पटना: बिहार सरकार के वित्त विभाग ने मार्च महीने तक 1 करोड़ से अधिक खर्च करने पर रोक लगा दिया है. जिसके बाद प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है. विपक्ष का आरोप है कि बिहार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. दूसरी ओर सत्ता पक्ष का कहना है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ये कदम उठाया गया है.
आरजेडी विधायक विजय प्रकाश का कहना है कि बिहार का खजाना आर्थिक संकट से गुजर रहा है. डबल इंजन की सरकार केवल नाम की है. नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के वोट का सौदा कर बीजेपी की शरण ली है. उन्होंने ये भी कहा है कि जल जीवन हरियाली के नाम पर सरकार 2500 करोड़ खर्च कर रही है, लेकिन वित्त विभाग के आदेश से कुछ और कहानी समझ आती है.
कांग्रेस ने भी कसे तंज
कांग्रेस नेता हरखू झा ने कहा कि बिहार में फरवरी और मार्च के महीने में कई तरह के भुगतान होते हैं. लेकिन, वित्त विभाग के अचानक रोक से इन तमाम चीजों में बाधा आएगी. जिससे बिहार के विकास में भी बाधा होना लाजमी है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार इस तरह का आदेश देकर आगामी बजट में पुरानी चीजों को समाहित कर गड़बड़ी करने की तैयारी में है.
एहतियातन उठाए गए हैं कदम- बीजेपी
विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों पर बीजेपी ने नीतीश सरकार का बचाव किया है. बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि इस तरह के आदेश से मार्च में होने वाली लूट पर रोक लगेगी. सरकार की मंशा आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने की है. सरकारी खजाने में पैसे की कहीं कोई कमी नहीं है. विपक्ष मुद्दों के अभाव में अनर्गल बातें ना फैलाये.
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क्या है मामला?
बता दें कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ में राज्य के सभी आला-अफसरों को चिट्ठी भी जारी कर दिया है. इन अफसरों में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, सभी प्रमंडलों के कमिश्नर, डीएम और ट्रेजरी ऑफिसर शामिल हैं. विभाग की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि 31 मार्च तक खर्च की जाने वाली राशि ही ट्रेजरी से बाहर निकाली जाए. जिस राशि का उपयोग इस वित्तीय वर्ष में नहीं हो सकेगा, उसे 25 मार्च तक नियमानुसार ट्रेजरी में वापस जमा करा देना होगा.