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तबादले पर BJP-JDU में तकरार? : RJD बोली- बिहार में फल-फूल रहा ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग

बिहार में भाजपा कोटे के मंत्री रामसूरत राय के बड़े स्तर पर अंचलाधिकारी सहित कई अधिकारियों के स्थानांतरण पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद अब सियासत गर्म हो गई है. एक बार फिर जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते को लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं.

राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक
राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक
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Published : Jul 10, 2022, 12:16 PM IST

Updated : Jul 10, 2022, 1:34 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) द्वारा भू-अभिलेख और राजस्व विभागों के 149 अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति रद्द करने के एक दिन बाद, राजद ने डबल इंजन एनडीए सरकार की खिंचाई की. पार्टी ने कहा कि बिहार में ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग फल-फूल रहा है. राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, हर साल जून और दिसंबर के महीनों के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है और यह शुक्रवार को साबित हुआ जब नीतीश कुमार ने 149 अधिकारियों की तबादला-पोस्टिंग रद्द कर दी. नीतीश कुमार सरकार में यह एक खुला रहस्य है कि स्थानांतरण के लिए रिश्वत ली जाती है.

ये भी पढ़ें: 'जब मंत्री का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं, तो विभाग चलाने से क्या फायदा', ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक से भड़के रामसूरत

राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक: मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि न केवल संबंधित विभागों का प्रभार संभालने वाले राम सूरत राय मंत्रालय, बल्कि हर मंत्रालय की स्थिति एक जैसी है. भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने पहले आरोप लगाया था कि तबादला-तैनाती के लिए हर मंत्रालय में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, तिवारी ने कहा कि उनके नेता तेजस्वी यादव ने भी विधानसभा में तबादलों और पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का उल्लेख किया है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा विधायक गोपाल नारायण सिंह ने दावा किया था कि भाजपा और जद (यू) बिहार में एक बेमेल गठबंधन है और यदि ऐसा है तो वे एक साथ सरकार क्यों चला रहे हैं. उन्होंने कहा, 'भाजपा और जदयू सरकार में 'मलाई' खाने के लिए हैं. इधर, RJD के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि सरकार में इस तरह के भ्रष्टाचार के सामने आने के बाद, नीतीश कुमार को राम सूरत राय को सरकार से बाहर कर देना चाहिए.

क्या बोले मंत्री रामसूरत राय? : स्थानांतरण-ट्रांसफर रद्द करना मुख्यमंत्री का विशेष विशेषाधिकार है. यदि आवश्यक हो तो मैं स्पष्टीकरण दूंगा. जहां तक राजद का सवाल है, वे विपक्ष में हैं. इसलिए, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, अगर उसके नेता इसकी आलोचना कर रहे हैं. दरअसल, कुछ लोगों की शिकायत थी कि कम समय में ट्रांसफर हो गया है, जिसके कारण CM ने कहा कि पुन: समीक्षा करने की जरूरत है. 7-10 दिन में फिर समीक्षा करके मुख्यमंत्री की स्वीकृति से मैं ही इसे फिर भेजूंगा. कोई अनियमितता या कहीं भी कोई जातिवाद नहीं हुआ है.

"ये माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेषाधिकार है. किसी भी विभाग का वो समीक्षा कर सकते हैं. उनके पास सूचना मिला होगा कि अधिक लोगों का तबादला कम समय में हुआ होगा तोये सही बात है कि कम समय वाले सीओ का तबादला हुआ है. मेरे मन में भावना में ठेस पहुंचा है. मैं जनता के बीच रहता हूं लेकिन जब इस तरह से बात होगी तो जनता के बीच जाने का कोई फायदा नहीं. जनता अपना सोचे, अपना समझे. अब मैं जनता दरबार नहीं लगाऊंगा" - रामसूरत राय, मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार

क्या था मामला?: बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री की सिफारिश पर भूमि सुधार एवं राजस्व विभागों के 149 अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापन को रद्द कर दिया. बताया जाता है कि जिनका तबादला किया गया उसमे कई में नियमों की अवहेलना की गई है. नियम के अनुसार, अंचलाधिकारी का तबादला अंचल में तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद किया जाता है लेकिन इस बार वैसे लोग भी सूची में शामिल थे, जिन्होंने एक अंचल में तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) द्वारा भू-अभिलेख और राजस्व विभागों के 149 अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति रद्द करने के एक दिन बाद, राजद ने डबल इंजन एनडीए सरकार की खिंचाई की. पार्टी ने कहा कि बिहार में ट्रांसफर-पोस्टिंग उद्योग फल-फूल रहा है. राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, हर साल जून और दिसंबर के महीनों के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है और यह शुक्रवार को साबित हुआ जब नीतीश कुमार ने 149 अधिकारियों की तबादला-पोस्टिंग रद्द कर दी. नीतीश कुमार सरकार में यह एक खुला रहस्य है कि स्थानांतरण के लिए रिश्वत ली जाती है.

ये भी पढ़ें: 'जब मंत्री का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं, तो विभाग चलाने से क्या फायदा', ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक से भड़के रामसूरत

राजस्व विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक: मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि न केवल संबंधित विभागों का प्रभार संभालने वाले राम सूरत राय मंत्रालय, बल्कि हर मंत्रालय की स्थिति एक जैसी है. भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने पहले आरोप लगाया था कि तबादला-तैनाती के लिए हर मंत्रालय में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है, तिवारी ने कहा कि उनके नेता तेजस्वी यादव ने भी विधानसभा में तबादलों और पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का उल्लेख किया है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा विधायक गोपाल नारायण सिंह ने दावा किया था कि भाजपा और जद (यू) बिहार में एक बेमेल गठबंधन है और यदि ऐसा है तो वे एक साथ सरकार क्यों चला रहे हैं. उन्होंने कहा, 'भाजपा और जदयू सरकार में 'मलाई' खाने के लिए हैं. इधर, RJD के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि सरकार में इस तरह के भ्रष्टाचार के सामने आने के बाद, नीतीश कुमार को राम सूरत राय को सरकार से बाहर कर देना चाहिए.

क्या बोले मंत्री रामसूरत राय? : स्थानांतरण-ट्रांसफर रद्द करना मुख्यमंत्री का विशेष विशेषाधिकार है. यदि आवश्यक हो तो मैं स्पष्टीकरण दूंगा. जहां तक राजद का सवाल है, वे विपक्ष में हैं. इसलिए, यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, अगर उसके नेता इसकी आलोचना कर रहे हैं. दरअसल, कुछ लोगों की शिकायत थी कि कम समय में ट्रांसफर हो गया है, जिसके कारण CM ने कहा कि पुन: समीक्षा करने की जरूरत है. 7-10 दिन में फिर समीक्षा करके मुख्यमंत्री की स्वीकृति से मैं ही इसे फिर भेजूंगा. कोई अनियमितता या कहीं भी कोई जातिवाद नहीं हुआ है.

"ये माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेषाधिकार है. किसी भी विभाग का वो समीक्षा कर सकते हैं. उनके पास सूचना मिला होगा कि अधिक लोगों का तबादला कम समय में हुआ होगा तोये सही बात है कि कम समय वाले सीओ का तबादला हुआ है. मेरे मन में भावना में ठेस पहुंचा है. मैं जनता के बीच रहता हूं लेकिन जब इस तरह से बात होगी तो जनता के बीच जाने का कोई फायदा नहीं. जनता अपना सोचे, अपना समझे. अब मैं जनता दरबार नहीं लगाऊंगा" - रामसूरत राय, मंत्री, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार

क्या था मामला?: बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री की सिफारिश पर भूमि सुधार एवं राजस्व विभागों के 149 अधिकारियों के स्थानांतरण एवं पदस्थापन को रद्द कर दिया. बताया जाता है कि जिनका तबादला किया गया उसमे कई में नियमों की अवहेलना की गई है. नियम के अनुसार, अंचलाधिकारी का तबादला अंचल में तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद किया जाता है लेकिन इस बार वैसे लोग भी सूची में शामिल थे, जिन्होंने एक अंचल में तीन साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.

Last Updated : Jul 10, 2022, 1:34 PM IST
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