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खर्च पर रोक के बाद विपक्ष ने खड़े किए सवाल, कहा- 'आर्थिक संकट से जूझ रहा बिहार'

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Published : Feb 7, 2020, 4:57 PM IST

राज्य सरकार ने पहली बार खर्च पर रोक लगाने का फरमान जारी किया है. इसके बाद विपक्षी नेताओं ने नीतीश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.

नेताओं की फोटो
नेताओं की फोटो

पटना: बिहार सरकार के वित्त विभाग ने मार्च महीने तक 1 करोड़ से अधिक खर्च करने पर रोक लगा दिया है. जिसके बाद प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है. विपक्ष का आरोप है कि बिहार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. दूसरी ओर सत्ता पक्ष का कहना है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ये कदम उठाया गया है.

आरजेडी विधायक विजय प्रकाश का कहना है कि बिहार का खजाना आर्थिक संकट से गुजर रहा है. डबल इंजन की सरकार केवल नाम की है. नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के वोट का सौदा कर बीजेपी की शरण ली है. उन्होंने ये भी कहा है कि जल जीवन हरियाली के नाम पर सरकार 2500 करोड़ खर्च कर रही है, लेकिन वित्त विभाग के आदेश से कुछ और कहानी समझ आती है.

patna
वित्त विभाग की ओर से जारी लेटर

कांग्रेस ने भी कसे तंज
कांग्रेस नेता हरखू झा ने कहा कि बिहार में फरवरी और मार्च के महीने में कई तरह के भुगतान होते हैं. लेकिन, वित्त विभाग के अचानक रोक से इन तमाम चीजों में बाधा आएगी. जिससे बिहार के विकास में भी बाधा होना लाजमी है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार इस तरह का आदेश देकर आगामी बजट में पुरानी चीजों को समाहित कर गड़बड़ी करने की तैयारी में है.

देखें पूरी रिपोर्ट

एहतियातन उठाए गए हैं कदम- बीजेपी
विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों पर बीजेपी ने नीतीश सरकार का बचाव किया है. बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि इस तरह के आदेश से मार्च में होने वाली लूट पर रोक लगेगी. सरकार की मंशा आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने की है. सरकारी खजाने में पैसे की कहीं कोई कमी नहीं है. विपक्ष मुद्दों के अभाव में अनर्गल बातें ना फैलाये.

ये भी पढ़ें: अग्रणी भूमिका निभाने की तैयारी में बिहार, देश में पहली बार पेश होगा ग्रीन बजट

क्या है मामला?
बता दें कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ में राज्य के सभी आला-अफसरों को चिट्ठी भी जारी कर दिया है. इन अफसरों में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, सभी प्रमंडलों के कमिश्नर, डीएम और ट्रेजरी ऑफिसर शामिल हैं. विभाग की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि 31 मार्च तक खर्च की जाने वाली राशि ही ट्रेजरी से बाहर निकाली जाए. जिस राशि का उपयोग इस वित्तीय वर्ष में नहीं हो सकेगा, उसे 25 मार्च तक नियमानुसार ट्रेजरी में वापस जमा करा देना होगा.

पटना: बिहार सरकार के वित्त विभाग ने मार्च महीने तक 1 करोड़ से अधिक खर्च करने पर रोक लगा दिया है. जिसके बाद प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. इस पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है. विपक्ष का आरोप है कि बिहार आर्थिक संकट से जूझ रहा है. दूसरी ओर सत्ता पक्ष का कहना है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ये कदम उठाया गया है.

आरजेडी विधायक विजय प्रकाश का कहना है कि बिहार का खजाना आर्थिक संकट से गुजर रहा है. डबल इंजन की सरकार केवल नाम की है. नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के वोट का सौदा कर बीजेपी की शरण ली है. उन्होंने ये भी कहा है कि जल जीवन हरियाली के नाम पर सरकार 2500 करोड़ खर्च कर रही है, लेकिन वित्त विभाग के आदेश से कुछ और कहानी समझ आती है.

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वित्त विभाग की ओर से जारी लेटर

कांग्रेस ने भी कसे तंज
कांग्रेस नेता हरखू झा ने कहा कि बिहार में फरवरी और मार्च के महीने में कई तरह के भुगतान होते हैं. लेकिन, वित्त विभाग के अचानक रोक से इन तमाम चीजों में बाधा आएगी. जिससे बिहार के विकास में भी बाधा होना लाजमी है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार इस तरह का आदेश देकर आगामी बजट में पुरानी चीजों को समाहित कर गड़बड़ी करने की तैयारी में है.

देखें पूरी रिपोर्ट

एहतियातन उठाए गए हैं कदम- बीजेपी
विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों पर बीजेपी ने नीतीश सरकार का बचाव किया है. बीजेपी प्रवक्ता अजीत चौधरी ने कहा कि इस तरह के आदेश से मार्च में होने वाली लूट पर रोक लगेगी. सरकार की मंशा आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने की है. सरकारी खजाने में पैसे की कहीं कोई कमी नहीं है. विपक्ष मुद्दों के अभाव में अनर्गल बातें ना फैलाये.

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क्या है मामला?
बता दें कि वित्त विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ में राज्य के सभी आला-अफसरों को चिट्ठी भी जारी कर दिया है. इन अफसरों में सभी अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष, सभी प्रमंडलों के कमिश्नर, डीएम और ट्रेजरी ऑफिसर शामिल हैं. विभाग की ओर से जारी पत्र में लिखा गया है कि 31 मार्च तक खर्च की जाने वाली राशि ही ट्रेजरी से बाहर निकाली जाए. जिस राशि का उपयोग इस वित्तीय वर्ष में नहीं हो सकेगा, उसे 25 मार्च तक नियमानुसार ट्रेजरी में वापस जमा करा देना होगा.

Intro:सब हेड..
मार्च तक एक करोड़ से अधिक खर्च पर वित्त विभाग ने लगाई रोक। विपक्ष सरकार पर लगाया आरोप। कहा बिहार आर्थिक संकट से जूझ रहा। सत्ता पक्ष का मानना भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए लगाई गई रोक।

मार्च महीने तक के लिए सभी विभागों में एक करोड़ से अधिक राशि के खर्च पर रोक लगा दी गई है। इस बावत वित्त विभाग ने सभी विभागों और जिलों को चिट्ठी भी जारी कर दिया है। इस मामले को लेकर वित्त विभाग ने विस्तार से चिट्ठी में सारी जानकारी भी दी है। विभाग का मानना है कि मार्च तक रुपए खर्च नहीं होने के कारण आगामी वित्त वर्ष में कई तरह की कठिनाइयां होती है।


Body:लेकिन सरकार के इस फरमान के बाद अब विपक्ष सरकार को घेर रही है। विपक्षी दलों का मानना है कि बिहार का खजाना आर्थिक संकट से गुजर रहा है। तो वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि मार्च में होने वाली लूट को रोकने के लिए इस तरह के कदम उठाए गए हैं।

राजद विधायक विजय प्रकाश कहते हैं कि आखिर डबल इंजन की सरकार के नाम पर जिस नीतीश कुमार ने बिहार के जनता का वोट का सौदा कर भाजपा की गोद में जा बैठे थे। आज इस तरह का लोक वित्त विभाग क्यों लगा रही है। राजद नेता का मानना है कि सरकार के खजाने में राशि का काफी अभाव हो चुका है। जल जीवन हरियाली के नाम पर 2500 करोड़ खर्च सरकार कर रही है लेकिन वित्त विभाग के आदेश से कहानी कुछ और समझ में आता है। राजद का मानना है कि जिस तरह से झारखंड में सरकार बदलने के बाद पूर्व की सरकारों को हिसाब देना पड़ रहा है। वहीं आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के बाद नीतीश कुमार को भी हिसाब देना होगा।


Conclusion:कांग्रेस नेता हर खोजा साफ तौर से कहते हैं कि बिहार फाइनैंशल क्राइसिस खेल रहा है। फरवरी मार्च के महीने में कई तरह के भुगतान होते हैं। लेकिन वित्त विभाग के इस तरह के रोक से इस तमाम चीजों पर बाधा आएगी। जिससे बिहार के विकास में भी बाधा होना लाजमी है। बिहार सरकार इस तरह का आदेश देकर फिर आगामी बजट में पुरानी चीजों को समाहित कर घालमेल करने की तैयारी में है।
विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों के जवाब में भाजपा के प्रवक्ता अजीत चौधरी कहते हैं कि इस तरह के आदेश से मार्च में होने वाली लूट पर रोक लगेगा। सरकार की मंशा आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने की है। सरकारी खजाने में पैसे की कहीं कोई कमी नहीं है। विपक्ष के लोग बेवजह प्रलाप कर रहे हैं।
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