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बजेगा सायरन, बचेगा जीवन.. अब बिहार में सायरन से दी जाएगी वज्रपात की चेतावनी

वज्रपात के कहर से बचने के लिए बिहार सरकार एक नायाब पहल कर रही है. बिहार लगभग देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा, जहां बिजली गिरने से पहले ही लोगों को सूचना (Information to people before lightning) दी जाएगी. यह सूचना हूटर के माध्यम से दी जाएगी ताकि वक्त रहते लोग सचेत हो जाएं और सुरक्षित जगहों पर चले जाएं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में बिजली गिरने की चेतावनी
बिहार में बिजली गिरने की चेतावनी
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Published : Dec 10, 2022, 2:04 PM IST

पटना: बिहार देश के उन राज्यों में से है जहां मानसून के सक्रिय होने के बाद अच्छे खासे अनुपात में बारिश होती है. बारिश होती है तो वज्रपात भी होते है लेकिन वज्रपात का कहर इस राज्य में कुछ इस तरह से आम लोगों पर टूट रहा है कि साल दर साल मौत का आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है. प्रकृति के इस कहर से बचने के लिए बिहार सरकार एक नायाब पहल कर रही है. बिहार लगभग देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां बिजली गिरने से पहले ही लोगों को सूचना (Information to people before lightning) दी जाएगी. यह सूचना हूटर के माध्यम से दी जाएगी ताकि वक्त रहते लोग सचेत हो जाएं और सुरक्षित जगहों पर चले जाएं. देश के कई राज्यों में हूटर तो लगाए गए हैं लेकिन वह समुद्री तूफान की सूचना देने के लिए लगे हैं. हालांकि बिहार में जो हूटर लगाए जा रहे हैं, वो बिजली गिरने की सूचना देंगे.

पढ़ें-नवादा ने आकाशीय बिजली का कहर, बसकंडा गांव में वज्रपात से युवक की मौत


बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की पहल: इस हूटर को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) की तरफ से लगाया जा रहा है. इस बारे में जानकारी देते हुए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सीनियर कंसल्टेंट नीरज कुमार सिंह बताते हैं कि 2018 से बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगातार स्टडी कर रहा है. बिजली गिरने से लोगों की मौत का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. 2020 में जहां बिजली गिरने से राज्य में 443 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2021 में 276 और 2022 में 334 लोगों की मौत केवल बिजली गिरने से हुई है. 2020 का 25 जून ऐसा दिन रहा, जहां एक दिन में करीब 100 लोगों की मौतें बिजली गिरने से हुई. देश में एक दिन में बिजली गिरने से इतने लोगों के मरने का कोई रिकॉर्ड फिलहाल नहीं है.


ग्रामीण क्षेत्र ज्यादा प्रभावित: नीरज बताते हैं कि प्राधिकरण की तरफ से जब जमीनी स्तर पर अध्ययन किया गया तो उसे चार प्रकार में बांटा गया. अध्ययन कहां, क्यों, कब और कौन से लोग पर आधारित था. जिसमें यह सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में ठनका गिरने से किसान, खेतिहर, पशुपालक, ज्यादा प्रभावित हुए हैं. इसके बाद ठनका प्रभावित कुछ जिलों के सभी जिलों से रिपोर्ट को मंगाई गई. जिसमें यह सामने आया कि करीब 86% किसान और पशुपालक ठनका गिरने से प्रभावित हुए हैं. अध्ययन में यह भी सामने आया कि दिन में 11 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक सबसे ज्यादा मौतें ठनका गिरने से हुई हैं. इसमें सुबह 6 बजे से लेकर दिन में 11 बजे तक करीब 12% और दिन में 11:00 बजे से लेकर शाम में 6 बजे तक करीब 88% मौतें ठनका के गिरने से हुई.

50 से ज्यादा मौत वाले में है कई जिले: नीरज ने यह भी बताया कि राज्य में सात ऐसे भी जिले हैं जहां 50 से भी ज्यादा मौतें केवल बिजली के गिरने से हुई है. इनमें सबसे ऊपर गया है जहां 100 मौतें ठनका गिरने से हुई है. इसके बाद रोहतास में 73, औरंगाबाद में 72, बांका में 64, जमुई में 63 और पटना में 55 मौतें बिजली गिरने से हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि 2018 से लेकर 2022 तक की जो रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें एक यह भी चीज सामने आई है कि न केवल मानसून बल्कि प्री और पोस्ट मानसून में भी बिजली गिर रही है. पूरे साल में केवल जनवरी और दिसंबर ही ऐसे महीने हैं, जहां लोगों को वज्रपात से कुछ राहत मिल रही है.

सीएम ने लिया था संज्ञान: नीरज ने बताया कि बिजली के गिरने की गंभीरता को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने जुलाई माह में बैठक की थी और इस मामले पर गंभीर चिंता जताई थी. साथ ही उन्होंने इस पर बचाव के लिए पूरे राज्य में विशेष अभियान चलाकर राज्य के सरकारी भवनों में जल्द से जल्द लाइटनिंग अरेस्टर लगाने का निर्देश भी दिया था. जिसके बाद राज्य आपदा समन निधि में प्रस्ताव दिया गया.

हूटर से होगी शुरुआत: नीरज ने बताया कि वज्रपात से बचने के लिए जो पहल की जा रही है इसमें सबसे पहली कोशिश हूटर के द्वारा लोगों को सचेत करने की होगी. जिसकी शुरुआत इसी सप्ताह राज्य के औरंगाबाद जिले से की जा रही है. जहां एक हूटर लगाया जाएगा, जो प्राधिकरण के द्वारा ही विकसित किए गए इंद्र ब्रज ऐप के माध्यम से जुड़ा रहेगा. इंद्र व्रज एप के द्वारा 15 से 20 मिनट पहले बिजली गिरने की चेतावनी दी जाएगी, उसके बाद तत्परता के साथ इस हूटर को बजाया जाएगा. जो कि 3 से 5 किलोमीटर की रेडियस में सुनाई देगा. हूटर की आवाज को सुनने के बाद लोग सुरक्षित जगहों पर चले जाएंगे. जिससे जानमल की हानि पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि फिलहाल इस हूटर को अभी पंचायत सरकार भवन के ऊपर तड़ित चालक के साथ लगाया जा रहा है. इसे ऑपरेट करने के लिए कर्मियों की भी नियुक्ति की जाएगी. जो बिजली गिरने की सूचना के साथ तत्परता से उसे बजाएंगे.

पीएचइडी के साथ बातचीत: नीरज कुमार ने यह भी बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार के पीएचइडी के साथ भी प्राधिकरण की बातचीत चल रही है. तैयारी कुछ इस कदर है कि पीएचईडी के अंतर्गत आने वाले जल मीनार के ऊपर तड़ित चालक को हूटर के साथ लगाया जाए और जल मीनार के संचालक को ऑपरेट इसकी जिम्मेदारी दी जाए. वज्रपात प्रभावित सात जिलों में चरणबद्ध तरीके से पहली बार इस हूटर को लगाया जा रहा है. इन जिलों में 79 जल मीनार हैं. जहां पर इस होटल को तड़ित चालक के साथ लगाया जाना है. इसके अलावा इन जिलों के 249 ग्राम पंचायतों में भी इस हूटर को लगाने का प्रस्ताव अनुमोदित है. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रोफेसर उदय कांत मिश्रा के दिशा निर्देश में इनमें होटल और तड़ित चालक की कार्यप्रणाली पर रिसर्च को लेकर आईआईटी पटना के अलावा राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के साथ चर्चा भी हो चुकी है.

बिजली की रहेगी अल्टरनेट व्यवस्था: नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कई बार यह देखा जाता है बारिश होने के साथ ही बिजली चली जाती है. ऐसी स्थिति में हूटर को बजाना संभव नहीं है. प्राधिकरण इसके लिए भी पहल कर रहा है. जहां-जहां हूटर और तड़ित चालक को लगाया जाएगा. वहां पर बिजली की अल्टरनेट व्यवस्था भी की जाएगी. उसे इनवर्टर से जोड़ा जाएगा ताकि समय पर सूचना देने में कोई दिक्कत नहीं हो. साथ ही इंद्र ब्रज ऐप द्वारा सूचना को प्राप्त करने के लिए ऑपरेटर को एक एंड्राइड मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि हूटर के लगाने के बनने के बाद क्या करना है? इन सारी चीजों के बारे में लोगों को अवेयर भी किया जाएगा. इसके लिए स्थानीय स्तर से लेकर कई गतिविधियों को आयोजित किया जाएगा। इनमें जागरूकता रथ भी निकाला जाएगा साथ ही पंपलेट, पोस्टर और अन्य संचार माध्यम के द्वारा यह सूचना दी जाएगी कि हूटर क्यों लगाया गया है और इसके बजने के बाद क्या करना है ताकि लोगों में यह स्पष्ट संदेश जा सके कि हूटर को उनके जीवन को बचाने के लिए लगाया गया है.


"वज्रपात के कारण पिछले कुछ वर्षों में हमारे राज्य में मरने वालों की जो संख्या बढ़ी है, उसे लेकर सीएम नीतीश कुमार काफी चिंतित थे. बिजली गिरने की सूचना, चेतावनी को लेकर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के मार्गदर्शन में हम लोगों ने राज्य आपदा सम्मन निधि से वज्रपात से बचाव के संबंधी एवं रोकथाम के लिए जो अति प्रभावित क्षेत्र हैं, वहां पर समुदाय को अवेयर करने के लिए जान को बचाने के संबंध में एक प्रस्ताव हमने यहां से संचालित किया है. इस प्रस्ताव के तहत जो अति प्रभावित जिले हैं, उन में विभिन्न प्रकार की जागरूकता कार्यक्रम साथ ही इन लोगों को पूर्व चेतावनी प्रणाली के माध्यम से हूटर युक्त सायरन के माध्यम से बचाव कर सके. जिससे वह सुरक्षित स्थानों पर जा सके और खुद को सुरक्षित कर सके. साथ ही साथ कुछ ऐसे तड़ित चालक पंचायतों में लगाए जाएंगे. जिससे हम अपने किसान भाइयों को सायरन के माध्यम से जागरूक करके उनको अवेयर कर सके. वह सुरक्षित स्थान पर जाकर अपनी जान को बचा सकते हैं. बिजली प्रभावित जो सात जिले हैं उनमें इसे लगाने का प्रयास किया जा रहा है. हमने 79 जगहों को चिन्हित किया है. जहां इसको लगाने का प्रयास किया जा रहा है. औरंगाबाद जिले से सर्वप्रथम एक टेस्टिंग के रूप में इसे लगाया जा रहा है. आगे चलकर अन्य जिलों में विस्तारित किया जाएगा."-नीरज कुमार सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण

पढ़ें- संभल कर रहें! पटना में वज्रपात से 4 की मौत, 2 घायल






पटना: बिहार देश के उन राज्यों में से है जहां मानसून के सक्रिय होने के बाद अच्छे खासे अनुपात में बारिश होती है. बारिश होती है तो वज्रपात भी होते है लेकिन वज्रपात का कहर इस राज्य में कुछ इस तरह से आम लोगों पर टूट रहा है कि साल दर साल मौत का आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है. प्रकृति के इस कहर से बचने के लिए बिहार सरकार एक नायाब पहल कर रही है. बिहार लगभग देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां बिजली गिरने से पहले ही लोगों को सूचना (Information to people before lightning) दी जाएगी. यह सूचना हूटर के माध्यम से दी जाएगी ताकि वक्त रहते लोग सचेत हो जाएं और सुरक्षित जगहों पर चले जाएं. देश के कई राज्यों में हूटर तो लगाए गए हैं लेकिन वह समुद्री तूफान की सूचना देने के लिए लगे हैं. हालांकि बिहार में जो हूटर लगाए जा रहे हैं, वो बिजली गिरने की सूचना देंगे.

पढ़ें-नवादा ने आकाशीय बिजली का कहर, बसकंडा गांव में वज्रपात से युवक की मौत


बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की पहल: इस हूटर को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (Bihar State Disaster Management Authority) की तरफ से लगाया जा रहा है. इस बारे में जानकारी देते हुए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सीनियर कंसल्टेंट नीरज कुमार सिंह बताते हैं कि 2018 से बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण लगातार स्टडी कर रहा है. बिजली गिरने से लोगों की मौत का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है. 2020 में जहां बिजली गिरने से राज्य में 443 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2021 में 276 और 2022 में 334 लोगों की मौत केवल बिजली गिरने से हुई है. 2020 का 25 जून ऐसा दिन रहा, जहां एक दिन में करीब 100 लोगों की मौतें बिजली गिरने से हुई. देश में एक दिन में बिजली गिरने से इतने लोगों के मरने का कोई रिकॉर्ड फिलहाल नहीं है.


ग्रामीण क्षेत्र ज्यादा प्रभावित: नीरज बताते हैं कि प्राधिकरण की तरफ से जब जमीनी स्तर पर अध्ययन किया गया तो उसे चार प्रकार में बांटा गया. अध्ययन कहां, क्यों, कब और कौन से लोग पर आधारित था. जिसमें यह सामने आया कि ग्रामीण क्षेत्रों में ठनका गिरने से किसान, खेतिहर, पशुपालक, ज्यादा प्रभावित हुए हैं. इसके बाद ठनका प्रभावित कुछ जिलों के सभी जिलों से रिपोर्ट को मंगाई गई. जिसमें यह सामने आया कि करीब 86% किसान और पशुपालक ठनका गिरने से प्रभावित हुए हैं. अध्ययन में यह भी सामने आया कि दिन में 11 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक सबसे ज्यादा मौतें ठनका गिरने से हुई हैं. इसमें सुबह 6 बजे से लेकर दिन में 11 बजे तक करीब 12% और दिन में 11:00 बजे से लेकर शाम में 6 बजे तक करीब 88% मौतें ठनका के गिरने से हुई.

50 से ज्यादा मौत वाले में है कई जिले: नीरज ने यह भी बताया कि राज्य में सात ऐसे भी जिले हैं जहां 50 से भी ज्यादा मौतें केवल बिजली के गिरने से हुई है. इनमें सबसे ऊपर गया है जहां 100 मौतें ठनका गिरने से हुई है. इसके बाद रोहतास में 73, औरंगाबाद में 72, बांका में 64, जमुई में 63 और पटना में 55 मौतें बिजली गिरने से हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि 2018 से लेकर 2022 तक की जो रिपोर्ट तैयार हुई है, उसमें एक यह भी चीज सामने आई है कि न केवल मानसून बल्कि प्री और पोस्ट मानसून में भी बिजली गिर रही है. पूरे साल में केवल जनवरी और दिसंबर ही ऐसे महीने हैं, जहां लोगों को वज्रपात से कुछ राहत मिल रही है.

सीएम ने लिया था संज्ञान: नीरज ने बताया कि बिजली के गिरने की गंभीरता को देखते हुए सीएम नीतीश कुमार ने जुलाई माह में बैठक की थी और इस मामले पर गंभीर चिंता जताई थी. साथ ही उन्होंने इस पर बचाव के लिए पूरे राज्य में विशेष अभियान चलाकर राज्य के सरकारी भवनों में जल्द से जल्द लाइटनिंग अरेस्टर लगाने का निर्देश भी दिया था. जिसके बाद राज्य आपदा समन निधि में प्रस्ताव दिया गया.

हूटर से होगी शुरुआत: नीरज ने बताया कि वज्रपात से बचने के लिए जो पहल की जा रही है इसमें सबसे पहली कोशिश हूटर के द्वारा लोगों को सचेत करने की होगी. जिसकी शुरुआत इसी सप्ताह राज्य के औरंगाबाद जिले से की जा रही है. जहां एक हूटर लगाया जाएगा, जो प्राधिकरण के द्वारा ही विकसित किए गए इंद्र ब्रज ऐप के माध्यम से जुड़ा रहेगा. इंद्र व्रज एप के द्वारा 15 से 20 मिनट पहले बिजली गिरने की चेतावनी दी जाएगी, उसके बाद तत्परता के साथ इस हूटर को बजाया जाएगा. जो कि 3 से 5 किलोमीटर की रेडियस में सुनाई देगा. हूटर की आवाज को सुनने के बाद लोग सुरक्षित जगहों पर चले जाएंगे. जिससे जानमल की हानि पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि फिलहाल इस हूटर को अभी पंचायत सरकार भवन के ऊपर तड़ित चालक के साथ लगाया जा रहा है. इसे ऑपरेट करने के लिए कर्मियों की भी नियुक्ति की जाएगी. जो बिजली गिरने की सूचना के साथ तत्परता से उसे बजाएंगे.

पीएचइडी के साथ बातचीत: नीरज कुमार ने यह भी बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार के पीएचइडी के साथ भी प्राधिकरण की बातचीत चल रही है. तैयारी कुछ इस कदर है कि पीएचईडी के अंतर्गत आने वाले जल मीनार के ऊपर तड़ित चालक को हूटर के साथ लगाया जाए और जल मीनार के संचालक को ऑपरेट इसकी जिम्मेदारी दी जाए. वज्रपात प्रभावित सात जिलों में चरणबद्ध तरीके से पहली बार इस हूटर को लगाया जा रहा है. इन जिलों में 79 जल मीनार हैं. जहां पर इस होटल को तड़ित चालक के साथ लगाया जाना है. इसके अलावा इन जिलों के 249 ग्राम पंचायतों में भी इस हूटर को लगाने का प्रस्ताव अनुमोदित है. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रोफेसर उदय कांत मिश्रा के दिशा निर्देश में इनमें होटल और तड़ित चालक की कार्यप्रणाली पर रिसर्च को लेकर आईआईटी पटना के अलावा राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के साथ चर्चा भी हो चुकी है.

बिजली की रहेगी अल्टरनेट व्यवस्था: नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कई बार यह देखा जाता है बारिश होने के साथ ही बिजली चली जाती है. ऐसी स्थिति में हूटर को बजाना संभव नहीं है. प्राधिकरण इसके लिए भी पहल कर रहा है. जहां-जहां हूटर और तड़ित चालक को लगाया जाएगा. वहां पर बिजली की अल्टरनेट व्यवस्था भी की जाएगी. उसे इनवर्टर से जोड़ा जाएगा ताकि समय पर सूचना देने में कोई दिक्कत नहीं हो. साथ ही इंद्र ब्रज ऐप द्वारा सूचना को प्राप्त करने के लिए ऑपरेटर को एक एंड्राइड मोबाइल फोन उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि हूटर के लगाने के बनने के बाद क्या करना है? इन सारी चीजों के बारे में लोगों को अवेयर भी किया जाएगा. इसके लिए स्थानीय स्तर से लेकर कई गतिविधियों को आयोजित किया जाएगा। इनमें जागरूकता रथ भी निकाला जाएगा साथ ही पंपलेट, पोस्टर और अन्य संचार माध्यम के द्वारा यह सूचना दी जाएगी कि हूटर क्यों लगाया गया है और इसके बजने के बाद क्या करना है ताकि लोगों में यह स्पष्ट संदेश जा सके कि हूटर को उनके जीवन को बचाने के लिए लगाया गया है.


"वज्रपात के कारण पिछले कुछ वर्षों में हमारे राज्य में मरने वालों की जो संख्या बढ़ी है, उसे लेकर सीएम नीतीश कुमार काफी चिंतित थे. बिजली गिरने की सूचना, चेतावनी को लेकर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के मार्गदर्शन में हम लोगों ने राज्य आपदा सम्मन निधि से वज्रपात से बचाव के संबंधी एवं रोकथाम के लिए जो अति प्रभावित क्षेत्र हैं, वहां पर समुदाय को अवेयर करने के लिए जान को बचाने के संबंध में एक प्रस्ताव हमने यहां से संचालित किया है. इस प्रस्ताव के तहत जो अति प्रभावित जिले हैं, उन में विभिन्न प्रकार की जागरूकता कार्यक्रम साथ ही इन लोगों को पूर्व चेतावनी प्रणाली के माध्यम से हूटर युक्त सायरन के माध्यम से बचाव कर सके. जिससे वह सुरक्षित स्थानों पर जा सके और खुद को सुरक्षित कर सके. साथ ही साथ कुछ ऐसे तड़ित चालक पंचायतों में लगाए जाएंगे. जिससे हम अपने किसान भाइयों को सायरन के माध्यम से जागरूक करके उनको अवेयर कर सके. वह सुरक्षित स्थान पर जाकर अपनी जान को बचा सकते हैं. बिजली प्रभावित जो सात जिले हैं उनमें इसे लगाने का प्रयास किया जा रहा है. हमने 79 जगहों को चिन्हित किया है. जहां इसको लगाने का प्रयास किया जा रहा है. औरंगाबाद जिले से सर्वप्रथम एक टेस्टिंग के रूप में इसे लगाया जा रहा है. आगे चलकर अन्य जिलों में विस्तारित किया जाएगा."-नीरज कुमार सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण

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