ETV Bharat / state

पटना: ठंड में फुटपाथ पर ठिठुरने को मजबूर गरीब, अब तक नहीं बना एक भी रैनबसेरा

नगर निगम की तरफ से पटना के कई इलाकों में कुल 15 रैन बसेरा फरवरी तक बनाए जाने को कहा गया है. इसमें 50-50 की संख्या में लोगों को ठहरने की सुविधा होने के दावे किए गए हैं. लेकिन हर वर्ष किए गए ये दावे अब भी दावे ही रह गए हैं.

फुटपाथ पर सोते लोग
फुटपाथ पर सोते लोग
author img

By

Published : Dec 27, 2019, 7:09 AM IST

पटना: राजधानी में इन दिनों सर्दी का सितम जोरों पर है. यहां शाम होते ही तापमान में गिरावट के कारण फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शहरों में रहने वाले बेघरों को रात में सोने के लिए जगह ढूंढना एक बड़ी चुनौती होती है. इन्हें कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान में सोना पड़ता है.

नगर निगम की तरफ से पटना के कई इलाकों में कुल 15 रैन बसेरे फरवरी तक बनाए जाने को कहा गया है. इसमें 50-50 की संख्या में लोगों को ठहरने की सुविधा होने के दावे किए गए हैं. लेकिन हर वर्ष किए गए ये दावे अब दावे ही रह गए है. आज भी गरीब खुले आसमान के नीचे इस कड़कड़ाती ठंड में सोने को विवश है.

ठंड में फुटपाथ पर सोते हैं लोग

बर्फ जमा देने वाली ठंड
राजधानी में बीते कई सालों में काफी कुछ बदला है. लेकिन नहीं बदली है, तो बस एक तस्वीर और वो है गरीब की रात, जो आज भी खुले आसमान के नीचे सोता है. बता दें कि ठेले वाले, रिक्शे वाले और अन्य गरीब वर्ग के लोग आज भी कई चौक-चौराहे पर खुले आसमान के नीचे बर्फ जमा देने वाली ठंडी रात में चादर, कंबल, प्लास्टिक, फुटपाथ पर कागज और कूट को जलाकर उसकी गर्मी के सहारे रात गुजारते नजर आते हैं.

पटना: राजधानी में इन दिनों सर्दी का सितम जोरों पर है. यहां शाम होते ही तापमान में गिरावट के कारण फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शहरों में रहने वाले बेघरों को रात में सोने के लिए जगह ढूंढना एक बड़ी चुनौती होती है. इन्हें कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान में सोना पड़ता है.

नगर निगम की तरफ से पटना के कई इलाकों में कुल 15 रैन बसेरे फरवरी तक बनाए जाने को कहा गया है. इसमें 50-50 की संख्या में लोगों को ठहरने की सुविधा होने के दावे किए गए हैं. लेकिन हर वर्ष किए गए ये दावे अब दावे ही रह गए है. आज भी गरीब खुले आसमान के नीचे इस कड़कड़ाती ठंड में सोने को विवश है.

ठंड में फुटपाथ पर सोते हैं लोग

बर्फ जमा देने वाली ठंड
राजधानी में बीते कई सालों में काफी कुछ बदला है. लेकिन नहीं बदली है, तो बस एक तस्वीर और वो है गरीब की रात, जो आज भी खुले आसमान के नीचे सोता है. बता दें कि ठेले वाले, रिक्शे वाले और अन्य गरीब वर्ग के लोग आज भी कई चौक-चौराहे पर खुले आसमान के नीचे बर्फ जमा देने वाली ठंडी रात में चादर, कंबल, प्लास्टिक, फुटपाथ पर कागज और कूट को जलाकर उसकी गर्मी के सहारे रात गुजारते नजर आते हैं.

Intro:राजधानी पटना में इन दिनों सर्दी का सितम जोरों पर है तापमान में शाम होते हैं होते गिरावट के कारण शहरों में रहने वाले बेघरों और फुटफाथ पर रहने वाले लोगों के लिए रात की नींद एक बड़ी चुनौती के रूप में बदल जाती है इन्हें कड़ाके की सर्दी में खुले में सोना पड़ता है नगर निगम के द्वारा पटना के कई इलाकों में कुल 15 रैन बसेरा फरवरी तक बनाए जाने और उसमें 50 50 की संख्या में लोगों को ठहरने की सुविधा होने के दावे किए गए हैं पर वर्षों से किए गए दावे दावे ही रह गए और आज भी गरीब खुले आसमान के नीचे इस कड़कड़ाती ठंड में सोने को विवश है और कहीं ना कहीं यह तस्वीरें सरकार और निगम के तमाम दावों को मुंह चिढाती नजर आती है ......


Body:राजधानी पटना में विगत सालो में काफी कुछ बदला है नहीं बदली है तो बस एक तस्वीर और वो है गरीब की रात , जो आज भी खुले आसमान के नीचे गुजरती है ......

अगर हम बात करें तो ठेले वाले रिक्शे वाले और अन्य गरीब वर्ग के लोग आज भी कई चौक चौराहे पर खुले आसमान के नीचे बर्फ जमा देने वाली ठंडी रात में चादर , कंबल,प्लास्टिक और फुटफाथ पर कागज और कूट को जलाकर उसकी गर्मी के सहारे रात गुजारते नजर आते हैं कई वर्षों से पटना की यही तस्वीरें है जो आज तक नही बदली और कही न कही हम स्मार्ट सिटी की ओर बढ़ रहे है और ये तस्वीर सरकार के तमाम कार्यो को मुंह चिढाती हुई आज रात भी पटना की सड़कों पर नजर आती है.....




Conclusion:इन दिनों पटना में ठंड का सितम शाम होते हैं दिखने लगता है शाम होते ही तापमान में काफी गिरावट हो जाती है रात होते हैं लोग अपने अपने घरों में दुबक जाते हैं और देर रात तक जब पारा 10 और 11 डिग्री के आस पास पहुंच जाता है और ऐसे में सैकड़ो गरीब इस हाड़ हिला देने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने को आज भी विवश है ...
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.