पटना: बिहार में अपराध नियंत्रण के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल की बहाली पिछले 15 सालों के दौरान की गई है. लेकिन, अभी भी आबादी के अनुपात में बिहार में पुलिस बल की कमी है. राष्ट्रीय औसत के मुकाबले भी बिहार में पुलिस बल कम है. राज्य सरकार के निर्देश के बाद पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की अध्यक्षता में विशेष समिति का गठन किया गया है. जिसके तहत नए पदों का सृजन करने को लेकर रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
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बिहार में महिला पुलिस
- 2013 में 35% महिलाओं को दिया आरक्षण
- 2005 में महिला पुलिस की संख्या सिर्फ 2354
- वर्तमान में महिला पुलिस बढ़कर हुईं 14,383
बिहार में बेहतर तरीके से अपराध नियंत्रण करने के लिए दोनों इकाइयों को अलग करते हुए अनुसंधान इकाई में 4775 और विधि व्यवस्था इकाई में 2254 पुलिस पदाधिकारी तैनात किए गए हैं. साथ ही साथ 2000 पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध से जुड़ी ट्रेनिंग दी जा रही है. राज्य स्तर पर साइबर थाने के अलावा जिला स्तर पर साइबर टीवी यूनिट और थाना स्तर पर साइबर सेनानी का गठन किया गया है.
बिहार में पुलिस बल
- 2005 में सिर्फ 51,046 पुलिसकर्मी थे
- 2012 में बढ़कर 66,735 हुए पुलिसकर्मी
- 2016 में बढ़कर 1,23,028 हुए पुलिसकर्मी
- 2020 में बढ़कर 1,44,216 हुए पुलिसकर्मी
पुलिसकर्मियों की बहाली
वर्तमान में बिहार पुलिस में सृजित पदों में 86 हजार 295 पदों पर पुलिसकर्मी तैनात हैं. पुलिस मुख्यालय से मिल रही जानकारी के अनुसार खाली पड़े 55 हजार 921 पदों में विभिन्न क्षेत्रों में 26 हजार 831 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. वहीं, शेष बचे 29 हजार 90 पदों में 20 हजार 78 पद प्रमोशन से भरे जाएंगे. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र कुमार की माने तो बचे 9012 पदों पर नियुक्ति मौजूदा नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद शुरू की जाएगी.
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पुलिसकर्मियों की कमी ने बढ़ाई चिंता
देश में बढ़ते अपराध के बीच आम लोगों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की कमी लगातार चिंता का विषय बनी हुई है. आंतरिक सुरक्षा की कमान संभालने वाली पुलिस की तैनाती को लेकर सामने आई ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट अपराध पर लगाम लगाने के लिए भारत में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार प्रति एक लाख नागरिक पर 222 पुलिसकर्मी होनी चाहिए, लेकिन भारत में ये आंकड़ा 144 से ही है.
बिहार में 50 हजार 291 पद खाली
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में पुलिसकर्मी की कुल स्वीकृत क्षमता के करीब एक चौथाई पद खाली हैं. सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में पुलिस बल की संख्या में काफी कमी है. उत्तर प्रदेश में 1 लाख 29 हजार पद खाली हैं. वहीं, दूसरा स्थान बिहार का है जहां पर 50 हजार 291 पद खाली हैं. सीएम नीतीश कुमार पिछले दिनों बिहार में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर कहा था कि राज्य में पुलिस व्यवस्था में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है. वर्तमान में 10 हजार से अधिक पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है.
बिहार में पुलिस व्यवस्था
- अभी 1 लाख की आबादी पर 88 पुलिसकर्मी
- 2 लाख के ऊपर पुलिस बल की आवश्यकता
- वर्तमान में करीब 1,30,000 स्वीकृत पद
- जिनमें केवल 90 हजार कर्मचारी ही उपलब्ध
''राष्ट्रीय औसत के अनुसार बिहार में पुलिस कर्मियों का अनुपात लाने की कोशिश की जा रही है. जो कि प्रति लाख आबादी पर 150 कर्मचारी होने चाहिए. हालांकि, इसे हासिल करने के लिए सभी रैंक के खाली पदों पर एक बड़ी संख्या में भर्ती की मंजूरी देने की जरूरत है. पिछले 15 सालों में 50 हजार से अधिक बिहार पुलिस में भर्ती पहले हो चुकी है. साख ही साथ बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या 23% हो गई है. जिसे अगले 4 से 5 वर्षों में बढ़ाकर 35% कोटा पूरा किया जाएगा''- जितेंद्र कुमार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
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नियुक्ति का प्रस्ताव हो रहा तैयार
राज्य पुलिस मुख्यालय के मुताबिक अगले 5 सालों तक प्रति वर्ष 5000 पुलिस कर्मी की नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. 17 हजार पुलिसकर्मियों के ऊंचे पदों पर प्रोन्नति से भरा जाएगा. राज्य में इतनी बड़ी तादाद में पहली बार बहाली तब हुई थी जब बिहार बंगाल से अलग हुआ था. बिहार पुलिस में कम संख्या बल होने के कारण बढ़ती आबादी के मद्देनजर राज्य के थाने पिछड़ते जा रहे हैं. इसके अलावा पब्लिक रिलेशन पर भी इसका विपरीत असर पड़ता दिख रहा है और पुलिस की छवि खराब हो रही है.
पुलिस बल को किया जा रहा मजबूत
पुलिस मुख्यालय की योजना के अनुसार राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 372 पुलिस थानों में 88 हवलदार और 32-32 की संख्या में कॉन्स्टेबल की नियुक्ति कर उसे भी मजबूत किया जाएगा. सभी क्षेत्रों के 148 थानों में से प्रत्येक में 33 सब इंस्पेक्टर, 4 असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर, दो हवलदार और 13 सिपाहियों को पोस्ट किया जाएगा. स्पेशल टास्क फोर्स की चीता यूनिट को भी सशक्त बनाया जाएगा. इसके तहत 15 और नई यूनिट का गठन किया जाएगा. ताकि, नक्सल प्रभावित 33 जिलों में इसका नेटवर्क और भी मजबूत किया जा सके.