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Bihar Politics: क्या बिहार में फिर खेला होने वाला है? दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में नीतीश के जाने से सियासत गरमाई - पंडित दीनदयाल उपाध्याय

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हरियाणा के कैथल में इनेलो के कार्यक्रम से दूरी बना ली. नीतीश, देवीलाल की जयंती से दूरी बनाते हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती कार्यक्रम में शामिल हुए. इसके साथ ही बिहार की राजनीति में खलबली मची है.

दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में नीतीश के जाने से सियासत
दीनदयाल उपाध्याय की जयंती में नीतीश के जाने से सियासत
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 25, 2023, 5:59 PM IST

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पटना: भाजपा के तमाम नेताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को जहां श्रद्धांजलि दी, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को नमन किया.l नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के कार्यक्रम में शामिल होने से बिहार का सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है.

पढ़ें- Nitish Kumar : 'कौन क्या बोलता है, पता नहीं'.. NDA से नजदीकी पर बोले CM नीतीश कुमार.. INLD रैली से बनाई दूरी

'नीतीश में छटपटाहट'- बीजेपी: खास बात यह रही कि जयंती समारोह के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे. राजेंद्र नगर में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धा सुमन अर्पित किया. नीतीश कुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल हुए तो बिहार में सियासत शुरू हो गई है. भाजपा ने नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है. पार्टी की ओर से कहा गया कि नीतीश कुमार के अंदर महागठबंधन में छटपटाहट है. वहीं आरजेडी का कहना है कि सीएम ने राजधर्म का पालन किया है.

बीजेपी नेताओं ने भी किया नमन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और जनसंख्या के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी 107वीं जयंती के मौके पर याद किया जा रहा है. बिहार में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को आम और खास सभी ने श्रद्धांजलि दी. भाजपा के तमाम पदाधिकारी और नेताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को बड़े श्रद्धा के साथ नमन किया. इस दौरान कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे.

"नीतीश कुमार ने एकात्मक मानववाद और अंत्योदय के सिद्धांत को स्वीकारा है. जब बिहार में एनडीए की सरकार थी तब पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा स्थापित की गई थी. जब तक नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे तब तक अंत्योदय के सिद्धांत पर काम चल रहा था, लेकिन महागठबंधन के साथ जाते ही गरीब दलित और शोषण को उनके अधिकार से वंचित किया जाने लगा."- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

"अगर किसी शख्सियत में अच्छी चीज है तो उसको ग्रहण करना चाहिए. पंडित दीनदयाल उपाध्याय बड़े नेता थे और उनकी अच्छाई को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है. जहां तक सवाल जयंती समारोह में मुख्यमंत्री के शामिल होने का है तो उन्होंने राजधर्म निभाने का काम किया है."- शक्ति यादव, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी

"नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं. नीतीश कुमार का भाजपा में जाने का कोई सवाल नहीं है. भाजपा के लोग अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं."- हिमराज राम,जदयू प्रवक्ता

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पटना: भाजपा के तमाम नेताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को जहां श्रद्धांजलि दी, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को नमन किया.l नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के कार्यक्रम में शामिल होने से बिहार का सियासी पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया है.

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'नीतीश में छटपटाहट'- बीजेपी: खास बात यह रही कि जयंती समारोह के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद रहे. राजेंद्र नगर में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धा सुमन अर्पित किया. नीतीश कुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में शामिल हुए तो बिहार में सियासत शुरू हो गई है. भाजपा ने नीतीश कुमार को कटघरे में खड़ा किया है. पार्टी की ओर से कहा गया कि नीतीश कुमार के अंदर महागठबंधन में छटपटाहट है. वहीं आरजेडी का कहना है कि सीएम ने राजधर्म का पालन किया है.

बीजेपी नेताओं ने भी किया नमन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और जनसंख्या के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी 107वीं जयंती के मौके पर याद किया जा रहा है. बिहार में भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को आम और खास सभी ने श्रद्धांजलि दी. भाजपा के तमाम पदाधिकारी और नेताओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को बड़े श्रद्धा के साथ नमन किया. इस दौरान कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे.

"नीतीश कुमार ने एकात्मक मानववाद और अंत्योदय के सिद्धांत को स्वीकारा है. जब बिहार में एनडीए की सरकार थी तब पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा स्थापित की गई थी. जब तक नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे तब तक अंत्योदय के सिद्धांत पर काम चल रहा था, लेकिन महागठबंधन के साथ जाते ही गरीब दलित और शोषण को उनके अधिकार से वंचित किया जाने लगा."- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

"अगर किसी शख्सियत में अच्छी चीज है तो उसको ग्रहण करना चाहिए. पंडित दीनदयाल उपाध्याय बड़े नेता थे और उनकी अच्छाई को स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है. जहां तक सवाल जयंती समारोह में मुख्यमंत्री के शामिल होने का है तो उन्होंने राजधर्म निभाने का काम किया है."- शक्ति यादव, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी

"नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं. नीतीश कुमार का भाजपा में जाने का कोई सवाल नहीं है. भाजपा के लोग अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं."- हिमराज राम,जदयू प्रवक्ता

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