पटना: राजधानी में 2014 में ऑटो चालक द्वारा एक महिला के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया था. वहीं, पुलिस की तहकीकात के बाद ऑटो चालक पकड़ा भी गया था. उसी समय पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी किया था और कहा था कि राजधानी पटना में चलने वाले सभी ऑटो पर पुलिस कोड लगाकर चिन्हित किया जाए, लेकिन पिछले कुछ महीनों से राजधानी में बिना पुलिस कोड लगे हुए ऑटो धड़ल्ले से सड़क पर चल रहे हैं और पुलिस इसपर प्रतिबंध लगाने में विफल साबित हो रही है.
नियम-कानून का नहीं हो रहा पालन
राजधानी की सभी जगहों पर अधिकांश लोग ऑटो की सवारी करते हैं, इसमें महिलाओं की संख्या भी कुछ कम नहीं होती है. देर रात लोग ऑटो में सफर करते हैं तो निश्चित तौर पर जहां एक तरफ बिहार सरकार महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कहती है. वहीं, दूसरी तरफ राज्य में नियम कानून का पालन नहीं हो रहा है.
पहचान बताने में अक्षम होंगे यात्री
पुलिस मुख्यालय के अनुसार ऑटो में जहां यात्री बैठते हैं वहीं, उनके सामने पुलिस कोड लिखा होना चाहिए. अगर कभी भी चालक यात्री से किसी भी तरह की बदतमीजी या छेड़खानी करें, तो फौरन पुलिस को उसकी कोड के बारे में जानकारी देकर शिकायत दर्ज की जा सकती है. लेकिन राजधानी पटना में हजारों ऐसे ऑटो सड़क पर चल रहे हैं. जिसमें पुलिस कोड नहीं है और अगर किसी भी तरह की घटना को ऑटो चालक द्वारा दिया अंजाम दिया जाएगा, तो यात्री उसकी पहचान बताने में अक्षम होंगे.
मामले पर बोलने से परहेज
ट्रैफिक के बड़े अधिकारी भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं और कुछ बोलने से परहेज करते नजर आ रहे है. लगातार सड़कों पर ऑटो की संख्या बढ़ रही है. साथ ही बैटरी से चलने वाले ऑटो हों, या डीजल और पेट्रोल से चलने वाली हजारों ऐसे ऑटो जिसमें पुलिस कोड नहीं है. वहीं, अगर किसी महिला के साथ घटना घटित होती है तो आरोपी को पकड़ना पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.