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Patna News: मसौढ़ी में गरमा धान की रोपनी शुरू, कम समय में होती है अच्छी पैदावार

मसौढ़ी में गरमा धान की रोपाई शुरू हो गई है. इस इलाके में बड़ी संख्या में किसान गरमा धान की खेती करते हैं. गरमा धान कम समय में तैयार हो जाता है और इससे किसान को अच्छी आमदनी भी होती है. जिसके चलते किसान इसकी खेती करते हैं.

मसौढ़ी में गरमा धान की खेती
मसौढ़ी में गरमा धान की खेती
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Published : Apr 16, 2023, 5:47 PM IST

मसौढ़ी में गरमा धान की खेती

पटना(मसौढ़ी): बिहार में रबी फसल की कटाई लगभग खत्म हो गई है. अब खरीफ फसल की बुआई शुरू होने वाला है. पटना के ग्रामीण इलाकों में गरमा धान की खेती (Planting of Hot Paddy) को लेकर खेतों में बुआई शुरू हो चुकी है. गरमा धान की खेती किसानों के लिए बहुत मुनाफा देती है. ऐसे में गरमा धान की खेती कर किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमाते हैं. क्योंकि गरमा धान के फसल को पक्का तैयार होने में सिर्फ 2 महीने का वक्त लगता है.

ये भी पढ़ें- 'सोना' बना किसानों के लिए काला धान, मसौढ़ी में कम लागत पर Black Rice से अच्छी कमाई

गरमा धान की खेती: रबी फसल की कटाई हो चुकी है. ऐसे में मसौढ़ी के विभिन्न गांव में इन दिनों किसान गरमा धान की रोपनी शुरू कर चुके हैं. कहा जाता है कि गरमा धान किसानों के लिए चैलेंजिंग खेती होती है. क्योंकि इस वक्त प्रचंड गर्मी होती है. इसकी खेती में पानी की अधिक डिमांड रहती है. लेकिन कम समय में कम लागत में अधिक मुनाफा के लिए किसानों के लिए गरमा धान की खेती बहुत खाती फायदेमंद साबित होता है.

कम समय में ज्यादा मुनाफा: पटना के ग्रामीण इलाकों में कई किसान अपने अपने खेतों में गरमा धान की रोपनी में लग चुके के हैं. गरमा धान का प्रयोग चुडा बनाने में ज्यादातर किया जाता है. इसलिए पश्चिम बंगाल में इस धान की किस्म की ज्यादा मांग की जाती हैं. इसलिए रबी की फसल करते हैं. गरमा धान की रोपाई शुरू हो चुकी है और खरीफ सीजन आने से पहले ही 2 महीने में गरमा धान पक जाती है.

किसानों को होता है ज्यादा मुनाफा: गरमा धान की खेती करने से किसानों को कम समय में अच्छी खासी आमदनी होती है. क्योंकि किसान रबी से खरीफ सीजन के बीच के समय में दो फसल की पैदावार कर लेते हैं. किसान भी मानते हैं कि उनका गरमा धान की खेती का मकसद कम समय में अधिक मुनाफा कमाना है. इसलिए कब धीरे-धीरे आसपास के लोग भी खेती का रुख कर रहे हैं. मसौढ़ी के भैंसवां गांव में गरमा धान की खेती ज्यादा होती है.

मसौढ़ी में गरमा धान की खेती

पटना(मसौढ़ी): बिहार में रबी फसल की कटाई लगभग खत्म हो गई है. अब खरीफ फसल की बुआई शुरू होने वाला है. पटना के ग्रामीण इलाकों में गरमा धान की खेती (Planting of Hot Paddy) को लेकर खेतों में बुआई शुरू हो चुकी है. गरमा धान की खेती किसानों के लिए बहुत मुनाफा देती है. ऐसे में गरमा धान की खेती कर किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमाते हैं. क्योंकि गरमा धान के फसल को पक्का तैयार होने में सिर्फ 2 महीने का वक्त लगता है.

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गरमा धान की खेती: रबी फसल की कटाई हो चुकी है. ऐसे में मसौढ़ी के विभिन्न गांव में इन दिनों किसान गरमा धान की रोपनी शुरू कर चुके हैं. कहा जाता है कि गरमा धान किसानों के लिए चैलेंजिंग खेती होती है. क्योंकि इस वक्त प्रचंड गर्मी होती है. इसकी खेती में पानी की अधिक डिमांड रहती है. लेकिन कम समय में कम लागत में अधिक मुनाफा के लिए किसानों के लिए गरमा धान की खेती बहुत खाती फायदेमंद साबित होता है.

कम समय में ज्यादा मुनाफा: पटना के ग्रामीण इलाकों में कई किसान अपने अपने खेतों में गरमा धान की रोपनी में लग चुके के हैं. गरमा धान का प्रयोग चुडा बनाने में ज्यादातर किया जाता है. इसलिए पश्चिम बंगाल में इस धान की किस्म की ज्यादा मांग की जाती हैं. इसलिए रबी की फसल करते हैं. गरमा धान की रोपाई शुरू हो चुकी है और खरीफ सीजन आने से पहले ही 2 महीने में गरमा धान पक जाती है.

किसानों को होता है ज्यादा मुनाफा: गरमा धान की खेती करने से किसानों को कम समय में अच्छी खासी आमदनी होती है. क्योंकि किसान रबी से खरीफ सीजन के बीच के समय में दो फसल की पैदावार कर लेते हैं. किसान भी मानते हैं कि उनका गरमा धान की खेती का मकसद कम समय में अधिक मुनाफा कमाना है. इसलिए कब धीरे-धीरे आसपास के लोग भी खेती का रुख कर रहे हैं. मसौढ़ी के भैंसवां गांव में गरमा धान की खेती ज्यादा होती है.

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