पटनाः बिहार के आधा दर्जन से अधिक विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद प्रभार में चल रहे हैं. कुलपति के साथ प्रो वीसी के पद भी अधिकांश विश्वविद्यालयों में खाली पड़े हैं. पूर्व का ऑक्सफोर्ड नाम से अपनी पहचान बनाने वाले पटना विश्वविद्यालय में कई महीनों से कुलपति का पद खाली है. फिलहाल यहां नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति को प्रभार दिया गया है.
हाल में पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस्तीफा दे दिया. उनके पास दो-दो विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार था. वहां कुलपति के चयन की प्रक्रिया चल रही है. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आचार संहिता से पहले सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति के चयन की कोशिश की जा रही है.
बिहार के जिन विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद रिक्त पड़े हैं उनमें
1. पटना विश्वविद्यालय
2. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय
3. जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा
4. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा
5. तिलका मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर
6. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय
7. पूर्णिया विश्वविद्यालय शामिल हैं.
कई विश्वविद्यालयों में खाली हैं पद
कुलपतियों के साथ 8 विश्वविद्यालयों के प्रो वीसी के पद भी खाली पड़े हैं. इसमें तिलकामांझी भागलपुर, पटना विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, एलएन मिथिला विश्वविद्यालय, मौलाना आजाद अरबी फारसी विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा,, जेपी विश्वविद्यालय छपरा और के एस डी विश्वविद्यालय दरभंगा शामिल हैं. विश्वविद्यालयों में वीसी और प्रो वीसी के पद खाली रहने से शैक्षणिक और अन्य गतिविधियों पर काफी असर पड़ रहा है.
"बिहार में उच्च शिक्षा के प्रति काफी लापरवाही देखने को मिलती है, चाहे विवि के कुलपति की नियुक्ति हो या शिक्षक की नुयुक्ति हो. कुलपति की नियुक्ति के बाद भी शिक्षकों की कमी से स्थिति नहीं सुघरेगी. कुलपति के काम का एक टेन्योर होता है जिसके पूरा होने के पहले की दूसरे कुलपति की नियुक्ति कर देनी चाहिए, लेकिन यह भी समय पर नहीं हो रहा है."
-डीएम दिवाकर, प्रोफेसर एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सहित कुछ विश्वविद्यालयों के लिए सरकार ने नाम भी भेजे हैं जिस पर राजभवन चयन की प्रक्रिया में लगा है. सरकार की ओर से कोशिश की जा रही है कि विधानसभा चुनाव के आचार संहिता लगने से पहले कुलपतियों के नामों पर फैसला हो जाए. फिलहाल पूरे मामले में सरकार और शिक्षा विभाग कुछ भी बोलने से बच रहा है.
नहीं मिल रहा मनचाहा उम्मीदवार
पहले भी कुलपतियों के पद को लेकर राजभवन और सरकार के बीच तकरार होती रही है, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. राजभवन और सरकार के बीच अच्छे संबंध हैं. इस बार कुलपति पद के लिए मनचाहा उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण ही सरकार की ओर से नाम भेजने में देरी हो रही है.
चुनाव से पहले चयन प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश
सूत्र बताते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले बचे हुए सभी विवि के लिये राज्य सरकार की ओर से सर्च कमेटी के माध्यम से अनुशंसा की जाएगी. जिसके बाद राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद इसपर अंतिम मुहर लगेगी. पटना विश्वविद्यालय सहित बिहार के सभी नामचीन विश्वविद्यालयों में कुलपति के पद महीनों से खाली पड़े रहने पर सवाल भी उठ रहे हैं. कोरोना के साथ कुलपति के नहीं रहने से शैक्षणिक गतिविधियों पर असर पड़ रहा है.