पटना: बिहार के राजनीतिक गलियारों में उस समय शोक की लहर दौड़ गई, जब दिल्ली के एम्स में जदयू सांसद बैद्यनाथ प्रसाद महतो ने आखिरी सांस ली. लंबे समय से बीमार चल रहे है बैद्यनाथ प्रसाद महतो 11 फरवरी से दिल्ली एम्स में इलाजरत थे. उनके निधन की खबर सुनते ही उनके संसदीय क्षेत्र वाल्मीकिनगर गम छा गया.
73 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कर चुके बैद्यनाथ प्रसाद महतो का जन्म 2 जून 1947 को हुआ था. पश्चिमी चंपारण जिले में जन्म लेने वाले महतो राजनेता के तौर पर पहली बार 2009 में लोकसभा पहुंचे थे. इससे पहले आप बैंक में नौकरी करते थे. महतो बेतिया में 1992 से लेकर 1995 तक राष्ट्रीय सहकारी बैंक में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे.
राजनीति में ऐसे बनाई पहचान
करीब तीन दशक पहले जिले के दियारा इलाके में दस्यु सरगना अपना कहर बरपा रहे थे. उस दौर में बैद्यनाथ महतो ने उनके खिलाफ लोहा लिया. महतो ने ग्राम रक्षा दल का गठन कर लोगों को डकैतों के खिलाफ एकजुट किया. यही वो दौर था, जब महतो एक जुझारू नेता के रूप में उभरे. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पहली बार बने विधायक
- बैद्यनाथ पहली बार सन 2000 में विधायक बने. उन्होंने नौतन विधानसभा से जीत दर्ज की.
- इसके बाद 2005 में फिर से उन्होंने इसी विधानसभा सीट पर जीत हासिल कर जीत का सिलसिला जारी रखा और एमएलए से सांसद की टिकट कटवा ली.
ग्रामीण विकास मंत्री का पद संभाला
- 2005 में लगातार जीत हासिल करने वाले जदयू विधायक महतो को बिहार सरकार ने मंत्री मंडल में जगह दी.
- बैद्यनाथ को बिहार का ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया.
संसद तक का सफर
- बैद्यनाथ प्रसाद महतो 2009 में वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर जदयू की ओर से चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी फखरुद्दीन को मात दी. उस समय लोकसभा में जदयू के मुख्य सचेतक भी थे.
- 2014 के चुनाव में उनको पहली बार हार मिली. इसके बाद उनपर विश्वास जताते हुए जदयू ने उन्हों दूसरी बार 2019 में वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर टिकट दी. इस बार उन्होंने जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार शाशवत केदार को मात दी.
- बैद्यनाथ प्रसाद महतो ने 3 लाख 54 हजार 616 वोटों से जीत दर्ज की. महतो को कुल 6 लाख 02 हजार 660 वोट मिले.
- वर्तमान में वे संसद में जदयू के उपनेता और जिलाध्यक्ष थे.