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प्रशांत किशोर का बड़ा बयान- 'नीतीश कुमार के साथ फिर से काम करना चाहता हूं'

नीतीश कुमार पर प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान दिया है. पीके ने एक बार फिर से नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) के साथ काम करने की इच्छा जताई है. उन्होंने कहा कि 'नीतीश कुमार के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं है.' पढ़ें पूरी खबर..

PRASHANT KISHOR- Nitish Kumar
PRASHANT KISHOR- Nitish Kumar
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Published : Dec 16, 2021, 10:12 AM IST

पटनाः चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक बार फिर काम करने की इच्छा जताई (Prashant Kishor Desire to Work With Nitish Kumar) है. पीएम मोदी, राहुल गांधी, बिहार सीएम नीतीश कुमार और अमरिंदर सिंह में से उन्होंने नीतीश कुमार को चुना है.

इसे भी पढ़ें- 'दशकों तक भाजपा राज करेगी', पीके के इस बयान पर कांग्रेस हुई हमलावर

दरअसल, एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए जब प्रशांत किशोर से ये पूछा गया कि देश में सबसे बेहतर नेता कौन हैं, तो इस सवाल का जवाब उन्होंने नहीं दिया. लेकिन जब कुछ नेताओं का विकल्प उन्हें दिया गया तो इनमें से नीतीश कुमार के साथ काम करने की उन्होंने इच्छा जताई.

इसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी के साथ अपनी ट्यूनिंग से लेकर कांग्रेस में शामिल होने की खबरों तक पर सीधा जवाब दिया. आगामी लोकसभा चुनाव और विपक्ष की मजबूती पर भी प्रशांत ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि बिना कांग्रेस के सशक्त विपक्ष की संभावना कम है, हालांकि सिर्फ दलों को इकट्ठा करके बीजेपी से जीत नहीं सकते. प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी को हराने के लिए 4 M की जरूरत है. ये चार एम हैं मैसेज, मैसेंजर, मशीनरी और मैकेनिक.

इसे भी पढ़ें- प्रशांत किशोर बोले- राहुल नहीं लगा पा रहे पीएम मोदी की ताकत का अंदाजा

बता दें कि प्रशांत किशोर पहले भी नीतीश कुमार के खासमखास रहे हैं. जनता दल यूनाइटेड के वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं. पीके को नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाने लगा था. हालांकि, पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पीके स्वीकार्य नहीं थे. कहा जाता है कि नीतीश कुमार के कारण लोगों ने कभी मुंह नहीं खोला.

लेकिन सीएए और एनआरसी पर नीतीश कुमार के स्टैंड के खिलाफ जब प्रशांत खुलकर बोलने लगे थे, तो यह समझा जाने लगा था कि अब उनकी छुट्टी तय है. लंबे समय तक चले मतभेद के बाद नीतीश कुमार ने पीके के मसले पर मुंह खोला और कह दिया था कि अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया था. इसके बाद उन्होंने कहा था कि 'उन्हें जब तक मन हो रहें, वह दूसरी पार्टी के लिए काम भी करते हैं. अगर रहना चाहें तो भी कोई दिक्कत नहीं, जाना चाहें तो भी हमें कोई खास दिक्कत नहीं है.' इसके बाद से पीके चुनावी रणनीतिकार के तौर पर भी काम करते आ रहे हैं.

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पटनाः चुनावी रणनीतिकार और जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक बार फिर काम करने की इच्छा जताई (Prashant Kishor Desire to Work With Nitish Kumar) है. पीएम मोदी, राहुल गांधी, बिहार सीएम नीतीश कुमार और अमरिंदर सिंह में से उन्होंने नीतीश कुमार को चुना है.

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दरअसल, एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए जब प्रशांत किशोर से ये पूछा गया कि देश में सबसे बेहतर नेता कौन हैं, तो इस सवाल का जवाब उन्होंने नहीं दिया. लेकिन जब कुछ नेताओं का विकल्प उन्हें दिया गया तो इनमें से नीतीश कुमार के साथ काम करने की उन्होंने इच्छा जताई.

इसके बाद उन्होंने ममता बनर्जी के साथ अपनी ट्यूनिंग से लेकर कांग्रेस में शामिल होने की खबरों तक पर सीधा जवाब दिया. आगामी लोकसभा चुनाव और विपक्ष की मजबूती पर भी प्रशांत ने अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि बिना कांग्रेस के सशक्त विपक्ष की संभावना कम है, हालांकि सिर्फ दलों को इकट्ठा करके बीजेपी से जीत नहीं सकते. प्रशांत किशोर ने कहा कि मोदी को हराने के लिए 4 M की जरूरत है. ये चार एम हैं मैसेज, मैसेंजर, मशीनरी और मैकेनिक.

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बता दें कि प्रशांत किशोर पहले भी नीतीश कुमार के खासमखास रहे हैं. जनता दल यूनाइटेड के वे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं. पीके को नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाने लगा था. हालांकि, पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को पीके स्वीकार्य नहीं थे. कहा जाता है कि नीतीश कुमार के कारण लोगों ने कभी मुंह नहीं खोला.

लेकिन सीएए और एनआरसी पर नीतीश कुमार के स्टैंड के खिलाफ जब प्रशांत खुलकर बोलने लगे थे, तो यह समझा जाने लगा था कि अब उनकी छुट्टी तय है. लंबे समय तक चले मतभेद के बाद नीतीश कुमार ने पीके के मसले पर मुंह खोला और कह दिया था कि अमित शाह के कहने पर प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल किया था. इसके बाद उन्होंने कहा था कि 'उन्हें जब तक मन हो रहें, वह दूसरी पार्टी के लिए काम भी करते हैं. अगर रहना चाहें तो भी कोई दिक्कत नहीं, जाना चाहें तो भी हमें कोई खास दिक्कत नहीं है.' इसके बाद से पीके चुनावी रणनीतिकार के तौर पर भी काम करते आ रहे हैं.

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