पटना : 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट 3 दिसंबर को घोषित होंगे. इस रिजल्ट के बाद बिहार में 10 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बड़ी बैठक होने जा रही है. इस दौरान बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड के सीएम के भाग लेने की संभावना है. बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार और अमित शाह पहली बार आमने-सामने होंगे. तो वहीं ममता बनर्जी यदि पटना आएंगी तो लालू यादव और नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद इंडिया गठबंधन की गतिविधि भी जोर पकड़ेगी. इसलिए राजनीतिक विशेषज्ञ भी कर रहे हैं कि यह बड़ी बैठक है, भले ही यह सरकारी बैठक हो लेकिन सियासी हलचल बढ़ाएगी.
अमित शाह और नीतीश का आमना-समाना : बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद से नीतीश कुमार जी-20 के भोज को छोड़ दें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दूरी बनाते रहे हैं. लेकिन 10 दिसंबर को पटना में अमित शाह एक बड़ी बैठक करने जा रहे हैं. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार और अमित शाह पहली बार आमने सामने हो सकते हैं. बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड के सीएम के आने की भी संभावना है. ऐसे में यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि ममता बनर्जी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन पटना आएंगे तो लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार से भी उनकी अलग से मुलाकात हो सकती है.
पटना में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक : बिहार से ही इंडिया गठबंधन की गतिविधियां शुरू हुई थी. ऐसे में फिर से हलचल बढ़ सकती है, लेकिन सबकी नजर अमित शाह और नीतीश कुमार की मुलाकात पर भी रहेगी. राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का भी कहना है ''ऐसे तो पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के राज्यों की बैठक है. जिसमें इन राज्यों के सीएम को भाग लेना होता है, लेकिन यह बैठक पांच राज्यों के चुनावी रिजल्ट के बाद हो रही है, इसलिए सियासी हलचल बढ़ाने वाली है.''
क्या कहती है बीजेपी : नीतीश कुमार के नजदीकी मंत्री संजय झा का कहना है कि ''यह तो सरकारी बैठक है और मुख्यमंत्री सरकारी बैठकों में जाते रहे हैं. जी-20 के भोज में भी गए थे प्रधानमंत्री से मिले थे तो इसलिए आमने-सामने होंगे तो कोई बड़ी बात नहीं है.'' वहीं भाजपा प्रवक्ता संतोष पाठक का कहना है सरकारी बैठक है, ''इस पर कोई सियासी बात करना सही नहीं है. नीतीश कुमार अब कभी बीजेपी गठबंधन में आने वाले नहीं हैं.''
बिहार में सियासी हलचल होगी तेज : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन के सूत्रधार हैं. इंडिया गठबंधन की अब तक पटना, बेंगलुरु और मुंबई में बैठक हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक शुरू करने से पहले विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं से उनके राज्यों में जाकर मुलाकात की थी. ममता बनर्जी, नवीन पटनायक और हेमंत सोरेन से भी मिले थे. हालांकि नवीन पटनायक मुलाकात के बाद भी इंडिया गठबंधन को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई थी. अब एक बार फिर से सभी नेता यदि पटना में इकट्ठा होंगे तो सियासी हलचल बढ़ेगी. उसमें भी अमित शाह की मौजूदगी अहम है.
अहम है अमित शाह और नीतीश के बीच की मुलाकात : अमित शाह भाजपा के प्रमुख चुनावी रणनीतिकार हैं. उन्हें चाणक्य कहा जाता है. उनके साथ नीतीश कुमार की बैठक महत्वपूर्ण होगी. नीतीश कुमार की तरफ से अभी हाल ही में जातीय गणना की रिपोर्ट जारी हुई है. आरक्षण की सीमा बढ़ाने का बड़ा फैसला लिया गया है. केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे की मांग की जा रही है तो ऐसे में इन सब मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है. यही कारण है कि यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है. भले ही यह बैठक सरकारी बैठक हो लेकिन बिहार में सियासी गलियारों में इस बैठक की चर्चा जरूर होने लगी है.
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक 2015 में बिहार में हुई थी. पिछले साल कोलकाता में इसकी बैठक हुई थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोलकाता नहीं गए थे. उस समय यह चर्चा में था कि नीतीश कुमार अमित शाह से आमना सामना होने से बच रहे हैं. लेकिन इस बार बैठक पटना में हो रही है, इसलिए बैठक में अमित शाह का नीतीश कुमार से आमना सामना होना तय माना जा रहा है. पांच राज्यों के चुनाव पर ऐसे पूरे देश की नजर है. चुनाव के रिजल्ट के एक सप्ताह बाद यह बैठक होने जा रही है. 2024 से पहले बिहार में सियासी हलचल यह बैठक मचा सकती है, ऐसी चर्चा है.
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