पटना: राजधानी पटना में नेशनल फार्मेसी वीक (National Pharmacy Week) के समापन के मौके पर इंडियन फार्मेसी ग्रेजुएट एसोसिएशन (Indian Pharmacy Graduate Association) के द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इस मौके पर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद कुमार जनरल सेक्रेटरी एसपी सिंह समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलन कर किया गया. इस मौके पर मौजूद फार्मासिस्टों ने बताया कि आज के दौर में फार्मासिस्ट की महत्व काफी बढ़ गया है. सभी ने मांग की कि अस्पताल के प्रत्येक वार्ड और पीएचसी पर फार्मासिस्ट की बहाली कर उन्हें पदोन्नति दी जाए.
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इंडियन फार्मेसी ग्रेजुएट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी श्रीपति सिंह ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में फार्मासिस्ट का योगदान काफी अहम हो गया है. इनकी महत्ता काफी बढ़ गई है. उन्होंने बताया कि फार्मासिस्ट के लिए देश में तीन स्तर पर शिक्षा दी जाती है. जिसमें एक डिप्लोमा इन फार्मेसी, प्लस टू के बाद 2 साल का कोर्स और 750 घंटे का हॉस्पिटल ट्रेनिंग शामिल है. दूसरा डिग्री इन फार्मेसी यानी बी फार्मा, इसके लिए टेन प्लस टू के बाद 4 साल का इंटीग्रेटेड कोर्स प्लस फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग भी शामिल है.
'बिहार के एकमात्र बिहार औषधि नियंत्रण प्रयोगशाला में एक सरकारी विश्लेषक संविदा पर कार्यरत है. जबकि आवश्यकता अनुसार कम से कम 10 सरकारी विश्लेषक एवं 20 लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करते हैं कि एडल्टरेटेड और सब स्टैंडर्ड की दवाओं की रोकथाम के लिए सरकार जल्द इनकी नियुक्ति करे.' :- श्रीपति सिंह, इंडियन फार्मेसी ग्रैजुएट एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी
एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी श्रीपति सिंह ने कहा कि बिहार में दवा दुकानों की संख्या 60000 है. कुल निर्माण स्थान 210 हैं. इसलिए इसके तहत 600 ड्रग इंस्पेक्टर होनी चाहिए और वर्तमान समय में 163 ड्रग इंस्पेक्टर के पद प्रदेश में स्वीकृत है. इसके आलोक में 104 कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि वह सरकार से मांग करते हैं कि प्रदेश में ड्रग इंस्पेक्टर की और 500 पद स्वीकृत किए जाएं और इसके आलोक में बहाली की जाए ताकि गलत दवाइयों के कलाबाजारी पर रोक लगाया जा सके. वहीं जो फार्मासिस्ट में डिग्री और डिप्लोमा हासिल कर रहे हैं, उन्हें रोजगार का अवसर प्राप्त हो.
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