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बिहार कांग्रेस का अगला अध्यक्ष कौन? ये नेता हैं रेस में आगे

बिहार में कांग्रेस (Bihar Congress) पार्टी में जान डालने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर केंद्रीय इकाई में बैठक और नामों पर चर्चा भी शुरू हो गई है. पढ़ें रिपोर्ट.

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Published : Aug 24, 2021, 10:57 PM IST

पटना
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पटना: बिहार में कांग्रेस (Congress) पार्टी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज में जुट गई है. एक महीने के भीतर ही पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि पार्टी जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष (New State President) का खोज कर लेगी और इसको लेकर पार्टी के केंद्रीय इकाई में बैठक और नामों पर चर्चा भी शुरू हो गई है.

ये भी पढ़ें- बिहार कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर मंथन, इन नामों पर हो रही चर्चा

पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जिन नामों पर चर्चा हो रही है. उसमें अखिलेश सिंह, शकील अहमद, प्रेमचंद्र मिश्रा, समीर सिंह, राजेश राम जैसे कांग्रेस के पुराने नेताओं का नाम है. हालांकि, अभी किसी नाम पर पुख्ता मुहर नहीं लगी है कि कौन प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में कयासों का बाजार गर्म है.

मदन मोहन झा को पार्टी की कमान देने से पहले एक लंबी कयास बाजी का दौर चला था और दो कार्यकारी अध्यक्ष भी बना दिए गए थे. बिहार में पार्टी का जनाधार काफी कमजोर हुआ है, ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर इस बात का ध्यान जरूर रखा जाएगा. महागठबंधन के साथ संबंध में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में नए प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका और बिहार में हर दिन बदल रहे राजनीतिक हालात में पार्टी को मजबूती से खड़ा किए रखना नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती भी है और यही नए प्रदेश अध्यक्ष को संभालना भी है.

ये भी पढ़ें- मदन मोहन झा की जा सकती है कुर्सी, समीर सिंह या प्रेमचंद्र मिश्रा बन सकते हैं बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष

बिहार में जिस तरीके के मौजूदा राजनीतिक हालात हैं, उसमें कांग्रेस पार्टी को मजबूती से बचाए रखना भी नए अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती है. वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के कुल 19 विधायक हैं, जिनको लेकर हर दिन कोई न कोई नई राजनीतिक बहसबाजी छिड़ी रहती है.

केंद्रीय नेतृत्व भी बिहार में अपनी पुरानी जमीन और जनाधार को पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है और यही वजह है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के जिम्में इन तमाम चुनौतियों को देखना भी होगा. बरहाल, प्रदेश अध्यक्ष के लिए चल रही खोज कांग्रेस पार्टी निश्चित तौर पर पूरा कर लेगी, लेकिन जिन्हें भी पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलेगी उनके लिए पहली चुनौती ही बिहार का पंचायत का चुनाव है, जिसमें पार्टी अपनी जमीन और जनाधार को मजबूत कर सकती है.

पटना: बिहार में कांग्रेस (Congress) पार्टी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज में जुट गई है. एक महीने के भीतर ही पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि पार्टी जल्द ही नए प्रदेश अध्यक्ष (New State President) का खोज कर लेगी और इसको लेकर पार्टी के केंद्रीय इकाई में बैठक और नामों पर चर्चा भी शुरू हो गई है.

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पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जिन नामों पर चर्चा हो रही है. उसमें अखिलेश सिंह, शकील अहमद, प्रेमचंद्र मिश्रा, समीर सिंह, राजेश राम जैसे कांग्रेस के पुराने नेताओं का नाम है. हालांकि, अभी किसी नाम पर पुख्ता मुहर नहीं लगी है कि कौन प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे है, लेकिन कांग्रेस पार्टी में कयासों का बाजार गर्म है.

मदन मोहन झा को पार्टी की कमान देने से पहले एक लंबी कयास बाजी का दौर चला था और दो कार्यकारी अध्यक्ष भी बना दिए गए थे. बिहार में पार्टी का जनाधार काफी कमजोर हुआ है, ऐसे में नए प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर इस बात का ध्यान जरूर रखा जाएगा. महागठबंधन के साथ संबंध में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में नए प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका और बिहार में हर दिन बदल रहे राजनीतिक हालात में पार्टी को मजबूती से खड़ा किए रखना नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती भी है और यही नए प्रदेश अध्यक्ष को संभालना भी है.

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बिहार में जिस तरीके के मौजूदा राजनीतिक हालात हैं, उसमें कांग्रेस पार्टी को मजबूती से बचाए रखना भी नए अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती है. वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के कुल 19 विधायक हैं, जिनको लेकर हर दिन कोई न कोई नई राजनीतिक बहसबाजी छिड़ी रहती है.

केंद्रीय नेतृत्व भी बिहार में अपनी पुरानी जमीन और जनाधार को पाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है और यही वजह है कि नए प्रदेश अध्यक्ष के जिम्में इन तमाम चुनौतियों को देखना भी होगा. बरहाल, प्रदेश अध्यक्ष के लिए चल रही खोज कांग्रेस पार्टी निश्चित तौर पर पूरा कर लेगी, लेकिन जिन्हें भी पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलेगी उनके लिए पहली चुनौती ही बिहार का पंचायत का चुनाव है, जिसमें पार्टी अपनी जमीन और जनाधार को मजबूत कर सकती है.

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