पटना: प्रदेश में कोरोना संक्रमण का दूसरा लहर चल रहा है और इसका पीक आ चुका है. दुनिया भर के कई इलाकों में दूसरी लहर के बाद कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आ रही है. प्रदेश में भी तीसरे लहर के आने की प्रबल संभावना बन रही है. विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर में सबसे अधिक खतरा बच्चों को है.
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बिहार सरकार ने भी कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं. बच्चों के अस्पतालों को मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि आपात स्थिति को कंट्रोल किया जा सके. ऐसे में जब हमने बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में तीसरी लहर को लेकर की जा रही तैयारी की तहकीकात की तो दृश्य हैरान करने वाले नजर आए.
तीसरी लहर के लिए तैयार नहीं है पीएमसीएच
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिस अस्पताल को विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने का सपना संजोए हुए हैं वहां कोरोना की तीसरी लहर को लेकर व्यवस्थाएं और तैयारियां शून्य नजर आईं. कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने में सबसे महत्वपूर्ण बात हाइजीन कायम करना है. जहां कोरोना मरीज का इलाज होता है वहां आसपास हाइजीन की व्यवस्था कायम रहे ताकि मरीज स्वस्थ हो सकें. अनहाइजीन की वजह से संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस, वाइट फंगस और अन्य फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
दीवार पर लगी है काई
ऐसे में अगर बात करें पीएमसीएच के शिशु वार्ड की तो अस्पताल में प्रवेश करते ही सबसे पहले सामना ग्रीन फंगस से होता है. ग्रीन फंगस शिशु विभाग की पहचान बन गई है. शिशु विभाग की बाहरी दीवारों पर काफी पौधे उगे हुए हैं और गंदगी और अधिक पानी जमा होने के कारण काफी काई जम गई है. शिशु वार्ड के इमरजेंसी में प्रवेश करने से पहले मरीज का सबसे पहले सामना गंदगी और काई से होता है. यहां गंदा पानी टपकता रहता है. खिड़की और दरवाजों पर गंदगी और नमी के कारण मासूमों को फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ा हुआ है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को सुरक्षा देने में यह व्यवस्था कितनी कारगर होगी.
खस्ताहाल हैं बेड
अस्पताल के शिशु रोग विभाग में पीआईसीयू और एनआईसीयू के बेडों की संख्या 65 है. अस्पताल में बच्चों के लिए जनरल बेड की संख्या करीब 200 है. इनमें से लगभग 50 फीसदी बेड खराब हालत में हैं. शिशु रोग विभाग के इमरजेंसी वार्ड में जो बेड हैं उनके गद्दे फटे हुए हैं. गद्दे फटे होने की वजह से उसकी उचित सफाई मुश्किल है. कई बेड के स्टैंड टूटे हुए हैं. इमरजेंसी के बच्चों का इलाज अंदर वार्ड में होने के बजाय वार्ड के बाहर गैलरी में लगे बेंच पर चल रहा है. इमरजेंसी में इलाज की व्यवस्थाओं का दृश्य व्यथित करने वाला नजर आया.
जवाब देने को तैयार नहीं जिम्मेदार
पीएमसीएच में कोरोना के तीसरे लहर को लेकर क्या तैयारी है इसके बारे में जब हमने शिशु रोग की विभागाध्यक्ष डॉ एके जायसवाल से मिलकर उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया. उनका सभी सवालों पर एक ही जवाब था कि सभी जानकारी अस्पताल के अधीक्षक ही देंगे.
वहीं, इस मसले पर जब हमने अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर आईएस ठाकुर से मुलाकात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि अभी बहुत व्यस्त हैं और कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अस्पताल में चल रही तैयारियों के बारे में जानकारी देने के लिए 2 मिनट भी नहीं निकाल सकते. हमने अधीक्षक से कई बार मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन सभी प्रयास विफल रहे.
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