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कोरोना काल में अस्पतालों पर राजनीति, खंडहरनुमा तस्वीरों से सरकार को घेर रहे लालू - corona crisis

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की कमजोरी उजागर हो गई थी. अब कोरोना संक्रमण धीरे-धीरे घटने लगा है. वहीं, स्वास्थ्य व्यवस्था पर राजनीति तेज हो गई है. लालू यादव, तेजस्वी यादव समेत राजद के तमाम नेता खंडहरनुमा अस्पतालों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं.

Politics on hospitals
अस्पतालों पर राजनीति
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Published : May 27, 2021, 8:13 PM IST

पटना: कोरोना संकटकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था सियासत का केंद्र बिंदु बन गई है. राजनीतिक दल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक-दूसरे को घेरने में जुटे हैं. बिहार में बदतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर 15 साल बनाम 15 साल की राजनीतिक जंग हो रही है.

यह भी पढ़ें- लालू यादव के ट्वीट पर छिड़ा सियासी संग्राम, NDA नेता बोले- 'आपके शासनकाल से बेहतर है अभी की स्थिति'

कोरोना संकटकाल में बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत सामने आ चुकी है. संक्रमण की रफ्तार ने जब रौद्र रूप धारण किया तब हालत खस्ता हो गई थी. सरकार भी त्राहिमाम कर रही थी. अब राष्ट्रीय जनता दल ने ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों की बदहाल स्थिति को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है.

देखें वीडियो

अस्पतालों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं राजद नेता
लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव समेत राजद के तमाम नेता ग्रामीण इलाकों के अस्पताल की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने कई पीएचसी और अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के साथ स्वास्थ्य उप केंद्र की तस्वीर शेयर की है. इनका आरोप है कि बिहार के ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्र बदहाल हैं और खंडहरनुमा हो चुके हैं. कुछ पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा जमा रखा है. लालू प्रसाद यादव ने कुछ तस्वीरें ट्विटर पर पोस्ट की हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है.

अस्पताल का रूप नहीं ले सके लालू राज में बने भवन
भाजपा प्रवक्ता और पेशे से चिकित्सक डॉक्टर राम सागर सिंह ने लालू यादव पर हमला बोला है. उन्होंने कहा "लालू जिन खंडहरनुमा तस्वीरों को शेयर कर रहे हैं वे उनके कार्यकाल के भ्रष्टाचार की गवाही दे रहे हैं. उनके 15 साल के शासनकाल में भवन तो बने, लेकिन वे अस्पताल का रूप नहीं ले सके और खंडहर में तब्दील हो गए. नीतीश कुमार के शासनकाल में अस्पताल में तमाम आधुनिक सुविधाएं हैं. लोगों को दवा के साथ-साथ इलाज भी मिल रहा है."

कोरोना के खिलाफ जंग में अव्वल है बिहार
"बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था अगर अच्छी नहीं होती तो कोरोना से जंग में राज्य अव्वल कैसे है. कोरोना टीकाकरण में भी बिहार पहले स्थान पर आया है. बिहार में संक्रमण दर और मृत्यु दर कम है और रिकवरी रेट सबसे अधिक है. ये अच्छे स्वास्थ्य व्यवस्था की निशानी है."- डॉक्टर राम सागर सिंह, प्रवक्ता, भाजपा

"सरकारें बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं रहीं हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार 1000 की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन बिहार में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है. यहां 17000 लोगों पर एक चिकित्सक है. सरकार को इस खाई को पहले पाटना होगा तभी स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो सकती है."- डॉ. संजय कुमार, समाजसेवी

यह भी पढ़ें- कोरोना संकट: रामकृपाल यादव ने CM नीतीश को लिखा पत्र, बोले- 'पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाए सरकार'

पटना: कोरोना संकटकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था सियासत का केंद्र बिंदु बन गई है. राजनीतिक दल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक-दूसरे को घेरने में जुटे हैं. बिहार में बदतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर 15 साल बनाम 15 साल की राजनीतिक जंग हो रही है.

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लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव समेत राजद के तमाम नेता ग्रामीण इलाकों के अस्पताल की तस्वीर सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने कई पीएचसी और अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के साथ स्वास्थ्य उप केंद्र की तस्वीर शेयर की है. इनका आरोप है कि बिहार के ज्यादातर स्वास्थ्य केंद्र बदहाल हैं और खंडहरनुमा हो चुके हैं. कुछ पर असामाजिक तत्वों ने कब्जा जमा रखा है. लालू प्रसाद यादव ने कुछ तस्वीरें ट्विटर पर पोस्ट की हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है.

अस्पताल का रूप नहीं ले सके लालू राज में बने भवन
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"बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था अगर अच्छी नहीं होती तो कोरोना से जंग में राज्य अव्वल कैसे है. कोरोना टीकाकरण में भी बिहार पहले स्थान पर आया है. बिहार में संक्रमण दर और मृत्यु दर कम है और रिकवरी रेट सबसे अधिक है. ये अच्छे स्वास्थ्य व्यवस्था की निशानी है."- डॉक्टर राम सागर सिंह, प्रवक्ता, भाजपा

"सरकारें बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं रहीं हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार 1000 की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए, लेकिन बिहार में यह आंकड़ा बहुत ज्यादा है. यहां 17000 लोगों पर एक चिकित्सक है. सरकार को इस खाई को पहले पाटना होगा तभी स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर हो सकती है."- डॉ. संजय कुमार, समाजसेवी

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