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जबरा जोड़ी में दरार... तभी तो ललन सिंह बोले- एक मंत्री बनना नीतीश का नहीं RCP सिंह का फैसला - rcp singh

नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह की जबरा जोड़ी में इन दिनों दरार पड़ने की खबरें आ रही हैं. आरसीपी सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद से इस बात को और हवा मिल गई है. इधर मंत्री पद के दावेदार माने जा रहे जदयू के कद्दावर नेता ललन सिंह के बयान के बाद सियासी अटकलें और तेज हो गई है.

नीतीश-आरसीपी
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Published : Jul 10, 2021, 8:22 PM IST

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह (RCP Singh) के बीच इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सियासी गलियारे में इस बात का शोर तब और बढ़ गया जब 17 सालों के बाद जदयू (JDU) कोटे से केन्द्र में मंत्री बने आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार ने बधाई तक नहीं दी और न ही आरसीपी सिंह ने औपचारिक तौर पर नीतीश कुमार का आभार जताया. अब तो पार्टी के कद्दावर नेता और ललन सिंह (Lalan Singh) ने भी दोनों के बीच मतभेद के संकेत दे दिए हैं.

इसे भी पढ़ें- JDU से RCP सिंह को साइड लाइन किये जाने की तैयारी! पार्टी में खेमेबाजी शुरू

मुंगेर से जदयू सांसद ललन सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि साल 2019 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जदयू का सांकेतिक हिस्सेदार नहीं बनने का फैसला नीतीश कुमार का था. क्योंकि उस समय नीतीश कुमार ही पार्टी के अध्यक्ष थे, लेकिन चूंकि अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह हैं, इस लिहाज से मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला उनका ही है.

देखें वीडियो

पार्टी में उच्च ओहदा होने के बाद भी मंत्री नहीं बनाने को लेकर नाराजगी के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि "मैं किसी से नाराज नहीं हूं. सब राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला है." ललन सिंह के इस बयान के बाद ये तो साफ हो गया है कि लंबे अरसे तक अपने स्टैंड पर कायम रहने वाले नीतीश कुमार की मर्जी के बिना ही इस बार जदयू सांकेतिक रूप से मंत्रिमंडल में शामिल हुआ है.

मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर जदयू का शुरू से ही सांकेतिक हिस्सेदारी की जगह आनुपातिक हिस्सेदारी की मांग रही है. इस बार भी बिहार में जदयू के 16 सांसद हैं, जबकि भाजपा के 17. इस लिहाज से जदयू को कम से कम से कम दो से तीन मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ललन सिंह के बयान के हिसाब से एक ही पद पर मानने का फैसला आरसीपी सिंह का है.

इसे भी पढ़ें- ललन सिंह ने उपेन्द्र कुशवाहा से की मुलाकात, चर्चाओं का बाजार गर्म

ललन सिंह जदयू के संसदीय दल के नेता बनाए गए उपेन्द्र कुशवाहा से भी मुलाकात कर चुके हैं. नीतीश-आरसीपी के बीच बढ़ती तल्खी के बीच कहें तो अंदर ही अंदर पार्टी में खेमेबाजी भी शुरू हो गई है. इधर एक तरफ चिराग पासवान तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव एक सुर में लगातार जदयू में टूट होने की बात कह रहे हैं. इस परिस्थिति में बिहार की राजनीति किस ओर करवट लेती है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह (RCP Singh) के बीच इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सियासी गलियारे में इस बात का शोर तब और बढ़ गया जब 17 सालों के बाद जदयू (JDU) कोटे से केन्द्र में मंत्री बने आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार ने बधाई तक नहीं दी और न ही आरसीपी सिंह ने औपचारिक तौर पर नीतीश कुमार का आभार जताया. अब तो पार्टी के कद्दावर नेता और ललन सिंह (Lalan Singh) ने भी दोनों के बीच मतभेद के संकेत दे दिए हैं.

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मुंगेर से जदयू सांसद ललन सिंह ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि साल 2019 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जदयू का सांकेतिक हिस्सेदार नहीं बनने का फैसला नीतीश कुमार का था. क्योंकि उस समय नीतीश कुमार ही पार्टी के अध्यक्ष थे, लेकिन चूंकि अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह हैं, इस लिहाज से मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला उनका ही है.

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पार्टी में उच्च ओहदा होने के बाद भी मंत्री नहीं बनाने को लेकर नाराजगी के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि "मैं किसी से नाराज नहीं हूं. सब राष्ट्रीय अध्यक्ष का फैसला है." ललन सिंह के इस बयान के बाद ये तो साफ हो गया है कि लंबे अरसे तक अपने स्टैंड पर कायम रहने वाले नीतीश कुमार की मर्जी के बिना ही इस बार जदयू सांकेतिक रूप से मंत्रिमंडल में शामिल हुआ है.

मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर जदयू का शुरू से ही सांकेतिक हिस्सेदारी की जगह आनुपातिक हिस्सेदारी की मांग रही है. इस बार भी बिहार में जदयू के 16 सांसद हैं, जबकि भाजपा के 17. इस लिहाज से जदयू को कम से कम से कम दो से तीन मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ललन सिंह के बयान के हिसाब से एक ही पद पर मानने का फैसला आरसीपी सिंह का है.

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ललन सिंह जदयू के संसदीय दल के नेता बनाए गए उपेन्द्र कुशवाहा से भी मुलाकात कर चुके हैं. नीतीश-आरसीपी के बीच बढ़ती तल्खी के बीच कहें तो अंदर ही अंदर पार्टी में खेमेबाजी भी शुरू हो गई है. इधर एक तरफ चिराग पासवान तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव एक सुर में लगातार जदयू में टूट होने की बात कह रहे हैं. इस परिस्थिति में बिहार की राजनीति किस ओर करवट लेती है, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.

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