पटना: बिहार पुलिस की कार्यशैली में दिन-प्रतिदिन बदलाव देखने को मिल रहा है. बिहार में कुल 1324 थाने हैं. जिसमें से 890 थानों को सीसीटीएनएस योजना से जोड़ना है. उनमें से 179 थाने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग एंड नेटवर्क सिस्टम से जुड़ चुके हैं. इन्हें स्थानीय कोर्ट से भी लिंक कर दिया गया है.
जानकारी के मुताबिक कोर्ट इन थानों में दर्ज एफआईआर को कभी भी कंप्यूटर पर देख सकता है. पुलिस मुख्यालय के मुताबिक बचे हुए सभी थानों को जल्द जोड़ दिया जाएगा. सीसीटीएनएस योजना से जोड़ने का फायदा यह है कि कोई भी अपराधी देश के किसी भी कोने में गिरफ्तार होता है तो उसके बारे में कहीं की भी पुलिस को आसानी से जानकारी मिल जाएगी. साथ ही किस थाने में कितने मामले दर्ज हैं, कितने पेंडिंग हैं इसकी भी जानकारी मिल सकेगी.
हाईटेक हो रही बिहार पुलिस
एडीजी मुख्यालय जितेंद्र कुमार की मानें तो पहले की तुलना में अब निरंतर और उत्तरोत्तर रूप से पुलिस विभाग को प्रोफेशनली समृद्ध किया जा रहा है. पहले की अपेक्षा बिहार पुलिस अब ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. साइंटिफिक एड्स, अनुसंधान, संचार या फिर अन्य मध्यमों में अब निर्भर के साथ-साथ अनुसंधान समुचित अपनी प्रक्रियाओं का भी प्रयोग किया जा रहा है.
'जनता के सामने आए पुलिस का फ्रेंडली चेहरा'
जितेंद्र कुमार ने बताया कि हमारा प्रयास है कि एक फ्रेंडली पुलिस का चेहरा आम जनता के बीच बन सके. तकनीकों का प्रयोग भी हम इसी दिशा में लगातार कर रहे हैं. पुलिस विभाग सीसीटीएनएस से जुड़ रहा है. सीसीटीएनएस से थाना को जोड़ने के लिए कार्य भी शुरू कर दिया गया है. थानों में दर्ज होने वाली प्राथमिकी, थाना दैनिकी, अपराधियों के नाम-पता सहित अन्य जानकारियों को वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन की जाएगी.
पारदर्शी बनने की दिशा में पुलिस विभाग
पुलिस मुख्यालय की मानें तो सीसीटीएनएस के माध्यम से अब थानों में आने वाले केस की एंट्री, एफआईआर, प्रिवेंशन के लिए लिया गया कदम है. इससे अनुसंधान के लिए स्थल का भ्रमण, केस डायरी, अपराधी का विवरण, पीड़ित की जानकारी, गवाह, चोरी की जानकारी के डिस्पोजल सहित कई महत्वपूर्ण जानकारी अपलोड किए जाएंगे. जिस वजह से काम में पारदर्शिता रहेगी.