पटना (मसौढ़ी): राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में आलू की खेती शुरू हो चुकी है. सब्जियों के राजा आलू की बुवाई का समय चल रहा है. इसी क्रम में मसौढ़ी के भैंसवा गांव में हजारों एकड़ खेतों में इस बार 'टू पोटैटो विधि' से खेती की जा रही है. जिससे किसान भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं.
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टू पोटैटो विधि से आलू की खेती: सब्जियों का राजा कहे जाने वाले आलू के बिना ज्यादातर सब्जियां अधूरी मानी जाती है. यह एक ऐसी सब्जी है, जो सालों भर उपलब्ध रहती है. इन दिनों पटना के ग्रामीण इलाकों में टू पोटैटो सीड विधि से आलू की खेती की जा रही है. मसौढ़ी का भैसवां गांव जिसे सब्जियों का गांव कहा जाता है. वहां 1000 एकड़ भूमि पर आलू की खेती की जाती है.
आलू की खेती पर निर्भर हैं यहां के किसान: यहां सैकड़ों किसान आलू की खेती पर ही निर्भर हैं. इस वर्ष कृषि विभाग टू पोटैटो सीड के बारे में सभी किसानों को जागरूक कर रहे है. जिससे आलू की पैदावार अच्छी हो सके. आलू के बेहतरीन खेती के लिए कृषि वैज्ञानिक निर्णाल वर्मा ने बताया कि खेतो की दो से तीन बार गहरी जुताई कर मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी कर ले, इसमें सड़ी हुई गोबर की खाद के रूप में और निष्कासित राख और पशु शेड के अवशेष को अच्छी तरह से मिलाकर मिट्टी को समतल कर लिया जाता है.
बंगाल से बीच लाकर की जा रही बुवाई: टू पोटैटो विधी के बारे में कहा जाता है कि ज्यादातर वेस्ट बंगाल के पुखराज बीज को लोग खेतों में बुवाई करते हैं. अच्छा पैदावार होता है और इसके पद्धति में हर बीज को 6 सेंटीमीटर की दूरी पर खेतों में लगाया जाता है. कतार से कतार की दूरी 40 से 45 सेंटीमीटर पर रखा जाता है. आलू की फसल में पोटाश की अधिक खुराक देने पर उपज में वृद्धि होती है. जब तापमान में असमय परिवर्तन होने लगे और आसमान में बादल दिखाई दे तो ऐसे समय में किसान आलू की फसल को पाले से बचाव के लिए रासायनिक दवाओं का छिड़काव करते हैं.
"सभी किसान इस बार आलू की बंगाल टाइगर और पुखराज बीज खेत में डाल रहे हैं. इस पोटैटो सीड आलू की पैदावार अच्छी होती है."- सिताराम सिंह, किसान, जगपुरा, भैसवां, मसौढ़ी
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