ETV Bharat / state

प्रशांत किशोर ने बिहार में बंद किया कार्यालय, 'बात बिहार की' कार्यक्रम पर भी ग्रहण

बिहार में प्रशांत किशोर की गतिविधि पूरी तरह समाप्त हो गई है. इस साल के शुरुआत में जब प्रशांत किशोर पटना आए थे, तो उन्होंने दावा किया था कि तीन महीने में 10 लाख युवाओं को जोड़ेंगे और गांव तक राजनीति में अपनी भूमिका निभाएंगे. लेकिन इसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार का एक बार भी रुख नहीं किया.

प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर
author img

By

Published : Jul 28, 2020, 4:13 PM IST

Updated : Jul 28, 2020, 5:53 PM IST

पटना: 'बात बिहार की' कार्यक्रम से अगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की घोषणा करने वाले प्रशांत किशोर ने राज्य में अपना कार्यालय तक बंद कर दिया है. प्रशांत किशोर का पटना के एग्जीबिशन रोड में लंबे समय से कार्यालय चल रहा था. उनकी टीम के कई सदस्य पूरे बिहार के लिए यहीं से काम कर रहे थे. लेकिन टीम के सदस्यों को प्रशांत किशोर ने बंगाल और तमिलनाडु शिफ्ट कर दिया. इसके बाद कार्यालय के बाहर ताला लगा हुआ है.

पीके ने बिहार से समेटा अपना कार्यालय
बिहार विधानसभा चुनाव में किसी दल की तरफ से तवज्जो नहीं दिए जाने के बाद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आखिरकार बिहार में अपना कार्यालय भी बंद कर लिया है. प्रशांत किशोर ने 40 से 50 लोगों की टीम 'बात बिहार की' कार्यक्रम के लिए तैयार किया था. अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू के कुछ महीनों में टीम ने काम भी किया था. लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही प्रशांत किशोर ने अपनी टीम को समेटना शुरू कर दिया था. पहले अधिकांश सदस्यों को बंगाल और तमिलनाडु शिफ्ट कर दिया. इसके बाद पटना कार्यालय पूरी तरह बंद हो गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

बिहार का नहीं किया रुख
बिहार में प्रशांत किशोर की गतिविधि पूरी तरह समाप्त हो गई है. इस साल के शुरुआत में जब प्रशांत किशोर पटना आए थे, तो उन्होंने दावा किया था कि तीन महीने में 10 लाख युवाओं को जोड़ेंगे और गांव तक राजनीति में अपनी भूमिका निभाएंगे. लेकिन उसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार का एक बार भी रुख नहीं किया. कोरोना संकटकाल में टीम के सदस्यों की फील्ड वर्क भी बंद हो गई. पूरा कार्यक्रम सोशल मीडिया तक सिमट कर रह गया और अब प्रशांत किशोर ने बिहार से अपने पूरे कार्यक्रम को ही समेट लिया है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कि 'बात बिहार की' मुहिम का कुछ ही दिनों में हवा निकल गई.

पार्टी ने दिखाया बाहर का रास्ता
पीके ने 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उसके बाद ही नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दो नंबर की कुर्सी भी दी थी. जेडीयू के छात्र राजनीति की जिम्मेवारी भी उन्हें ही मिली थी और पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पार्टी को जीत भी दिलाई थी. लेकिन पार्टी के अंदर उनके खिलाफ जिस प्रकार से नाराजगी बढ़ी आखिरकार उन्हें बिहार से बाहर जाना पड़ा. लोकसभा चुनाव में भी प्रशांत किशोर ने अपनी कोई भूमिका नहीं निभाई और बाद में पार्टी से उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा दिया.

patna
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते प्रशांत किशोर

सोशल मीडिया पर करते रहे हमला
प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार के साथ मतभेद लगातार बढ़ती गई और वो सोशल मीडिया पर लगातार नीतीश कुमार पर हमला करते रहे. वहीं प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बिहार आए और बिहार को बदलने की बात कही. लेकिन वह सब हवा हवाई निकला. फिलहाल बिहार पर उनकी नजर जरूर है. लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से नीतीश कुमार पर कोरोना को लेकर तंज कसने तक ही.

पीके का सारा काम काज बंगाल और तमिलनाडु हुआ शिफ्ट
प्रशांत किशोर के बिहार से अपने कार्यालय और कार्यक्रम को बंद करने के पीछे बड़ा कारण नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन माना जा रहा है. साथ में विपक्ष की ओर से तवज्जो नहीं मिलना भी एक बड़ा कारण है. प्रशांत किशोर ने अपने चुनावी गणित में शायद या अंदाज लगा लिया की क्या कुछ होने वाला है और एनडीए में किसी तरह की गुंजाइश नहीं होने के बाद आखिरकार अपना पूरा कार्यक्रम फिलहाल बंद करने का फैसला लिया है. उनकी टीम के कई युवा सदस्य जो बंगाल और तमिलनाडु नहीं गए, उनका साथ भी छोड़ चुके हैं.

पटना: 'बात बिहार की' कार्यक्रम से अगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की घोषणा करने वाले प्रशांत किशोर ने राज्य में अपना कार्यालय तक बंद कर दिया है. प्रशांत किशोर का पटना के एग्जीबिशन रोड में लंबे समय से कार्यालय चल रहा था. उनकी टीम के कई सदस्य पूरे बिहार के लिए यहीं से काम कर रहे थे. लेकिन टीम के सदस्यों को प्रशांत किशोर ने बंगाल और तमिलनाडु शिफ्ट कर दिया. इसके बाद कार्यालय के बाहर ताला लगा हुआ है.

पीके ने बिहार से समेटा अपना कार्यालय
बिहार विधानसभा चुनाव में किसी दल की तरफ से तवज्जो नहीं दिए जाने के बाद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आखिरकार बिहार में अपना कार्यालय भी बंद कर लिया है. प्रशांत किशोर ने 40 से 50 लोगों की टीम 'बात बिहार की' कार्यक्रम के लिए तैयार किया था. अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू के कुछ महीनों में टीम ने काम भी किया था. लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही प्रशांत किशोर ने अपनी टीम को समेटना शुरू कर दिया था. पहले अधिकांश सदस्यों को बंगाल और तमिलनाडु शिफ्ट कर दिया. इसके बाद पटना कार्यालय पूरी तरह बंद हो गया है.

देखें पूरी रिपोर्ट

बिहार का नहीं किया रुख
बिहार में प्रशांत किशोर की गतिविधि पूरी तरह समाप्त हो गई है. इस साल के शुरुआत में जब प्रशांत किशोर पटना आए थे, तो उन्होंने दावा किया था कि तीन महीने में 10 लाख युवाओं को जोड़ेंगे और गांव तक राजनीति में अपनी भूमिका निभाएंगे. लेकिन उसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार का एक बार भी रुख नहीं किया. कोरोना संकटकाल में टीम के सदस्यों की फील्ड वर्क भी बंद हो गई. पूरा कार्यक्रम सोशल मीडिया तक सिमट कर रह गया और अब प्रशांत किशोर ने बिहार से अपने पूरे कार्यक्रम को ही समेट लिया है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कि 'बात बिहार की' मुहिम का कुछ ही दिनों में हवा निकल गई.

पार्टी ने दिखाया बाहर का रास्ता
पीके ने 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उसके बाद ही नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दो नंबर की कुर्सी भी दी थी. जेडीयू के छात्र राजनीति की जिम्मेवारी भी उन्हें ही मिली थी और पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पार्टी को जीत भी दिलाई थी. लेकिन पार्टी के अंदर उनके खिलाफ जिस प्रकार से नाराजगी बढ़ी आखिरकार उन्हें बिहार से बाहर जाना पड़ा. लोकसभा चुनाव में भी प्रशांत किशोर ने अपनी कोई भूमिका नहीं निभाई और बाद में पार्टी से उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा दिया.

patna
प्रेस कॉन्फ्रेंस करते प्रशांत किशोर

सोशल मीडिया पर करते रहे हमला
प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार के साथ मतभेद लगातार बढ़ती गई और वो सोशल मीडिया पर लगातार नीतीश कुमार पर हमला करते रहे. वहीं प्रशांत किशोर लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद बिहार आए और बिहार को बदलने की बात कही. लेकिन वह सब हवा हवाई निकला. फिलहाल बिहार पर उनकी नजर जरूर है. लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से नीतीश कुमार पर कोरोना को लेकर तंज कसने तक ही.

पीके का सारा काम काज बंगाल और तमिलनाडु हुआ शिफ्ट
प्रशांत किशोर के बिहार से अपने कार्यालय और कार्यक्रम को बंद करने के पीछे बड़ा कारण नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन माना जा रहा है. साथ में विपक्ष की ओर से तवज्जो नहीं मिलना भी एक बड़ा कारण है. प्रशांत किशोर ने अपने चुनावी गणित में शायद या अंदाज लगा लिया की क्या कुछ होने वाला है और एनडीए में किसी तरह की गुंजाइश नहीं होने के बाद आखिरकार अपना पूरा कार्यक्रम फिलहाल बंद करने का फैसला लिया है. उनकी टीम के कई युवा सदस्य जो बंगाल और तमिलनाडु नहीं गए, उनका साथ भी छोड़ चुके हैं.

Last Updated : Jul 28, 2020, 5:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.