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सियासत में लालू की धाक, एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर होते हुए भी बरकरार है 'किंग मेकर' की भूमिका

भारतीय राजनीति और बिहार-झारखंड की राजनीति में सक्रिय रहने वाले लालू प्रसाद यादव पिछले 7 साल से एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं. लालू यादव फिलहाल चारा घोटाला में सजायाफ्ता हैं.

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Published : Sep 5, 2020, 11:13 AM IST

रांची/पटना: देश में बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव पिछले 7 साल से एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं. बावजूद उनके 'पॉलिटिकल इंपॉर्टेंस' को नकारा नहीं जा सकता है. रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में भर्ती लालू अभी भी राजनीति के केंद्र बिंदु में बने हुए हैं. इस बात का प्रमाण रिम्स में रोज उनसे मिलने आ रही भीड़ है. जिसमें न केवल राजद कार्यकर्ता शामिल हैं, बल्कि विधायक भी अपने नेता की एक झलक पाने के लिए लंबा सफर तय कर यहां पहुंच रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

2013 में चारा घोटाले के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद राजद सुप्रीमो लालू चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं. लेकिन अभी भी बिहार की राजनीति में उनकी 'किंग मेकर' की भूमिका बरकरार मानी जा रही है. यही वजह है कि बिहार में चुनाव की सुगबुगाहट होते ही रांची में उनसे मिलने वालों की तादाद बढ़ गई है.

लालू तक बायोडाटा पहुंचाने की हो रही जुगत
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद कार्यकर्ता और नेता लालू की रिकमेन्डेशन को लेकर काफी बेताब हैं. यही वजह है कि न केवल सिटिंग एमएलए, बल्कि संभावित उम्मीदवार अपना बायोडाटा लेकर रिम्स परिसर में घूमते नजर आ रहे हैं. हालांकि इनमें से कितनों की बात, मुलाकात या इंटरव्यू हो पा रही है यह कहना मुश्किल है. लेकिन अपने पॉलिटिकल करियर को लेकर संजीदा लोग हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

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लालू प्रसाद यादव

बेटे और पार्टी के विधायक ने भी की है मुलाकात
कुछ हफ्ते पहले लालू के बेटे तेज प्रताप ने उनसे मुलाकात की. राजद सुप्रीमो के जन्मदिन के मौके पर छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी रांची पहुंचे थे. इसके साथ ही गया जिले के बाराचट्टी विधानसभा से विधायक समता देवी भी लालू से मुलाकात करने पहुंची थी. हालांकि उन्हें रांची जिला प्रशासन ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में क्वारंटीन कर दिया है. इसके बावजूद बिहार से कथित तौर पर झारखंड में राजद समर्थकों का आना जारी है.

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रिम्स के पेइंग वार्ड से निकलते लालू यादव

2 साल से रिम्स में हैं भर्ती
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पिछले 2 साल से रिम्स में भर्ती हैं. इस दौरान 2019 में लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव हुए. दोनों चुनावों में महागठबंधन के मूर्त रूप लेने में भी लालू प्रसाद की अहम भूमिका रही. लालू की स्वीकार्यता को लेकर इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड में महज एक राजद विधायक ने जीत दर्ज की और वे राज्य सरकार के कैबिनेट में मंत्री बने.

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रिम्स का पेइंग वार्ड

बिहार विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण होगी भूमिका
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को शेप देने में लालू की भूमिका अहम मानी जा रही है. समीकरण के अनुसार राजद कांग्रेस, वामदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा को साथ लेकर स्ट्रेटजिकली चुनाव लड़ने जा रहा है. सूत्रों की मानें तो रालोसपा और लेफ्ट के लोग भी अलग-अलग तरीके से एकोमोडेट किए जाएंगे. ऐसे में नए समीकरण को लेकर लालू की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी.

रिम्स कैंपस के केली बंगले में रह रहे हैं लालू
कोरोना संक्रमण को देखते हुए लालू प्रसाद को रिम्स के वार्ड से कैंपस में ही बने निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया गया है. पिछले महीने के पहले हफ्ते में उन्हे वहां शिफ्ट किया गया है. साथ ही वहां पुलिस बल की भी तैनाती की गई है. लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने वहां मजिस्ट्रेट भी तैनात किया है.

राजनीतिक गलियारे में ऐसा है लालू का परिवार
लालू प्रसाद 70 के दशक में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए छात्र आंदोलन में उभरे. सक्रिय छात्र नेता के तौर पर उनका पॉलिटिकल करियर शुरू हुआ. 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने. 1990 में वे बिहार के सीएम बने. उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी बिहार की सीएम रह चुकी हैं.

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पत्नी राबड़ी देवी के साथ लालू प्रसाद

उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं छोटे बेटे
लालू की एक बेटी मीसा भारती सांसद रह चुकी हैं. उनके बड़े बेटे बिहार के महुआ विधानसभा इलाके से विधायक हैं और पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और राज्य के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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दोनों बेटों और पत्नी के साथ लालू

महागठबंधन का दावा: लालू आज भी प्रासंगिक
कांग्रेस पार्टी का का दावा है कि लालू प्रसाद आज भी प्रासंगिक हैं.

"लालू प्रसाद न सक्रिय राजनीति में है और न उन्हें चुनाव लड़ना है. इसके बावजूद भी वह प्रासंगिक हैं. क्योंकि बिहार की जनता आज भी उन्हें मसीहा के रूप में मानती है. बीजेपी को इसी बात का खौफ है कि उसके प्रपंच का अगर कोई जवाब देने की काबिलियत रखता है तो वह लालू प्रसाद यादव है. 2015 में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बिहार में रोकने का काम किया."
-आलोक दुबे, प्रवक्ता, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी

"चाहे देश की राजनीति हो या फिर बिहार झारखंड की, लालू प्रसाद की उपस्थिति जरूरी होती है. बिहार विधानसभा चुनाव के मौजूदा दौर में बीजेपी और जदयू के लोग उन पर लगातार व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. दोनों पार्टी लालू प्रसाद के नाम से भयभीत हैं. भारतीय राजनीति और बिहार-झारखंड की राजनीति में उन्हें नकारना बेमानी होगा."
-विनोद पांडे, केंद्रीय महासचिव, झारखंड मुक्ति मोर्चा

जेल में क्यों नहीं हो सकता इलाज
बीजेपी कह रही है कि लालू को अविलंब राज्य सरकार होटवार जेल शिफ्ट करके सारे चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराए. जब अस्पताल की जगह बंगले में लालू जी का इलाज हो सकता है तो यही इलाज जेल में क्यों नहीं हो सकता.

"मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति सिर्फ आईवॉश है. इसके पहले भी 1998 में जेल मैनुअल का पालन नहीं करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद को बीएमपी गेस्ट हाउस से बेउर जेल शिफ्ट करवाया था. 22 साल के बाद रांची में फिर से दुरुपयोग की वही कहानी दोहराई जा रही है."
-बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि

रांची/पटना: देश में बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव पिछले 7 साल से एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं. बावजूद उनके 'पॉलिटिकल इंपॉर्टेंस' को नकारा नहीं जा सकता है. रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में भर्ती लालू अभी भी राजनीति के केंद्र बिंदु में बने हुए हैं. इस बात का प्रमाण रिम्स में रोज उनसे मिलने आ रही भीड़ है. जिसमें न केवल राजद कार्यकर्ता शामिल हैं, बल्कि विधायक भी अपने नेता की एक झलक पाने के लिए लंबा सफर तय कर यहां पहुंच रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

2013 में चारा घोटाले के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद राजद सुप्रीमो लालू चुनाव लड़ने से वंचित हो गए हैं. लेकिन अभी भी बिहार की राजनीति में उनकी 'किंग मेकर' की भूमिका बरकरार मानी जा रही है. यही वजह है कि बिहार में चुनाव की सुगबुगाहट होते ही रांची में उनसे मिलने वालों की तादाद बढ़ गई है.

लालू तक बायोडाटा पहुंचाने की हो रही जुगत
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद कार्यकर्ता और नेता लालू की रिकमेन्डेशन को लेकर काफी बेताब हैं. यही वजह है कि न केवल सिटिंग एमएलए, बल्कि संभावित उम्मीदवार अपना बायोडाटा लेकर रिम्स परिसर में घूमते नजर आ रहे हैं. हालांकि इनमें से कितनों की बात, मुलाकात या इंटरव्यू हो पा रही है यह कहना मुश्किल है. लेकिन अपने पॉलिटिकल करियर को लेकर संजीदा लोग हर संभव कोशिश कर रहे हैं.

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लालू प्रसाद यादव

बेटे और पार्टी के विधायक ने भी की है मुलाकात
कुछ हफ्ते पहले लालू के बेटे तेज प्रताप ने उनसे मुलाकात की. राजद सुप्रीमो के जन्मदिन के मौके पर छोटे बेटे तेजस्वी यादव भी रांची पहुंचे थे. इसके साथ ही गया जिले के बाराचट्टी विधानसभा से विधायक समता देवी भी लालू से मुलाकात करने पहुंची थी. हालांकि उन्हें रांची जिला प्रशासन ने कथित तौर पर नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में क्वारंटीन कर दिया है. इसके बावजूद बिहार से कथित तौर पर झारखंड में राजद समर्थकों का आना जारी है.

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रिम्स के पेइंग वार्ड से निकलते लालू यादव

2 साल से रिम्स में हैं भर्ती
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पिछले 2 साल से रिम्स में भर्ती हैं. इस दौरान 2019 में लोकसभा चुनाव और झारखंड विधानसभा चुनाव हुए. दोनों चुनावों में महागठबंधन के मूर्त रूप लेने में भी लालू प्रसाद की अहम भूमिका रही. लालू की स्वीकार्यता को लेकर इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड में महज एक राजद विधायक ने जीत दर्ज की और वे राज्य सरकार के कैबिनेट में मंत्री बने.

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रिम्स का पेइंग वार्ड

बिहार विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण होगी भूमिका
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को शेप देने में लालू की भूमिका अहम मानी जा रही है. समीकरण के अनुसार राजद कांग्रेस, वामदल और झारखंड मुक्ति मोर्चा को साथ लेकर स्ट्रेटजिकली चुनाव लड़ने जा रहा है. सूत्रों की मानें तो रालोसपा और लेफ्ट के लोग भी अलग-अलग तरीके से एकोमोडेट किए जाएंगे. ऐसे में नए समीकरण को लेकर लालू की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी.

रिम्स कैंपस के केली बंगले में रह रहे हैं लालू
कोरोना संक्रमण को देखते हुए लालू प्रसाद को रिम्स के वार्ड से कैंपस में ही बने निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया गया है. पिछले महीने के पहले हफ्ते में उन्हे वहां शिफ्ट किया गया है. साथ ही वहां पुलिस बल की भी तैनाती की गई है. लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने वहां मजिस्ट्रेट भी तैनात किया है.

राजनीतिक गलियारे में ऐसा है लालू का परिवार
लालू प्रसाद 70 के दशक में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में शुरू हुए छात्र आंदोलन में उभरे. सक्रिय छात्र नेता के तौर पर उनका पॉलिटिकल करियर शुरू हुआ. 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट से उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बने. 1990 में वे बिहार के सीएम बने. उनकी पत्नी राबड़ी देवी भी बिहार की सीएम रह चुकी हैं.

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पत्नी राबड़ी देवी के साथ लालू प्रसाद

उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं छोटे बेटे
लालू की एक बेटी मीसा भारती सांसद रह चुकी हैं. उनके बड़े बेटे बिहार के महुआ विधानसभा इलाके से विधायक हैं और पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं. छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और राज्य के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

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दोनों बेटों और पत्नी के साथ लालू

महागठबंधन का दावा: लालू आज भी प्रासंगिक
कांग्रेस पार्टी का का दावा है कि लालू प्रसाद आज भी प्रासंगिक हैं.

"लालू प्रसाद न सक्रिय राजनीति में है और न उन्हें चुनाव लड़ना है. इसके बावजूद भी वह प्रासंगिक हैं. क्योंकि बिहार की जनता आज भी उन्हें मसीहा के रूप में मानती है. बीजेपी को इसी बात का खौफ है कि उसके प्रपंच का अगर कोई जवाब देने की काबिलियत रखता है तो वह लालू प्रसाद यादव है. 2015 में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को बिहार में रोकने का काम किया."
-आलोक दुबे, प्रवक्ता, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी

"चाहे देश की राजनीति हो या फिर बिहार झारखंड की, लालू प्रसाद की उपस्थिति जरूरी होती है. बिहार विधानसभा चुनाव के मौजूदा दौर में बीजेपी और जदयू के लोग उन पर लगातार व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. दोनों पार्टी लालू प्रसाद के नाम से भयभीत हैं. भारतीय राजनीति और बिहार-झारखंड की राजनीति में उन्हें नकारना बेमानी होगा."
-विनोद पांडे, केंद्रीय महासचिव, झारखंड मुक्ति मोर्चा

जेल में क्यों नहीं हो सकता इलाज
बीजेपी कह रही है कि लालू को अविलंब राज्य सरकार होटवार जेल शिफ्ट करके सारे चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराए. जब अस्पताल की जगह बंगले में लालू जी का इलाज हो सकता है तो यही इलाज जेल में क्यों नहीं हो सकता.

"मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति सिर्फ आईवॉश है. इसके पहले भी 1998 में जेल मैनुअल का पालन नहीं करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने लालू प्रसाद को बीएमपी गेस्ट हाउस से बेउर जेल शिफ्ट करवाया था. 22 साल के बाद रांची में फिर से दुरुपयोग की वही कहानी दोहराई जा रही है."
-बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि

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