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आसान नहीं है बिहार में जातिगत जनगणना की राह, सियासी दांव-पेंच में उलझी राजनीति

शीर्ष बीजेपी नेतृत्व का क्लियर स्टैंड और क्षेत्रीय दलों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण बिहार की राजनीति दांव-पेंच में उलझी हुई है. जानकार भी मानते हैं इस स्थिति में बिहार में जातिगत जनगणना (cast Census In Bihar) करा पाना संभव नहीं है. पढ़ें रिपोर्ट....

बिहार में जातिगत जनगणना
बिहार में जातिगत जनगणना
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Published : Jan 4, 2022, 8:08 PM IST

पटनाः बिहार में जातिगत जनगणना (cast Census In Bihar) का मुद्दा एनडीए के लिए गले का फांस बन गया है. केंद्र सरकार द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने एक बार फिर गेंद भाजपा के पाले में डाल दिया है, हालांकि भाजपा ने भी जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी है. इस स्थिति में प्रदेश में जाति के आधार पर जनगणना करा पाना काफी मुश्किल दिख रहा है.

इसे भी पढ़ें- जातीय जनगणना पर लालू का वीडियो, कहा- 'सभी पार्टियों को एक मंच पर आकर लड़ाई लड़ने की जरूरत'

मंडल कमीशन के बाद से देश में क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ और जातिगत राजनीति शुरू हुई. हर राज्य में जातिगत राजनीति करने वाले नेता सामने आ गए. पिछले कुछ समय से क्षेत्रीय दलों के नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने जातिगत जनगणना के मसले को हवा दी और पिछड़ी राजनीति करने वाले तमाम नेता एक मंच पर आ गए.

बिहार में जातिगत जनगणना कितना आसान, कितनी मुश्किल, देखें रिपोर्ट

बिहार विधान मंडल से जातिगत जनगणना को लेकर सर्व सम्मत प्रस्ताव केन्द्र को भेजा गया. भाजपा ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था. जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की. जिसमें भाजपा का प्रतिनिधित्व जनक राम कर रहे थे. इसके बाद केंद्र ने भी स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराना संभव नहीं है. राज्य अगर चाहे तो करा सकती है.

इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि राज्य अपने खर्चे पर जातिगत जनगणना कराने को लेकर विचार कर रही है, लेकिन उससे पहले सर्वदलीय बैठक में विमर्श किया जाएगा. सदन की बैठक को लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर दबाव बना रहा है. लेकिन सीएम नीतीश ने गेंद को फिर से भाजपा के पाले में डाल दिया है. नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के मसले पर एक बार फिर गेंद भाजपा के पाले में डाल दिया है. हालांकि इस बार भाजपा की ओर से ही दो टूक जवाब दे दिया गया है.

दरअसल, भाजपा जाति की राजनीति से परहेज करती है. भाजपा हिंदुओं को एकजुट करने का सियासत करती है और धर्म के जरिए वोट बैंक को साधती है. जबकि क्षेत्रीय दलों को जातिगत राजनीति भाती है. क्षेत्रीय दल लोगों को जाति में बांटकर अपने हितों की रक्षा करते हैं. ऐसे में जातिगत जनगणना के मसले पर अब तक सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई जा सकी है.

इसे भी पढ़ें- Caste Census in Bihar : 'कर्नाटक मॉडल' अपनाएंगे नीतीश, उपजातियां हैं बड़ी चुनौती

भाजपा की ओर से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण सर्वदलीय बैठक अधर में है. भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के लिए मुश्किल यह है कि केंद्र की सरकार जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है तो प्रदेश नेतृत्व कैसे उसकी तरफदारी करे. इस बीच आरजेडी नेता मृत्युंजय

विपक्ष ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार को यह समझना चाहिए कि भाजपा उनके किसी भी नीति से सहमत नहीं है. ऐसे में उन्हें भाजपा का साथ छोड़ना चाहिए. उनके नेता आंदोलन की बात कह रहे हैं, तो सत्ता में रहकर वे किसके खिलाफ आंदोलन करेंगे.

इसपर एनडीए के उप नेता और भाजपा कोर कमेटी के सदस्य नवल किशोर यादव ने कहा है कि भाजपा नीतीश कुमार के हर फैसले के साथ रही है. नीतीश कुमार ने जो कुछ भी कहा है, भाजपा ने उसका समर्थन किया है. अगर नीतीश कुमार के द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है तो भाजपा का प्रतिनिधि उसमें जरुर शामिल होगा.

जातिगत दांव पेंच में उलझी बिहार की राजनीति पर राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी कहते हैं कि क्षेत्रीय दलों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के स्टैंड के बीच प्रदेश में जातिगत जनगणना संभव नहीं है.

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पटनाः बिहार में जातिगत जनगणना (cast Census In Bihar) का मुद्दा एनडीए के लिए गले का फांस बन गया है. केंद्र सरकार द्वारा स्थिति स्पष्ट किए जाने के बाद नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने एक बार फिर गेंद भाजपा के पाले में डाल दिया है, हालांकि भाजपा ने भी जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी है. इस स्थिति में प्रदेश में जाति के आधार पर जनगणना करा पाना काफी मुश्किल दिख रहा है.

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मंडल कमीशन के बाद से देश में क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ और जातिगत राजनीति शुरू हुई. हर राज्य में जातिगत राजनीति करने वाले नेता सामने आ गए. पिछले कुछ समय से क्षेत्रीय दलों के नेता जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं. राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने जातिगत जनगणना के मसले को हवा दी और पिछड़ी राजनीति करने वाले तमाम नेता एक मंच पर आ गए.

बिहार में जातिगत जनगणना कितना आसान, कितनी मुश्किल, देखें रिपोर्ट

बिहार विधान मंडल से जातिगत जनगणना को लेकर सर्व सम्मत प्रस्ताव केन्द्र को भेजा गया. भाजपा ने भी प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था. जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की. जिसमें भाजपा का प्रतिनिधित्व जनक राम कर रहे थे. इसके बाद केंद्र ने भी स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराना संभव नहीं है. राज्य अगर चाहे तो करा सकती है.

इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि राज्य अपने खर्चे पर जातिगत जनगणना कराने को लेकर विचार कर रही है, लेकिन उससे पहले सर्वदलीय बैठक में विमर्श किया जाएगा. सदन की बैठक को लेकर विपक्ष लगातार नीतीश कुमार पर दबाव बना रहा है. लेकिन सीएम नीतीश ने गेंद को फिर से भाजपा के पाले में डाल दिया है. नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना के मसले पर एक बार फिर गेंद भाजपा के पाले में डाल दिया है. हालांकि इस बार भाजपा की ओर से ही दो टूक जवाब दे दिया गया है.

दरअसल, भाजपा जाति की राजनीति से परहेज करती है. भाजपा हिंदुओं को एकजुट करने का सियासत करती है और धर्म के जरिए वोट बैंक को साधती है. जबकि क्षेत्रीय दलों को जातिगत राजनीति भाती है. क्षेत्रीय दल लोगों को जाति में बांटकर अपने हितों की रक्षा करते हैं. ऐसे में जातिगत जनगणना के मसले पर अब तक सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई जा सकी है.

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भाजपा की ओर से हरी झंडी नहीं मिलने के कारण सर्वदलीय बैठक अधर में है. भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के लिए मुश्किल यह है कि केंद्र की सरकार जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है तो प्रदेश नेतृत्व कैसे उसकी तरफदारी करे. इस बीच आरजेडी नेता मृत्युंजय

विपक्ष ने नीतीश कुमार पर हमला बोला है राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार को यह समझना चाहिए कि भाजपा उनके किसी भी नीति से सहमत नहीं है. ऐसे में उन्हें भाजपा का साथ छोड़ना चाहिए. उनके नेता आंदोलन की बात कह रहे हैं, तो सत्ता में रहकर वे किसके खिलाफ आंदोलन करेंगे.

इसपर एनडीए के उप नेता और भाजपा कोर कमेटी के सदस्य नवल किशोर यादव ने कहा है कि भाजपा नीतीश कुमार के हर फैसले के साथ रही है. नीतीश कुमार ने जो कुछ भी कहा है, भाजपा ने उसका समर्थन किया है. अगर नीतीश कुमार के द्वारा सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है तो भाजपा का प्रतिनिधि उसमें जरुर शामिल होगा.

जातिगत दांव पेंच में उलझी बिहार की राजनीति पर राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी कहते हैं कि क्षेत्रीय दलों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के स्टैंड के बीच प्रदेश में जातिगत जनगणना संभव नहीं है.

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