पटना: कोरोना महामारी में अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे फार्मासिस्ट ने बिहार सरकार से मानदेय में बढ़ोतरी करने की मांग की है. इसको लेकर अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव ने बताया कि सरकार ने 2015 में संविदा के आधार पर आयुष चिकित्सकों, फार्मासिस्ट और एएनएम की बहाली कर हमलोगों को रखा था. आयुष चिकित्सकों कि सैलरी को बढ़ाकर एमबीबीएस चिकित्सकों के समतुल्य कर दिया गया है. लेकिन सरकार ने हमलोगों को नजरअंदाज कर दिया.
'कई बार लिखा सरकार को पत्र'
फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सचिव मनीष कुमार ने बताया कि मानदेय बढ़ोतरी को लेकर हमलोगों ने सरकार को कई बार पत्र भी लिखा. बावजूद राज्य सरकार ने हमारी मांगों को अनसुना कर दिया. राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार ने 2015 में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत हमलोगों को बहाल किया था. आयुष शिक्षकों का मानदेय एमबीबीएस चिकित्सकों के बाराबर 44 हजार कर दिया. लेकिन हमारे मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई. हमें आज भी मात्र 16 हजार की तनख्वाह पर काम करना पर रहा है.
'परमानेंट फार्मासिस्ट के बराबर मिले वेतन'
वहीं, इस मामले पर फार्मासिस्ट रिंजू कुमारी ने बताया कि बिहार सरकार हमारे साथ दोहरी नीति अपना रही है. परमानेंट फार्मासिस्ट को 37 वेतन राशि मिलती है. जबकि हमलोगों को वहीं काम करते हुए मात्र 16 हजार वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार हमारे लिए राजा समान हैं. इसवजह से उनको सभी प्रजा को समान नजर से देखनी चाहिए. इसलिए हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि हमारे साथ अन्याय ना करें. हमलोगों को भी परिवार है. इस संकट काल में हमें अपना परिवार चलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.