पटना: चिराग पासवान, बिहार विधानसभा के चुनाव के दौरान राजनीति से दूर थे और वह इस बात का दंभ भर रहे थे कि उनकी बदौलत ही बिहार में किसी की भी सरकार बनेगी. कुछ ही महीने बीतने के बाद दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है. और नीतीश कुमार 'बंगले' को खाली कराने में जुट गए हैं.
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पशुपति पारस ने बढ़ाई मुश्किलें
दरअसल, पशुपति पारस और नीतीश कुमार के बीच नजदीकियां जगजाहिर है. पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से पशुपति पारस पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं और विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने किसी प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार नहीं किया था. चुनाव के बाद भी किसी भी बैठक में पशुपति पारस अब तक शामिल नहीं हुए.
डैमेज कंट्रोल में जुटे चिराग
पशुपति पारस की नाराजगी कम नहीं हुई है. रविवार को वह बैठक में भी नदारद दिखे. चिराग पासवान ने डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी के तमाम पदाधिकारियों को पटना तलब किया था. लेकिन पशुपति पारस बैठक में मौजूद नहीं रहे. साथ ही दलित सेना ने भी खुद को बैठक से अलग रखा. आपको बता दें कि पशुपति पारस दलित सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
चिराग पासवान ने अपने 'बंगले' में आग लगा लिया है और खुद को सुरक्षित करने के लिए लोग उनके 'बंगले' से बाहर निकल रहे हैं. बहुत जल्द ही उनके पार्टी में बड़ी टूट होने वाली है और पार्टी विंग के हाथ से निकल जाएगी.- दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हम
चिराग पासवान के नकारात्मक राजनीति की वजह से बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को नुकसान हुआ. और उसी का नतीजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है. धीरे-धीरे तमाम लोग उनका साथ छोड़ रहे हैं और यह सिलसिला थमने वाला नहीं है.- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
'बंगला' खाली कराने में जुटे नीतीश
लोक जनशक्ति पार्टी के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह कि जदयू नेताओं से नजदीकियां बढ़ रही है. और राजकुमार सिंह ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया. हाल के दिनों में राजकुमार सिंह की मुलाकात कई जदयू के बड़े नेताओं से हो चुकी है. जहां तक आज के बैठक का सवाल है तो चंदन सिंह, महबूब अली कैसर, वीणा देवी और प्रिंस राज ने बैठक में हिस्सा लिया. सिर्फ पशुपति पारस बैठक में मौजूद नहीं रहे.
हमारी पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों को जो कोई मानेगा और पार्टी की मजबूती के लिए काम करेगा, उसका हम स्वागत करते हैं. नूतन सिंह भी उसकी एक कड़ी हैं.- निखिल आनंद, भाजपा प्रवक्ता
पार्टी में कोई टूट नहीं है. हमें इससे कोई मतलब नहीं है कि कौन कहां जा रहा है. हम पार्टी के मजबूती के लिए काम कर रहे हैं.- राजू तिवारी,कार्यकारी अध्यक्ष, लोक जनशक्ति पार्टी
चिराग पासवान के लिए आने वाले दिन मुश्किलों भरा होने वाला है. पशुपति पारस की नाराजगी से उन्हें जहां एक और नुकसान होगा वहीं दूसरी तरफ भाजपा का भी साथ चिराग पासवान को नहीं मिल रहा है.- डॉ संजय कुमार , राजनीतिक विश्लेषक
'बंगले' को खतरा
लोक जनशक्ति पार्टी में टूट का खतरा मंडरा रहा है. चिराग पासवान सब को एकजुट करने की कोशिश में तो झूठे हैं, लेकिन अभी उनके चाचा और सांसद उनसे नाराज चल रहे हैं. पार्टी के एकमात्र विधायक भी बैठक में नहीं आए. जाहिर तौर पर आने वाले कुछ दिनों में लोजपा में बड़ी टूट के संकेत हैं.