पटना: बिहार में शराबबंदी को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर सीधा हमला करना शुरू कर दिया है. तेजस्वी यादव की ओर से नीतीश कुमार को सबसे बड़ा माफिया भी बताया गया है. शराबबंदी को लेकर जिस प्रकार से तेजस्वी यादव ने मोर्चा संभाला है सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं. सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि शराबबंदी को लेकर किसी कीमत पर कोई समझौता नहीं करेंगे. बीजेपी नीतीश के बचाव में दिख रही है तो जदयू के नेता भी तेजस्वी पर सीधा हमला शुरू कर दिया है.
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5 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी. शराबबंदी को लेकर अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जिस प्रकार से नीतीश कुमार पर शराबबंदी को लेकर आरोप लगा रहे हैं जदयू के नेताओं ने भी खुलकर मोर्चा खोल दिया है. इसके साथ ही अलग-अलग हुए शोध के सहारे शराबबंदी को सफल बताने की कोशिश भी करते रहे हैं.
कम हुआ महिलाओं के प्रति हिंसा
महिला विकास निगम की ओर से भी एक अध्ययन किया गया, जिसमें बताया गया कि महिलाओं के प्रति हिंसा का आंकड़ा 2016 में 54% था जो अब 5% रह गया है. खाद्य पदार्थों का सेवन 30% बढ़ गया. शराब पर प्रतिबंध से पैसों की जो बचत होती है उससे हरी सब्जी, दूध, मछली, मीट, ट्यूशन और अच्छे कपड़ों पर खर्च किया जा रहा है. भोजन पर पहले प्रति व्यक्ति प्रति माह 1005 रुपए खर्च होता था जो अब बढ़कर 1331 रुपए हो गया है. शिक्षा पर सप्ताहिक खर्च 364 रुपए था जो बढ़कर 612 रुपए हो गया. आपराधिक घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है. जदयू के नेता आद्री के रिपोर्ट का भी कई बार हवाला दे चुके हैं, जिसमें कपड़ा से लेकर खाद्य पदार्थों की बिक्री बढ़ने से सरकार के राजस्व में बढ़ोतरी की बात कही गई है.
आरजेडी के झंडा वाली गाड़ियों में पकड़े जा रहे शराब
तेजस्वी यादव के बयान के बाद जदयू ने भी हमला तेज कर दिया है. जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा "जिस प्रकार से आरजेडी के झंडा वाली गाड़ियों में शराब पकड़े गए हैं उनके नामों का खुलासा तेजस्वी यादव करें. वह ऐसा नहीं करते हैं तो माना जाएगा कि तेजस्वी यादव शराब कारोबारियों के सबसे बड़े संरक्षक हैं."
"सत्ता के संरक्षण में शराब की बिक्री की जा रही है. हम लोगों का मकसद नीतीश कुमार की छवि खराब करना नहीं, लेकिन जिस प्रकार से माफियाओं को संरक्षण दिया जा रहा है नेता प्रतिपक्ष उसी को सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं. जदयू की तरफ से यदि कोई आरोप लगाया जा रहा है तो उसका प्रमाण भी उन्हें देना चाहिए."- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता
"सूचना देने के बाद भी माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है. हम जिस विधानसभा क्षेत्र से आते हैं वहां से खुलेआम शराब की एंट्री बिहार में हो रही है."- सत्यदेव आर्य, माले विधायक
"विपक्ष सिर्फ आरोप लगाना जानता है. शराबबंदी का जबरदस्त असर है. सरकार की ओर से शराब का अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ लगातार एक्शन लिया जा रहा है"- संजय सरावगी, बीजेपी विधायक
सियासी मुद्दा बना शराबबंदी
आंकड़ों से यह साफ दिख रहा है कि बड़े पैमाने पर शराब की जब्ती हो रही है. सरकार इसे अपनी उपलब्धि बता रही है. दूसरी तरफ विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है. इसी को लेकर नीतीश कुमार पर निशाना साधा जा रहा है कि बिहार में शराब पकड़ी जा रही है इसका मतलब साफ है कि शराब दूसरे राज्यों से खुलेआम बिहार आ रहे हैं. यह सब कुछ सत्ता के संरक्षण में हो रहा है. हालांकि सरकार की तरफ से अभी हाल ही में राजधानी पटना के बाईपास में जहां दो करोड़ रुपए का शराब पकड़ा गया है वहां बाईपास थाना खोल दिया गया है और एक मैसेज देने की कोशिश भी हो रही है. कुल मिलाकर देखें तो बिहार में शराबबंदी अब एक बड़ा सियासी मुद्दा बनता जा रहा है.