

राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनायी जा रही है. मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. आज रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.

तैयारी
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Published : Aug 30, 2021, 7:12 PM IST

पटना: देशभर में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के जन्मदिवस को धूमधाम से मनाया जा रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की धूम पटना समेत पूरे बिहार में है. कोरोना के चलते लंबे समय के बाद मंदिरों के पट खुले हैंं. सभी मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. आज रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर लोग कान्हा के बाल रूप की पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं.

ये भी पढ़ें- गजबे कर रहे तेजस्वी के 'कृष्ण'... पहले पोस्टर में 'अर्जुन' को किया गायब... फिर दूसरे पोस्टर में साथ नजर आया लालू परिवार

बता दें कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर पटना के गांधी मैदान के प्रसिद्ध अखंड वासिनी मंदिर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. अखंड वासिनी मंदिर में 107 वर्षों से निरंतर दीप जल रहा है और पटना का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि पिछले साल कोरोनावायरस से जन्माष्टमी का पर्व नहीं मनाया गया था. मगर इस बार जन्माष्टमी का पर्व मंदिर परिसर में मनाया जा रहा है. अनलॉक-6 होने पर 138 दिन बाद मंदिर का प्रांगण आम भक्तों के लिए खुले हैं और काफी धूमधाम से तैयारियां की जा रही हैं. आज देर रात भगवान की पूजा के बाद भव्य प्रसाद वितरण कार्यक्रम और भजन संध्या कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने दी बधाई

पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर्व के दौरान मोर के पंख और बांस के पत्तों की विशेष महत्ता है. मोर का पंख भगवान की बांसुरी में लगा रहता है और उनके मुकुट पर भी विराजमान रहता है. बाल रूप में जब गोपाल को वासुदेव जी ने बांस की टोकरी में यमुना नदी के उस पार ले गये थे. इसलिए बांस का भी विशेष महत्व है.

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में खीरा सबसे महत्वपूर्ण है. रात में 12 बजे भगवान कृष्ण के मूर्ति के पास खीरे का भोग लगाया जाता है और फिर मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है. उसके 5 मिनट बाद मंदिर का पट खोला जाता है और उस खीरे को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. मान्यता है कि खीरे से ही भगवान कृष्ण प्रकट हुए थे. इसलिए खीरे का विशेष महत्व होता है. अष्टमी के दिन खीरा नहीं खाया जाता और भगवान कृष्ण का जन्म के बाद नवमी के दिन खीरे का प्रसाद का विशेष महत्व होता है.

ये भी पढ़ें- नीतीश कुमार के बिना बिहार में BJP की कोई औकात नहीं: कांग्रेस

उन्होंने बताया कि इस बार जन्माष्टमी का काफी सुंदर योग बन रहा है. हम भगवान कामना करते हैं कि बिहार और पूरे देश से कोरोना का संकट खत्म हो जाए. जनजीवन एक बार फिर से पूर्व की भांति सामान्य हो जाए. देश फिर से विकास की पटरी पर लौटे.

हालांकि पटना के बुद्धा मार्ग स्थित प्रसिद्ध इस्कॉन टेंपल में इस बार कोरोना की वजह से आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है. सिर्फ इस्कॉन टेंपल से जुड़े पुजारी ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मंदिर परिसर में मनाएंगे.

पटना: देशभर में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shri Krishna) के जन्मदिवस को धूमधाम से मनाया जा रहा है. कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की धूम पटना समेत पूरे बिहार में है. कोरोना के चलते लंबे समय के बाद मंदिरों के पट खुले हैंं. सभी मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भव्य तैयारी की जा रही है. आज रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का पर्व हर साल भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. जन्माष्टमी पर लोग कान्हा के बाल रूप की पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं.

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बता दें कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर पटना के गांधी मैदान के प्रसिद्ध अखंड वासिनी मंदिर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. अखंड वासिनी मंदिर में 107 वर्षों से निरंतर दीप जल रहा है और पटना का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि पिछले साल कोरोनावायरस से जन्माष्टमी का पर्व नहीं मनाया गया था. मगर इस बार जन्माष्टमी का पर्व मंदिर परिसर में मनाया जा रहा है. अनलॉक-6 होने पर 138 दिन बाद मंदिर का प्रांगण आम भक्तों के लिए खुले हैं और काफी धूमधाम से तैयारियां की जा रही हैं. आज देर रात भगवान की पूजा के बाद भव्य प्रसाद वितरण कार्यक्रम और भजन संध्या कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा.

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पुजारी विशाल तिवारी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर्व के दौरान मोर के पंख और बांस के पत्तों की विशेष महत्ता है. मोर का पंख भगवान की बांसुरी में लगा रहता है और उनके मुकुट पर भी विराजमान रहता है. बाल रूप में जब गोपाल को वासुदेव जी ने बांस की टोकरी में यमुना नदी के उस पार ले गये थे. इसलिए बांस का भी विशेष महत्व है.

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा में खीरा सबसे महत्वपूर्ण है. रात में 12 बजे भगवान कृष्ण के मूर्ति के पास खीरे का भोग लगाया जाता है और फिर मंदिर का पट बंद कर दिया जाता है. उसके 5 मिनट बाद मंदिर का पट खोला जाता है और उस खीरे को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. मान्यता है कि खीरे से ही भगवान कृष्ण प्रकट हुए थे. इसलिए खीरे का विशेष महत्व होता है. अष्टमी के दिन खीरा नहीं खाया जाता और भगवान कृष्ण का जन्म के बाद नवमी के दिन खीरे का प्रसाद का विशेष महत्व होता है.

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उन्होंने बताया कि इस बार जन्माष्टमी का काफी सुंदर योग बन रहा है. हम भगवान कामना करते हैं कि बिहार और पूरे देश से कोरोना का संकट खत्म हो जाए. जनजीवन एक बार फिर से पूर्व की भांति सामान्य हो जाए. देश फिर से विकास की पटरी पर लौटे.

हालांकि पटना के बुद्धा मार्ग स्थित प्रसिद्ध इस्कॉन टेंपल में इस बार कोरोना की वजह से आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोला गया है. सिर्फ इस्कॉन टेंपल से जुड़े पुजारी ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मंदिर परिसर में मनाएंगे.

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