पटना: सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (CEED) द्वारा वायु प्रदूषण (Air Pollution) पर लोगों की रायशुमारी पर आधारित एक पब्लिक परसेप्शन (Public Perception) सर्वे रिपोर्ट जारी की गई. जिसमें कई चौकाने वाले निष्कर्ष सामने आये हैं. जैसे पटना के 80 प्रतिशत लोगों को क्लीन एयर एक्शन प्लान के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
ये भी पढ़ें- लॉकडाउन से सुधरी हवा की गुणवत्ता, राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स पहुंचा 90
वायु प्रदूषण रोकने की कवायद
करीब 55 प्रतिशत लोग सरकारी विभागों द्वारा वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं हैं. लोगों के बीच जानकारी की इतनी कमी है कि 88 प्रतिशत लोगों को यह भी नहीं पता कि वायु प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों एवं उल्लंघनकर्ताओं से संबंधित शिकायत कैसे और किसके पास दर्ज करानी है.
सीड के इस सर्वेक्षण-अध्ययन का उद्देश्य शहर में वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति, इससे संबंधित लोगों के बीच जागरुकता के स्तर और उनकी चिंताओं एवं आकांक्षाओं का पता लगाना था. इसके तहत पटना में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए राज्य सरकार और एनफोर्समेंट एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों पर भी शहरवासियों की राय इकट्ठी की गई.
ये भी पढ़ें- Bihar Weather Update: राज्य के 18 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी, भारी बारिश की संभावना
स्वास्थ्य के लिए प्रदूषण खतरनाक
सीड द्वारा यह पब्लिक परसेप्शन सर्वेक्षण गत मार्च और अप्रैल महीने में पटना के उपनगरीय और प्रमुख इलाकों के सभी पृष्ठभूमि, वर्गों एवं उम्र समूहों के लोगों से प्रत्यक्ष संपर्क साध कर किया गया, ताकि शहर की एक प्रतिनिधिमूलक तस्वीर सामने आ सके.
इस शोध-अध्ययन में एक मुख्य निष्कर्ष यह आया कि 96 प्रतिशत लोग वायु प्रदूषण को स्वास्थ्य से संबंधित एक बड़ी समस्या के मूल कारण के रूप में देखते हैं, जो अस्थमा, फेफड़े और श्वास संबंधी गड़बड़ियों से जुड़ी हुई है.
एक चौंकाने वाली आम राय सामने आयी कि 80 प्रतिशत लोग सरकार द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए उपायों के बारे में अवगत नहीं हैं. करीब 65 प्रतिशत लोगों ने इस बात पर बल दिया कि वायु गुणवत्ता से संबंधित मॉनिटरिंग एवं अन्य जानकारियों को सरकारी एजेंसियों द्वारा लोगों तक सही ढंग से पहुंचाने की जरूरत है.
सर्वेक्षण में लोगों ने प्रमुखता से इस बात को रेखांकित किया कि, हेल्थ एडवायजरी जैसे उपाय जरूरी है. क्योंकि कई वैज्ञानिक अध्ययन वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं के बीच सीधे संबंध की पुष्टि करते हैं. करीब 90 प्रतिशत लोगों ने हामी भरी कि उच्च वायु प्रदूषण स्तर वाले दिनों में बचाव के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा नियमित हेल्थ एडवायजरी जारी की जानी चाहिए.
ये भी पढ़ें- सावधान! बिहार के इन 4 जिलों के लिए तत्कालिक अलर्ट जारी, वज्रपात के साथ बारिश की संभावना
CAAP को लागू करने की जरुरत
रिपोर्ट की मुख्य सुझावों एवं सिफारिशों के बारे में बात करते हुए सीड में सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर अंकिता ज्योति ने इस बात पर बल दिया कि यह समय की मांग है कि सरकार अब ठोस और निर्णायक कदम उठाए.
दरअसल क्लीन एयर एक्शन प्लान के बेहतर क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर सभी प्रमुख विभागों एवं एनफोर्समेंट एजेंसियों को जोड़ कर एक एकीकृत और जवाबदेह टास्क फोर्स बनाने की जरूरत है, जो कथनी और करनी का भेद मिटाते हुए समन्वयात्मक और कन्वर्जेन्स एप्रोच के साथ परिणाम आधारित काम करे. लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया जाना चाहिए.
जिसमें सभी स्टेकहोल्डर्स, समाज के गणमान्य लोग, इन्फ्लुएंसर्स और आम नागरिकों की सक्रिय और सामूहिक भागीदारी हो और यह शहर में वायु गुणवत्ता में सुधार के इकलौते लक्ष्य के साथ चले. सरकार की नोडल एजेंसी को क्रियान्वयन संबंधी कदमों में पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए और इसे लोगों तक सीधे पहुंचाने का प्रयास करते हुए शिकायत निवारण केंद्र के बारे में लोगों को सुगम तरीके से पूरी सूचनाएं उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि लोग इस पूरी प्रक्रिया में एक स्टेकहोल्डर के रूप में जुड़ें और वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सहभागी की भूमिका निभाएं.
ये भी पढ़ें- Bihar Weather Update: कई जिलों के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी, वज्रपात के साथ भारी बारिश की संभावना
'वर्ष 2019 में पटना के लिए क्लीन एयर एक्शन प्लान बना था, लेकिन इसका प्रभावी क्रियान्वयन अब भी एक प्रमुख चुनौती है. यह सर्वेक्षण रिपोर्ट स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि क्लीन एयर एक्शन प्लान बनने के दो साल बाद भी स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है तथा आम जनमानस में सरकारी प्रयासों को लेकर जागरूकता का भी भारी अभाव है. राज्य सरकार और संबंधित विभागों एवं एजेंसियों को इसे प्राथमिकता के रूप में लेना चाहिए और शहर में प्रदूषित आबोहवा को एक स्वस्थ, सुन्दर और स्वच्छ परिवेश में बदलने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए' : रमापति कुमार, सीईओ, सीड
लोगों को जागरुक करने की जरुरत
सीड का मानना है कि राज्य सरकार को वायु प्रदूषण के समाधान से जुड़े कदमों में अधिकाधिक सिविल सोसाइटी संगठनों एवं नागरिक समूहों को सहभागी के रूप से शामिल करना चाहिए, क्योकि जमीनी स्तर पर बदलावों में उनकी बड़ी भूमिका है. वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों और सभी तरह की तकनीकी और सामान्य जानकारियों को सहज एवं सरल भाषा और सभी प्रचार माध्यमों के जरिए जन-जन तक पहुंचाने का प्रबंध किया जाना चाहिए, ताकि इसका व्यापक और अपेक्षित नतीजा मिल सके. सीड राज्य सरकार के सभी प्रमुख विभागों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनफोर्समेंट एजेंसियों को हरसंभव मदद देने को हमेशा तत्पर है और अपने स्तर से भी पब्लिक कैंपेन के जरिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास करता रहेगा.
ये भी पढ़ें- बाढ़ का खतरा: नेपाल में हो रही बारिश से उफनाई नदियां, गंडक खतरे के निशान के करीब
वायु प्रदूषण से हो रही हैं मौतें
वायु प्रदूषण के चलते पूरी दुनिया में हर साल 88 लाख लोगों की मौतें हो जाती हैं. यह युद्ध, एचआईवी और धूम्रपान से भी ज्यादा मौतें हैं. उम्र में भी औसतन तीन साल कमी आई है. जर्मनी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वायु प्रदूषण पूरी दुनिया में महामारी का रूप ले चुका है.
अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषण से जहरीली हो रही हवा में सांस लेने से लोगों की कम उम्र में ही मौत हो रही है. हालात इतने खराब हैं कि भारत और जापान सहित पूर्वी एशिया में लोगों की उम्र प्रत्याशा करीब चार साल कम हो गई है. वहीं, यूरोपीय देशों में वायु प्रदूषण के चलते लोगों की औसत उम्र में करीब 2.2 साल की कमी आई है.