पटना: बिहार में तेजी से कोरोना महामारी फैल रहा है. संक्रमितों की बढ़ते तादाद को देखते हुए नीतीश सरकार ने आनन-फानन में 31 जुलाई तक लॉकडाउन लागू करने का अदेश दिया है. बिहार में इसी साल बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में लगभग सभी दल राज्य के अंदर चुनावी तैयारियां में अपने-अपने स्तर पर जुट चुकी है. चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों खेमा लगातार एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश में जुटे हुए है.
'ऐसे हालात में चुनाव कराना उचित नहीं'
इस मामले पर हम पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि सरकार को लोगों के जानमाल की चिंता नहीं है. बिहार में जब पैक्स चुनाव स्नातक और शिक्षक निर्वाचन और बाल्मीकि नगर उपचुनाव को टाल दिया गया, तो विधानसभा चुनाव कराने की बात कैसे की जा रही है. उन्होंने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस समय संक्रमण कम थे. उस समय चुनाव को आगे के लिए टाल दिये गए थे. अब जब हालात पूरी तरह से बेकाबू हैं तो चुनाव कैसे कराये जा सकते हैं.
चुनाव एक संवैधानिक प्रकिया- जदयू
समय पर चुनाव कराने की पैरवी करते हुए जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि चुनाव एक संवैधानिक प्रक्रिया है. चुनाव आयोग के ऊपर इसका जिम्मा है. चुनावी प्रक्रिया को किसी भी परिस्थिति में रोके जाने का कोई मतलब नहीं है. समय पर चुनाव कराये जाने का फैसला हो चुका है. वहीं, भाजपा नेता संजय पासवान ने कहा है कि भाजपा को चुनाव आयोग पर पूरी आस्था है. आयोग जो भी निर्णय करेगा. बीजेपी उसका सम्मान करेगी.
'वर्तमान परिस्थितियों में चुनाव संभव नहीं'
इन सब बातों से इतर राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग ने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने की कोशिश कर रही है. लेकिन प्रदेश में फिलहाल जिस तरह के आसार हैं. उसमें चुनाव आयोग को काफी तैयारियां करने की जरूरत है. चुनाव को सफलता पूर्वक संपन्न करने के लिए आयोग को अधिक से अधिक संसाधन झोंकने होगें.
बिहार में तेजी से फैल रहा संक्रमण
गौरतलब है कि वर्तमान समय में बिहार कोरोना और बाढ़ दो चुनौती को एक साथ झेल रहा है. बड़ी संख्या में पुलिस के अधिकारी, जवान, राजनेता और चिकित्सक भी संक्रमित पाए जा रेह हैं. ऐसी विपरीत परिस्थिति में चुनाव आयोग के सामने सफलता पूर्वक चुनाव को संपन्न कराना एक टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.