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पटना में महिला सुरक्षा को लेकर लापरवाही, ऑटो पर अंकित नहीं रहते पुलिस कोड

पुलिस मुख्यालय के अनुसार ऑटो में जहां यात्री बैठते हैं वहीं, उनके सामने पुलिस कोड लिखा होना चाहिए. अगर कभी भी चालक यात्री से किसी भी तरह की बदतमीजी या छेड़खानी करें, तो फौरन पुलिस को उसकी कोड के बारे में जानकारी देकर शिकायत दर्ज की जा सकती है.

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Published : Dec 7, 2019, 8:02 PM IST

पटना: राजधानी में 2014 में ऑटो चालक द्वारा एक महिला के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था. वहीं, पुलिस की तहकीकात के बाद ऑटो चालक पकड़ा भी गया था. उसी समय पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया था और कहा था कि राजधानी पटना में चलने वाले सभी ऑटो पर पुलिस कोड लगाकर चिन्हित किया जाए, लेकिन पिछले कुछ महीनों से राजधानी में बिना पुलिस कोड लगे हुए ऑटो धड़ल्ले से सड़क पर चल रहे हैं और पुलिस इसपर प्रतिबंध लगाने में विफल साबित हो रही है.

नियम-कानून का नहीं हो रहा पालन
राजधानी की सभी जगहों पर अधिकांश लोग ऑटो की सवारी करते हैं, इसमें महिलाओं की संख्या भी कुछ कम नहीं होती है. देर रात लोग ऑटो में सफर करते हैं तो निश्चित तौर पर जहां एक तरफ बिहार सरकार महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य में नियम कानून का पालन नहीं हो रहा है.

Patna
ईटीवी भारत से बात करते ऑटो चालक

पहचान बताने में अक्षम होंगे यात्री
पुलिस मुख्यालय के अनुसार ऑटो में जहां यात्री बैठते हैं वहीं, उनके सामने पुलिस कोड लिखा होना चाहिए. अगर कभी भी चालक यात्री से किसी भी तरह की बदतमीजी या छेड़खानी करें, तो फौरन पुलिस को उसकी कोड के बारे में जानकारी देकर शिकायत दर्ज की जा सकती है. लेकिन राजधानी पटना में हजारों ऐसे ऑटो सड़क पर चल रहे हैं. जिसमें पुलिस कोड नहीं है और अगर किसी भी तरह की घटना को ऑटो चालक द्वारा दिया अंजाम दिया जाएगा, तो यात्री उसकी पहचान बताने में अक्षम होंगे.

ऑटो पर नहीं लिखा है पुलिस कोड

मामले पर बोलने से परहेज
ट्रैफिक के बड़े अधिकारी भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ बोलने से परहेज करते नजर आ रहे है. लगातार सड़कों पर ऑटो की संख्या बढ़ रही है. साथ ही बैटरी से चलने वाले ऑटो हों, या डीजल और पेट्रोल से चलने वाली हजारों ऐसे ऑटो जिसमें पुलिस कोड नहीं है. वहीं, अगर किसी महिला के साथ घटना घटित होती है तो आरोपी को पकड़ना पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.

पटना: राजधानी में 2014 में ऑटो चालक द्वारा एक महिला के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था. वहीं, पुलिस की तहकीकात के बाद ऑटो चालक पकड़ा भी गया था. उसी समय पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया था और कहा था कि राजधानी पटना में चलने वाले सभी ऑटो पर पुलिस कोड लगाकर चिन्हित किया जाए, लेकिन पिछले कुछ महीनों से राजधानी में बिना पुलिस कोड लगे हुए ऑटो धड़ल्ले से सड़क पर चल रहे हैं और पुलिस इसपर प्रतिबंध लगाने में विफल साबित हो रही है.

नियम-कानून का नहीं हो रहा पालन
राजधानी की सभी जगहों पर अधिकांश लोग ऑटो की सवारी करते हैं, इसमें महिलाओं की संख्या भी कुछ कम नहीं होती है. देर रात लोग ऑटो में सफर करते हैं तो निश्चित तौर पर जहां एक तरफ बिहार सरकार महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य में नियम कानून का पालन नहीं हो रहा है.

Patna
ईटीवी भारत से बात करते ऑटो चालक

पहचान बताने में अक्षम होंगे यात्री
पुलिस मुख्यालय के अनुसार ऑटो में जहां यात्री बैठते हैं वहीं, उनके सामने पुलिस कोड लिखा होना चाहिए. अगर कभी भी चालक यात्री से किसी भी तरह की बदतमीजी या छेड़खानी करें, तो फौरन पुलिस को उसकी कोड के बारे में जानकारी देकर शिकायत दर्ज की जा सकती है. लेकिन राजधानी पटना में हजारों ऐसे ऑटो सड़क पर चल रहे हैं. जिसमें पुलिस कोड नहीं है और अगर किसी भी तरह की घटना को ऑटो चालक द्वारा दिया अंजाम दिया जाएगा, तो यात्री उसकी पहचान बताने में अक्षम होंगे.

ऑटो पर नहीं लिखा है पुलिस कोड

मामले पर बोलने से परहेज
ट्रैफिक के बड़े अधिकारी भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ बोलने से परहेज करते नजर आ रहे है. लगातार सड़कों पर ऑटो की संख्या बढ़ रही है. साथ ही बैटरी से चलने वाले ऑटो हों, या डीजल और पेट्रोल से चलने वाली हजारों ऐसे ऑटो जिसमें पुलिस कोड नहीं है. वहीं, अगर किसी महिला के साथ घटना घटित होती है तो आरोपी को पकड़ना पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.

Intro:एंकर राजधानी पटना में 2014 ईस्वी में ऑटो चालक द्वारा महिला के साथ दुष्कर्म किया गया था पुलिसिया तहकीकात के बाद ऑटो चालक पकड़ा गया था लेकिन पुलिस को काफी मसक्कत करनी पड़ी थी उसी समय पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया था और कहा गया था कि राजधानी पटना में चलने वाले सभी ऑटो पर पुलिस कोड लगाकर चिन्हित किया जाए 2014 से लगातार राजधानी पटना में चलने वाले हजारों ऑटो में पुलिस कोड लगाया गया और चेकिंग के दौरान इसे लगाने की भी बात की गई कही गई लेकिन पिछले कुछ महीनों से राजधानी में बिना पुलिस कोड लगे हुए ऑटो धड़ल्ले से सड़क पर चलाए जा रहे हैं और पुलिस इस पर प्रतिबंध लगाने में विफल साबित हो रहा है अमूमन राजधानी पटना के सभी जगहों पर अधिकांश लोग ऑटो की सवारी करते हैं इसमें महिलाओं की संख्या भी कुछ कम नहीं होती है राजधानी पटना में देर रात लोग ऑटो में सफर करते हैं


Body:निश्चित तौर पर जहां एक तरफ बिहार सरकार महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कहती है वहीं दूसरी तरफ राजधानी पटना में ऑटो से सफर करने वाली महिलाएं सुरक्षित है कि नहीं इसकी जिम्मेवारी पटना पुलिस लेते नजर नहीं आ रही है क्योंकि जो प्रावधान बनाया गया था उसमें था कि हर एक ऑटो पर पुलिस कोड होगा ऑटो के अंदर भी अगर बात करें यात्री जहां बैठते हैं उनके सामने भी पुलिस कोड होगा जिससे कि कभी भी कोई भी चालक किसी भी तरह की बदतमीजी या छेड़खानी महिला के साथ करें तो फौरन पुलिस को उसकी कोड के बारे में जानकारी देकर शिकायत दर्ज की जा सकती है लेकिन राजधानी पटना में हजारों ऎसे ऑटो सड़क पर चल रहे हैं जिसमे पुलिस कोड नही है और अगर किसी भी तरह के घटना का अंजाम इस ऑटो चालक द्वारा दिया जाएगा तो यात्री उसकी पहचान बताने में अक्षम होंगे और पुलिस को भी उसे ढूंढने में कठिनाई होगी वाबजूद इसके पुलिस इसको लेकर उदासीन है


Conclusion:पटना ट्रैफिक के बड़े अधिकारी भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और इस मामले पर कुछ बोलने से परहेज करते नजर आते हैं लगातार पटना की सड़कों पर ऑटो की संख्या बढ़ रही है बैटरी से चलने वाले ऑटो हो या डीजल या पेट्रोल से चलने वाले ऑटो हजारों ऐसे हैं जिसमें पुलिस कोड नही है और निश्चित तौर पर अगर कोई महिलाओं के साथ घटना घटित होती है तो आरोपी को पकड़ना पटना पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है अब देखना यह है कि पटना पुलिस का नींद कब खुलता है और जिस तरह प्रदूषण ड्राइविंग लाइसेंस और फिटनेस को लेकर ऑटो की चेकिंग की जाती है पुलिस कोड के लिए राजधानी पटना में चलने वाले ऑटो की चेकिंग कब की जाएगी और कब ऐसा होगा कि राजधानी पटना में चलने वाले सभी ऑटो पर पुलिस कोड दिखाई देगा
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