पटना: मन में कुछ करने का ठान लिया जाए तो हालात चाहे कितनी भी मुश्किलों क्यों न मंजिल मिल ही जाती है. यह पंक्ति बिहार की इन बेटियों पर सटीक बैठती है, जो पहले कचरा चुनती थी, लेकिन आज होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर लोगों के बीच खाना परोस रही है. इसके पीछे राजधानी पटना का खिलखिलाहट रेनबो होम का बहुत बड़ा योगदान है, जिसने असहाय लड़कियों को पनाह देकर इस मुकाम तक पहुंचाने का काम किया.
होटल मैनेजमेंट कर पायी नौकरीः रेनबो होम की दो लड़कियां होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर लोगों को खाना परोस रही है. रेनबो होम की प्रोजेक्ट इंचार्ज विशाखा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि यहां पर उन बच्चियों को रखा जाता है जो असहाय है. सड़क पर कचरा चुनने वाली लड़कियों को यहां लाया जाता है. शहर की कुछ लड़कियां नशा भी करती है, जिसे नशा मुक्ति केंद्र में रखते हैं.
बिहार में कचरा चुनने वाली लड़की बनी बैंकर्सः रेनबो होम में खेलकूद के साथ मनोरंजन और पढ़ाई करायी जाती है. लड़किों को 18 साल की उम्र तक पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग एक्टिविटी में शामिल कराया जाता है. यहां की लड़कियां डांस, खेलकूद, पेंटिंग में भी अपने आप को निखार रही हैं. इसी का नतीजा है कि अभी तक यहां से कई लड़कियां निकल कर नौकरी कर रही हैं. होटल मैनेजर सहित बैंकिंग के क्षेत्र में काम कर रही है.
"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लेकर सरकार पहल की है, उसी को आगे बढ़ाने का प्रयास है. अपनी संस्था के माध्यम से बिहार की बेटियों को सशक्त बनाने का काम कर रहे हैं. यहां की लड़कियां नौकरी कर रही हैं. होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर तमिलनाडु में जॉब कर रही है. बेंगलुरु से पढ़ाई करने का बाद नौकरी कर रही है." -विशाखा, प्रोजेक्ट इंचार्ज, रेनबो होम
बैंक में काम करती है ज्योतिः रेनबो हम से पढ़ाई करने वाली ज्योति कुमारी आज बैंक में काम कर रही है. कई लड़कियां राजधानी पटना में विभिन्न जगह पर काम कर रही है और अपने पैरों पर खड़ी होकर सशक्त बनी है. विशाखा कुमारी ने बताया कि अभी 6 लड़कियां जॉब के साथ-साथ बेंगलुरु पढ़ाई भी कर रही है. इसी तरह कई लड़की आर रेनबो होम की मदद से अपनी मुकाम हासिल कर रही है.
"मैं अभी दसवीं क्लास में पढ़ाई कर रही हूं. पहले कचरा चुनती थी. यहां आई तो पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था, लेकिन यहां पर खेल, पढ़ाई, डांस अलग-अलग प्रकार का कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसके बाद मेरा मन लग गया. अब मैं अच्छे से पढ़ाई कर रही हूं. पढ़ाई कर पुलिस अफसर बनने का सपना है." -राधिका, छात्रा
खेल में जीता गोल्ड मेडलः "छात्रा अमिता कुमारी इस होम में 10 साल से पढ़ाई कर रही है. उसने बताया कि "मेरे पिताजी नहीं है, मां पैसे के अभाव के कारण पढ़ाई नहीं करा पायी. यहां के बारे में मुझे बताया गया. इसके बाद पढ़ाई कर रही हूं. खेल में गोल्ड मेडल भी जीत चुकी हूं. पढ़ाई के साथ-साथ खेल में बिहार का नाम रोशन करूंगी."
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