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क्या नीतीश को इग्नोर कर रहे हैं PM मोदी? 7 दिन बाद भी नहीं दिया मिलने का समय - Caste Census politics

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 8 दिनों के बाद भी मिलने के लिए समय नहीं दिया है. 2 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना के मसले पर विचार करने के लिए पीएम से समय मांगा था.

नीतीश कुमार
नीतीश कुमार
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Published : Aug 10, 2021, 9:06 AM IST

पटनाः बिहार सहित देशभर में जातीय जनगणना (Caste Census) पर घमासान जारी है. बिहार की सरकार में शामिल महत्वपूर्ण सहयोगी दल जदयू (JDU) सहित पक्ष-विपक्ष की कई पार्टियां जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग कर रही है, वहीं भाजपा (BJP) इसे लगातार नजरअंदाज कर रही है. इस बीच महत्वपूर्ण यह कि इस मसले पर बात करने के लिए 7 दिनों के बाद भी पीएम मोदी (PM Modi) ने सीएम नीतीश (CM Nitish) को समय नहीं दिया है.

इसे भी पढ़ें- JDU को अपना मंसूबा करना है पूरा, बदल दी गई UP चुनाव की रणनीति, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

बता दें कि सोमवार को जनता दरबार में लोगों की समस्याओं को सुनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग की है.

सीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा- 'PM को चिट्ठी लिखी है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. इस मसले को गम्भीरता से लेना होगा. पिछली जातीय जनगणना 1931 में हुई थी. उसके बाद कभी जातीय जनगणना नहीं हुई है, जबकि अभी के दौर में ये कराना बेहद जरूरी है. जातीय जनगणना कराने से कई फायदे हैं. इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सी जाति की क्या स्थिति है? उसके विकास के लिए काम किया जा सकता है. अभी भी समाज में कई ऐसे तबके हैं, जो विकास से दूर हैं. यह जातीय जनगणना में पता चल जाएगा.'

वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें तो उम्मीद है कि केन्द्र सरकार ही जातीय जनगणना कराए. क्योंकि यह केन्द्र सरकार का ही काम है. सीएम ने कहा कि समाज के हित में हम इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं. कर्नाटक की तर्ज पर जातीय जनगणना को लेकर आपस में बैठकर चर्चा करने की बात भी सीएम ने कह दी है.

बताते चलें कि बीते 2 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय मांगा था. इस मांग के 8 दिन बीत गए हैं, लेकिन अब तक हां या ना में जवाब नहीं आया है. नीतीश कुमार ने खुलकर इस बात को कहा है.

इसे भी पढ़ें- बोले नीतीश कुमार- 'राज्य सरकार करेगी जातीय जनगणना ऐसा नहीं लिया गया है कोई फैसला'

बता दें कि कुछ दिनों पहले जदयू के सभी सांसदों ने भी पीएम से मुलाकात नहीं कर पाने के कारण गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर जातीय जनगणना पर अपनी राय रखी थी. लेकिन, अब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीएम से वक्त मिलने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि जातीय जनगणना पर विचार किया जा सके.

पीएम मोदी के द्वारा अब तक वक्त नहीं दिए जाने के बाद से यह भी साफ हो रहा है कि जातीय जनगणना पर भाजपा का रूख स्पष्ट है. वह किसी भी कीमत पर इसे नहीं होने देना चाहती है. बिहार में भाजपा के नेताओं और मंत्रियों ने भी साफ तौर पर कहा है कि पीएम मोदी 'सबका साथ सबका विकास' नारे के साथ समाज के हर तबके का विकास कर रहे हैं. लिहाजा जाति के आधार पर जनगणना कराने का कोई तात्पर्य नहीं है.

पटनाः बिहार सहित देशभर में जातीय जनगणना (Caste Census) पर घमासान जारी है. बिहार की सरकार में शामिल महत्वपूर्ण सहयोगी दल जदयू (JDU) सहित पक्ष-विपक्ष की कई पार्टियां जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग कर रही है, वहीं भाजपा (BJP) इसे लगातार नजरअंदाज कर रही है. इस बीच महत्वपूर्ण यह कि इस मसले पर बात करने के लिए 7 दिनों के बाद भी पीएम मोदी (PM Modi) ने सीएम नीतीश (CM Nitish) को समय नहीं दिया है.

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बता दें कि सोमवार को जनता दरबार में लोगों की समस्याओं को सुनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग की है.

सीएम ने मीडिया से बात करते हुए कहा- 'PM को चिट्ठी लिखी है, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है. इस मसले को गम्भीरता से लेना होगा. पिछली जातीय जनगणना 1931 में हुई थी. उसके बाद कभी जातीय जनगणना नहीं हुई है, जबकि अभी के दौर में ये कराना बेहद जरूरी है. जातीय जनगणना कराने से कई फायदे हैं. इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सी जाति की क्या स्थिति है? उसके विकास के लिए काम किया जा सकता है. अभी भी समाज में कई ऐसे तबके हैं, जो विकास से दूर हैं. यह जातीय जनगणना में पता चल जाएगा.'

वहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें तो उम्मीद है कि केन्द्र सरकार ही जातीय जनगणना कराए. क्योंकि यह केन्द्र सरकार का ही काम है. सीएम ने कहा कि समाज के हित में हम इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं. कर्नाटक की तर्ज पर जातीय जनगणना को लेकर आपस में बैठकर चर्चा करने की बात भी सीएम ने कह दी है.

बताते चलें कि बीते 2 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय मांगा था. इस मांग के 8 दिन बीत गए हैं, लेकिन अब तक हां या ना में जवाब नहीं आया है. नीतीश कुमार ने खुलकर इस बात को कहा है.

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बता दें कि कुछ दिनों पहले जदयू के सभी सांसदों ने भी पीएम से मुलाकात नहीं कर पाने के कारण गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर जातीय जनगणना पर अपनी राय रखी थी. लेकिन, अब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पीएम से वक्त मिलने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि जातीय जनगणना पर विचार किया जा सके.

पीएम मोदी के द्वारा अब तक वक्त नहीं दिए जाने के बाद से यह भी साफ हो रहा है कि जातीय जनगणना पर भाजपा का रूख स्पष्ट है. वह किसी भी कीमत पर इसे नहीं होने देना चाहती है. बिहार में भाजपा के नेताओं और मंत्रियों ने भी साफ तौर पर कहा है कि पीएम मोदी 'सबका साथ सबका विकास' नारे के साथ समाज के हर तबके का विकास कर रहे हैं. लिहाजा जाति के आधार पर जनगणना कराने का कोई तात्पर्य नहीं है.

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