पटना: शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद बिहार की राजनीति गर्मा गई है. दो चरण के चुनाव अभी बाकी है. सभी दल इस मुद्दों को राजनीतिक रूप से भुनाने में लगे हैं. इसके बाद विपक्ष अपनी सरकार में सामन काम सामान वेतन लागू करने की बात कह रही है. वहीं, सरकार अपने आप को शिक्षकों का सबसे बड़ा हितैषी बता रहा है.
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना कि समान काम के बदले समान वेतन मिलना चाहिए. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनको समान काम के बदले समान वेतन देने को तैयार नहीं है. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. महागठबंधन की सरकार आती है तो शिक्षकों को अंधेरे से बाहर निकालेंगे. शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन देंगे.
पहली प्राथमिकता शिक्षकों को ही रहेगी
कांग्रेस का भी इस मुद्दा पर राजद जैसा ही आलाप है. कांग्रेस नेता रामदेव राय ने कहा कि शिक्षकों को समान काम समान वेतन तो संविधान में मौलिक अधिकार है. समान काम के लिए समान वेतन देना चाहिए लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मैं कुछ टिप्पणी तो नहीं कर सकता हूं. समान काम के आधार पर पुराने शिक्षक के तौर पर नए शिक्षक को भी सामान वेतन मिलना चाहिए. महागठबंन की सरकार आएगी तो हमारी पहली प्राथमिकता शिक्षकों के लिए रहेगी.
एनडीए सरकार ही शिक्षकों को सम्मान देगा
वहीं, बीजेपी नेता नितिन नवीन ने कहा की शिक्षकों को जो सम्मान मिलेगा वह एनडीए गठबंधन की सरकार में ही मिलेगा. इसके साथ ही तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि तेजस्वी यादव शिक्षकों को लेकर अब राजनीति रोटियां सेकना शुरू कर दिए हैं. तेजस्वी यादव कुछ दिनों के लिए बॉलीवुड का सफर तय कर ले. वहीं डायलॉग बोलते. लेकिन शिक्षकों को पता है कि बड़ी तादाद में एनडीए सरकार ने ही उनकी बहाली की थी. राजद के समय में चरवाहा विद्यालय ही बनवाया गया था. इसलिए उनसे शिक्षकों को कोई उम्मीद नहीं है.