पटनाः बिहार राज्य महिला आयोग में चेयरपर्सन की नियुक्ति (Appointment Of Bihar State Women Commission Chairperson) के लिए पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस मामले में पहले भी याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट (Petition Filed In Patna High court) ने 10 अगस्त, 2021 को राज्य के समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव के समक्ष याचिकाकर्ता को आवेदन देने का आदेश दिया था. लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा 16 अगस्त, 2021 को आवेदन देने के बावजूद अब तक विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसके बाद याचिकाकर्ता ने इसी विषय को लेकर एक बार फिर याचिका दायर कर दी.
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पहले की सुनवाई में याचिकाकर्ता को कोर्ट द्वारा इस बात की छूट दी गई थी कि अगर इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, तो याचिकाकर्ता मामले को पुनः कोर्ट के समक्ष ला सकता है. अधिवक्ता याचिकाकर्ता ओम प्रकाश कुमार का कहना है कि ये पद नवंबर, 2020 से खाली पड़ा हुआ है. प्रावधानों के अनुसार पूर्व चेयरपर्सन का तीन वर्षों का कार्यकाल 31 अक्टूबर, 2020 को पूरा हो चुका है. उसके बाद अभी तक किसी की नियुक्ति उक्त पद पर नहीं की गई है.
याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति नहीं होने की वजह से हिंसा से पीड़ित महिलाएं और लड़कियां इस प्रकार के प्रभावी फोरम से वंचित हैं. याचिका में ये भी कहा गया है कि नेशनल कमीशन फ़ॉर वुमेंस का गठन वर्ष 1992 में नेशनल कमीशन एक्ट, 1990 के तहत किया गया था. वर्ष 1999 में बिहार स्टेट कमीशन फ़ॉर वुमेंस एक्ट की घोषणा की गई थी. बिहार स्टेट कमीशन फ़ॉर वुमेंस एक्ट, 1999 के अनुसार कमीशन में चेयरपर्सन को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा.
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याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से पहले उक्त मामले को लेकर राज्य के समाज कल्याण मंत्री, राज्य के मुख्य सचिव, समाज कल्याण विभाग के निदेशक, समाज कल्याण विभाग के सचिव को आवेदन दिया जा चुका है. जिसमें यह कहा गया है कि महिला आयोग के पदों के भंग होने की वजह से पीड़ित महिलाओं से नया आवेदन भी नहीं लिया जा रहा है. महिला थाने में जाती हैं तो कहा जाता है कि महिला आयोग जाइये. ऐसी स्थिति में अनेकों महिलाएं आत्महत्या करने पर विवश हो जाती हैं.
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