पटना: लद्दाख में ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ने से सेना के जवान की मौत हो गई. यब खबर मिलते ही परिवार के लोग पूरी तरह से टूट गए. परिवार में मातम छा गया. जवान 25 दिन पहले छूटी में परिवार से मिलकर ड्यूटी पर लद्दाख गए थे.
ड्यूटी के दौरान बिगड़ी तबीयत: मिली जानकारी के अनुसार पालीगंज अनुमंडल के खीरीमोर निवासी विद्यानंद प्रसाद सिंह के पुत्र मनोज कुमार भारतीय सेना के इंजीनियरिंग कोर में आर आर डीभीआर के पद पर लद्दाख बॉर्डर पर तैनात थे. जहां बीते मंगलवार को अचानक ड्यूटी के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई. उनके साथियों ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल लाया. लेकिन अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने उन्हें मृत्य घोषित कर दिया.
25 दिन पहले ही ड्यूटी पर गए थे: इधर, घटना की जानकारी मिलने के बाद परिवार में कोहराम मच गया. परिवार के लोगों ने बताया कि मनोज 25 दिन पहले ही छुट्टी खत्म कर लद्दाख ड्यूटी पर गए थे. मनोज के दो बच्चे हैं जिसमें एक 6 साल का बेटा और तीन साल की बेटी है. घटना की जानकारी मिलने के बाद मनोज कुमार की पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है.
बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल: मनोज घर में सबसे बड़े थे. वह चार भाइयों में सबसे बड़े भाई थे, जो 2009 में भारतीय सेना में ज्वाइन कर इंजीनियरिंग कोर ग्रुप में शामिल हुए थे. 2015 में उनकी शादी हुई थी. वहीं, पिता की मौत के बाद दोनों बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल है. पिता की एक झलक पाने के लिए बच्चें बेताब हैं.
विधायक संदीप सौरव ने दी श्रद्धांजलि: इधर, गुरुवार सुबह जब तिरंगा से लिपटा पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा तो उन्हें आखरी सलामी देने के लिए गांव वालों की भीड़ लग गई. इधर, घटना की सूचना मिलने के बाद स्थानीय भाकपा माले विधायक संदीप सौरव भी मौके पर पहुंचे और परिवार से मुलाकात की. उन्होंवे जवान को पुष्प चढ़कर श्रद्धांजलि दी.
पुलिस-प्रशासन ने दी आखिरी सलामी: हालांकि पटना जिला प्रशासन और बिहार पुलिस द्वारा मृतक जवान के पार्थिव शरीर को पालीगंज के समदा श्मशान घाट पर आखिरी सलामी दी गई. इधर मौके पर स्थानीय जिला प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे.
"मुझे अपने बेटे को खोने का गम तो है, लेकिन देश की सेवा करते हुए उसकी मौत पर मुझे और मेरे परिवार को गर्व भी है. यह उपलब्धि सभी पिता को नहीं मिलती. मनोज अपने चार भाइयों में सबसे बड़े थे, उन्ही के कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी. उसने गरीबी से जूझते परिवार की आर्थिक स्थिति की जिम्मेदारी अपने मजबूत कंधों पर उठा रखी थी. मुझे उस पर नाज और गर्व है." - विद्यानंद सिंह, मृतक जवान के पिता
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