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...आखिर नीतीश कुमार को 'PM मैटेरियल' बताकर किस राजनीति को साध रही JDU! - political news of bihar

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) PM मैटेरियल को लेकर चर्चा में हैं. जदयू के नेता उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखने की इच्छा रखते हैं. वहीं, बीजेपी का कहना है कि 2024 तक देश में प्रधानमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है. राजद ने इसे जदयू का बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश बताया है.

Nitish Kumar
नीतीश कुमार
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Published : Aug 4, 2021, 7:49 PM IST

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पीएम मैटेरियल को लेकर एक बार फिर से चर्चा हो रही है. पिछले दिनों जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने बयान दिया था कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं. कुशवाहा के इस बयान पर राजनीति हो रही है. विपक्ष इसे बीजेपी पर दबाव बनाने की साजिश बता रहा है.

यह भी पढ़ें- नीति साफ... रणनीति में बदलाव, अचानक आक्रामक क्यों हो गए नीतीश?

लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है. चुनाव में अभी लंबा समय है, लेकिन कई स्तरों पर मोर्चाबंदी शुरू है. थर्ड फ्रंट बनाने की भी चर्चा हो रही है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने में लगे हैं. कभी नीतीश कुमार ने भी विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए थे. अब बीजेपी जदयू के बीच जिस प्रकार से खटपट हो रहे हैं, उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को फिर से पीएम मैटेरियल बताकर एक मैसेज देने की कोशिश की है.

देखें रिपोर्ट

ऐसे तो नीतीश कुमार ने खुलकर कभी नहीं कहा कि उनमें पीएम के गुण हैं. हालांकि एक बार उन्होंने जरूर कहा था कि जिन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया गया है उनसे अधिक राजनीतिक अनुभव है. इसको लेकर काफी चर्चा भी हुई थी. यह वह वक्त था जब नीतीश नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के कारण एनडीए से अलग हो गए थे. हालांकि बाद में नीतीश महागठबंधन से निकलकर फिर से एनडीए में शामिल हो गए.

जदयू के नेताओं को लगता है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले देश में कोई नेता है तो वह नीतीश कुमार ही हैं. हालांकि जदयू के नेता एनडीए में रहते हुए खुलकर बोलने से बचते रहे हैं. हाल ही में जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है. इसपर विपक्ष के कई नेता निशाना भी साथ रहे हैं.

"उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के पीएम मैटेरियल की बात कह रहे हैं. देश में पीएम पद के लिए 2024 तक कोई वैकेंसी नहीं है. सभी पार्टी के लोगों को अपने नेता में पीएम के गुण दिखते हैं."- आलोक रंजन झा, मंत्री और बीजेपी नेता

"नीतीश कुमार ने वह अवसर खो दिया है. उनमें कमिटमेंट नहीं है. वह सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता करते हैं. कब ये कम्युनल, सेकुलर या सोशलिस्ट हो जाएंगे इसका भरोसा नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा से बयान दिलवाने के पीछे बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है."- रामानुज प्रसाद, विधायक, आरजेडी

"उपेंद्र कुशवाहा को कुछ ना कुछ डिफरेंस दिखा होगा और इसलिए उन्होंने इस तरह का बयान दिया है. मुझे पीएम मैटेरियल का गुण नीतीश कुमार में तो कहीं से नहीं दिखता है. हमारे नेता राहुल गांधी में जरूर वह गुण है."- प्रतिमा कुमारी, विधायक, कांग्रेस

"नीतीश कुमार की योग्यता पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता. देश दुनिया से उन्हें अब तक 21 पुरस्कार मिल चुके हैं. उसके लिए उन्होंने कोई पैरवी नहीं की है. हम लोगों की भूमिका सीमित है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता जदयू

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दल तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में लगे हैं. इसमें प्रशांत किशोर की अहम भूमिका मानी जा रही है. प्रशांत किशोर राहुल गांधी से लगातार संपर्क में हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल चुनाव में काम किया है. इससे पहले कई राज्यों के मुख्यमंत्री के लिए वह काम कर चुके हैं. एक समय वह नीतीश कुमार के काफी करीबी हुआ करते थे.

प्रशांत किशोर ने 2015 में नीतीश कुमार के लिए काम भी किया था. नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी में नंबर दो का पद दिया था. उपेंद्र कुशवाहा की ओर से जिस प्रकार से नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताया जा रहा है उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. पहले नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए थे. अभी हाल ही में वह ओमप्रकाश चौटाला से मिले हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू के खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में कई प्रयोग किया है. नीतीश की नजर अब 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव पर है. बीजेपी के साथ कई विवादित मुद्दों पर अभी भी खटपट है. नीतीश की कोशिश बिहार में जदयू को फिर से नंबर वन पार्टी बनाने की है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतीश कुमार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की इच्छा रखते हैं.

प्रशांत किशोर भले ही जदयू में अब नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार के साथ उनके जो संबंध रहे हैं उसको लेकर कई तरह के कयास अभी भी लगाए जा रहे हैं. इसलिए कोई मोर्चा बनता है और नीतीश के लिए एनडीए में मुश्किलें बढ़ती हैं तो वह राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. जदयू नेताओं की कोशिश यह भी है कि नीतीश कुमार के चेहरे के बूते बिहार में जदयू को अधिक से अधिक लाभ मिले.

यह भी पढ़ें- पटना की सड़कों पर निकले CM नीतीश कुमार, विभिन्न जगहों पर लिया कोविड प्रोटोकॉल का जायजा

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के पीएम मैटेरियल को लेकर एक बार फिर से चर्चा हो रही है. पिछले दिनों जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने बयान दिया था कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण हैं. कुशवाहा के इस बयान पर राजनीति हो रही है. विपक्ष इसे बीजेपी पर दबाव बनाने की साजिश बता रहा है.

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लोकसभा का चुनाव 2024 में होना है. चुनाव में अभी लंबा समय है, लेकिन कई स्तरों पर मोर्चाबंदी शुरू है. थर्ड फ्रंट बनाने की भी चर्चा हो रही है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने में लगे हैं. कभी नीतीश कुमार ने भी विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए थे. अब बीजेपी जदयू के बीच जिस प्रकार से खटपट हो रहे हैं, उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को फिर से पीएम मैटेरियल बताकर एक मैसेज देने की कोशिश की है.

देखें रिपोर्ट

ऐसे तो नीतीश कुमार ने खुलकर कभी नहीं कहा कि उनमें पीएम के गुण हैं. हालांकि एक बार उन्होंने जरूर कहा था कि जिन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया गया है उनसे अधिक राजनीतिक अनुभव है. इसको लेकर काफी चर्चा भी हुई थी. यह वह वक्त था जब नीतीश नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के कारण एनडीए से अलग हो गए थे. हालांकि बाद में नीतीश महागठबंधन से निकलकर फिर से एनडीए में शामिल हो गए.

जदयू के नेताओं को लगता है कि नरेंद्र मोदी के मुकाबले देश में कोई नेता है तो वह नीतीश कुमार ही हैं. हालांकि जदयू के नेता एनडीए में रहते हुए खुलकर बोलने से बचते रहे हैं. हाल ही में जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताकर एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है. इसपर विपक्ष के कई नेता निशाना भी साथ रहे हैं.

"उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के पीएम मैटेरियल की बात कह रहे हैं. देश में पीएम पद के लिए 2024 तक कोई वैकेंसी नहीं है. सभी पार्टी के लोगों को अपने नेता में पीएम के गुण दिखते हैं."- आलोक रंजन झा, मंत्री और बीजेपी नेता

"नीतीश कुमार ने वह अवसर खो दिया है. उनमें कमिटमेंट नहीं है. वह सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता करते हैं. कब ये कम्युनल, सेकुलर या सोशलिस्ट हो जाएंगे इसका भरोसा नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा से बयान दिलवाने के पीछे बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है."- रामानुज प्रसाद, विधायक, आरजेडी

"उपेंद्र कुशवाहा को कुछ ना कुछ डिफरेंस दिखा होगा और इसलिए उन्होंने इस तरह का बयान दिया है. मुझे पीएम मैटेरियल का गुण नीतीश कुमार में तो कहीं से नहीं दिखता है. हमारे नेता राहुल गांधी में जरूर वह गुण है."- प्रतिमा कुमारी, विधायक, कांग्रेस

"नीतीश कुमार की योग्यता पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता. देश दुनिया से उन्हें अब तक 21 पुरस्कार मिल चुके हैं. उसके लिए उन्होंने कोई पैरवी नहीं की है. हम लोगों की भूमिका सीमित है."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता जदयू

बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दल तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में लगे हैं. इसमें प्रशांत किशोर की अहम भूमिका मानी जा रही है. प्रशांत किशोर राहुल गांधी से लगातार संपर्क में हैं. उन्होंने ममता बनर्जी के लिए पश्चिम बंगाल चुनाव में काम किया है. इससे पहले कई राज्यों के मुख्यमंत्री के लिए वह काम कर चुके हैं. एक समय वह नीतीश कुमार के काफी करीबी हुआ करते थे.

प्रशांत किशोर ने 2015 में नीतीश कुमार के लिए काम भी किया था. नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी में नंबर दो का पद दिया था. उपेंद्र कुशवाहा की ओर से जिस प्रकार से नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताया जा रहा है उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. पहले नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश की थी, लेकिन सफल नहीं हुए थे. अभी हाल ही में वह ओमप्रकाश चौटाला से मिले हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू के खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में कई प्रयोग किया है. नीतीश की नजर अब 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के विधानसभा चुनाव पर है. बीजेपी के साथ कई विवादित मुद्दों पर अभी भी खटपट है. नीतीश की कोशिश बिहार में जदयू को फिर से नंबर वन पार्टी बनाने की है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतीश कुमार अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की इच्छा रखते हैं.

प्रशांत किशोर भले ही जदयू में अब नहीं हैं, लेकिन नीतीश कुमार के साथ उनके जो संबंध रहे हैं उसको लेकर कई तरह के कयास अभी भी लगाए जा रहे हैं. इसलिए कोई मोर्चा बनता है और नीतीश के लिए एनडीए में मुश्किलें बढ़ती हैं तो वह राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. जदयू नेताओं की कोशिश यह भी है कि नीतीश कुमार के चेहरे के बूते बिहार में जदयू को अधिक से अधिक लाभ मिले.

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