पटना : बिहार में एससी/एसटी कानूनों के प्रावधानों को ठीक से लागू नहीं करने और ठोस कार्रवाई नहीं किये जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत कार्रवाई रिपोर्ट पर संतोष व्यक्त करते हुए इस जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया. ये जनहित याचिका बिहार लीगल नेटवर्क की ओर से दायर किया गया था.
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बिहार में एससी-एसटी कानूनों के प्रावधानों पर सुनवाई : राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को दी गयी कार्रवाईयों का ब्यौरा सरकारी अधिवक्ता अजय ने प्रस्तुत किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि एससी/एसटी कानूनों से सम्बन्धित मामलों को पोर्टल पर डालने की व्यवस्था कार्यशील है. उन्होंने बताया कि इन मामलों में पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा रही है.
पीड़ितों को क्षतिपूर्ति का होता है भुगतान : सरकारी अधिवक्ता अजय ने कोर्ट को बताया कि इन मामलों में पीड़ितों को क्षतिपूर्ति का भुगतान केसों के आधार पर किया जाता है. इन मामलों क्षतिपूर्ति का भुगतान शीघ्र किया जाता है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा डीएसपी स्तर से लेकर नीचे के स्तर के पुलिस अधिकारिओं को इन मामलों में कार्रवाई के लिए प्रशिक्षण दिया गया है. ऐसे पुलिस अधिकारियों की संख्या लगभग तीन हजार है.
'CM और DGP खुद करते हैं मॉनिटरिंग' : उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उच्च स्तर पर ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग की जाती है. मुख्यमंत्री और राज्य के डीजीपी स्वयं इन मामलों की मॉनिटरिंग करते हैं. इस जनहित याचिका में ये शिकायत की गयी थी कि एससी/एसटी कानूनों से सम्बन्धित कार्रवाईओं को पोर्टल पर नहीं डाला जाता है. साथ ही ये भी कहा गया कि इन मामलों में कानूनों के प्रावधानों को लागू करने के लिए पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है. कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता अजय द्वारा दिये गये ब्यौरा से संतुष्ट होकर इस मामले को निष्पादित कर दिया है.